स्थानीय राजकीय उच्च विद्यालय (हाई स्कूल) का खेल मैदान लंबे समय से सुचारू और आधुनिक सुविधाओं के लिए विकसित किया जा रहा है। इस परियोजना की लागत लगभग डेढ़ करोड़ रुपए है और इसे तय समय सीमा के अनुसार एक साल पहले ही पूरा हो जाना था। लेकिन हालात यह हैं कि निर्माण कार्य बेहद धीमी गति से चल रहा है। इस कारण न केवल स्कूल के छात्र बल्कि पूरे इलाके के खेल प्रेमियों में निराशा व्याप्त है।
स्थानीय निवासियों और छात्रों के अनुसार, खेल मैदान का विकास इलाके के युवाओं और बच्चों के लिए अत्यंत आवश्यक था। आधुनिक खेल सुविधाओं और सुरक्षित वातावरण के अभाव में युवा खेल गतिविधियों से वंचित रह रहे हैं। उन्होंने बताया कि योजना के अनुसार मैदान में फुटबॉल, क्रिकेट, खो-खो और अन्य खेलों के लिए अंतरराष्ट्रीय मानक की सुविधाएं बनाई जानी थीं, लेकिन धीमी गति से निर्माण कार्य की वजह से यह सपना फिलहाल अधूरा ही रह गया है।
स्कूल के शिक्षक और खेल प्रशिक्षक भी इस स्थिति से चिंतित हैं। उनका कहना है कि खेलकूद बच्चों के शारीरिक और मानसिक विकास के लिए महत्वपूर्ण है। यदि मैदान समय पर तैयार नहीं होता है, तो छात्रों को सुरक्षित और सुव्यवस्थित खेल क्षेत्र न मिल पाने के कारण उनकी खेल गतिविधियों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा।
स्थानीय खेल प्रेमी रामनाथ यादव ने कहा, “यह परियोजना हमें काफी उम्मीद दिला रही थी। डेढ़ करोड़ रुपए की लागत से आधुनिक खेल मैदान तैयार होना चाहिए था, लेकिन इतनी सुस्ती देखकर लगता है जैसे कछुआ भी शरमाए। युवाओं का उत्साह इस धीमी प्रगति के कारण कम हो रहा है।” वहीं, एक अन्य निवासी सुनीता देवी ने बताया कि बच्चों और किशोरों के लिए खेल गतिविधियों की कमी उनकी सेहत और सामाजिक विकास दोनों पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है।
स्थानीय प्रशासन और स्कूल प्रबंधन का कहना है कि निर्माण में देरी विभिन्न कारणों से हुई है। इसमें मौसम की बाधाएं, निर्माण सामग्री की आपूर्ति में समस्याएं और मजदूरी संबंधित जटिलताएं शामिल हैं। बावजूद इसके, उन्हें उम्मीद है कि जल्द ही कार्य में गति आएगी और खेल मैदान को निर्धारित समय सीमा के भीतर पूरा किया जाएगा।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस तरह की परियोजनाओं में समय पर कार्य पूरा होना बेहद जरूरी है। न केवल खर्च का सही उपयोग सुनिश्चित होता है, बल्कि युवाओं और छात्रों की उम्मीदों के अनुरूप परिणाम भी सामने आते हैं। उन्होंने सुझाव दिया कि निर्माण कार्य की निगरानी को और सख्त किया जाए ताकि भविष्य में ऐसी सुस्ती और देरी न हो।
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