भाेपाल । कांची कामकोटि पीठ के पीठाधिपति और 69वें शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती की आज शुक्रवार काे जयंती है। तमिलनाडु स्थित हिंदू धर्म में सबसे अहम और ताकतवर समझे जाने वाली कांची पीठ के पीठाधिपति के रूप में जयेंद्र सरस्वती ने राजनीतिक रूप से भी एक ताकतवर संत का जीवन जीया। मुख्यमंत्री डाॅ. माेहन यादव ने शंकराचार्य जयेंद्र सरस्वती काे जयंती पर याद करते हुए विनम्र नमन किया है।
मुख्यमंत्री डाॅ. यादव ने साेशल मीडिया एक्स पर पाेस्ट करते हुए लिखा, कांची कामकोटि के 69वें शंकराचार्य, परम श्रद्धेय जयेंद्र सरस्वती जी की जयंती पर सादर नमन करता हूं। उन्होंने अपना तपस्वी जीवन सनातन संस्कृति की सेवा और लोक कल्याण के लिए समर्पित कर दिया। ज्ञान, संस्कृति एवं परंपरा को प्रवाहमान बनाए रखने हेतु शंकराचार्य जी के वंदनीय प्रयास सदैव याद किए जाएंगे।
उल्लेखनीय है कि कांची कामकोटि पीठ के 69वें शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वती एक अत्यंत प्रभावशाली और आधुनिक दृष्टिकोण रखने वाले धर्मगुरु थे। उनका जन्म 18 जुलाई 1935 को हुआ था और उन्होंने 28 फरवरी 2018 को देह त्याग किया। उनके जन्म का ना सुब्रमण्यम महादेवन था और जन्म स्था इरुलनेक्कनाल, तमिलनाडु था। उन्हें 1954 में श्री चंद्रशेखरेन्द्र सरस्वती (68वें शंकराचार्य) द्वारा सन्यास दीक्षा देकर उत्तराधिकारी नियुक्त किया गया। तभी उन्हें उनके गुरु द्वरा संन्यास नाम जयेंद्र सरस्वती मिला । पीठाधिपति कार्यकाल के रूप में वे 1954 से 2018 लगभग 64 वर्ष तक इस पद पर रहे।
यदि उनके किए गए प्रमुख कार्यों को याद करें तो उन्होंने शंकराचार्य पद को सामाजिक और जनसंपर्क की दिशा में आगे बढ़ाया। शिक्षा, स्वास्थ्य, और धर्म के क्षेत्र में कई जनहित योजनाओं की शुरुआत की। दलितों और पिछड़े वर्गों के लिए काम करने में वे अग्रणी रहे, जिससे कुछ रूढ़िवादी लोगों में मतभेद भी उत्पन्न हुए।
देश और विदेशों में हिन्दू धर्म और अद्वैत वेदांत के प्रचार-प्रसार हेतु यात्राएँ कीं।2004 में कांची शंकर मठ मंदिर हत्या मामले में उनका नाम आया था, जिससे काफी विवाद हुआ। बाद में वे 2013 में इस मामले से बरी हो गए। उनके निधन के बाद स्वामी विजयेंद्र सरस्वती को कांची कामकोटि पीठ का 70वाँ शंकराचार्य नियुक्त किया गया।
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