मेडिकल प्रवेश परीक्षा (NEET UG) में इस वर्ष 11.08 लाख विद्यार्थियों ने 20% अंक भी नहीं प्राप्त किए। 22.09 लाख विद्यार्थियों में से केवल 11.01 लाख विद्यार्थियों ने 720 में से 144 या इससे अधिक अंक हासिल किए। यह आंकड़ा इस वर्ष के प्रश्न पत्र के उच्च स्तर का परिणाम नहीं है, बल्कि पिछले कुछ वर्षों में प्रश्न पत्र के सामान्य स्तर के बावजूद यह आंकड़ा लगभग स्थिर रहा है।
🔹 शैक्षणिक स्तर पर सवालइस आंकड़े ने एक और गंभीर प्रश्न खड़ा किया है, और वह है उच्च माध्यमिक स्तर पर स्कूली शिक्षा का विज्ञान विषय। कई विशेषज्ञों का मानना है कि इस कमी का मुख्य कारण विज्ञान शिक्षा के स्तर में गिरावट हो सकता है, खासकर स्कूलों के स्तर पर। विद्यार्थियों को गहरे और कठिन विषयों को समझने और उनका सामना करने के लिए पर्याप्त तैयारी नहीं मिल पा रही है।
🔹 NEET की चुनौतीNEET UG में सफलता पाने के लिए विद्यार्थियों को ना केवल अच्छे अंक प्राप्त करने होते हैं, बल्कि विज्ञान और गणित जैसे विषयों में गहरे ज्ञान की भी आवश्यकता होती है। लेकिन यह आंकड़ा यह संकेत देता है कि विद्यार्थियों को विज्ञान शिक्षा की जटिलताओं से निपटने के लिए उचित मार्गदर्शन नहीं मिल रहा है। इसका प्रभाव NEET जैसे प्रतिस्पर्धी परीक्षा में दिखाई दे रहा है।
🔹 शिक्षा प्रणाली पर विचारयह आंकड़ा भारत की शिक्षा प्रणाली की ओर भी एक गंभीर संकेत है। विज्ञान शिक्षा में सुधार के लिए अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है, ताकि विद्यार्थियों को सही तरीके से तैयारी और मार्गदर्शन मिल सके। इस गिरावट का असर न केवल NEET जैसे परीक्षाओं पर पड़ रहा है, बल्कि यह विद्यार्थियों के आगे के शैक्षिक और व्यावसायिक अवसरों पर भी असर डाल रहा है।
🔹 सुधार की आवश्यकताविशेषज्ञों का कहना है कि विज्ञान के शिक्षक और स्कूली शिक्षा का ढांचा ऐसा होना चाहिए, जिससे विद्यार्थियों को बुनियादी ज्ञान के साथ विज्ञान विषयों की जटिलताओं को समझने और उनके लिए मानसिक रूप से तैयार करने की सुविधा मिले। केवल कोचिंग संस्थानों पर निर्भर रहने के बजाय, स्कूल स्तर पर ही एक ठोस और व्यावसायिक दृष्टिकोण से शैक्षिक सुधार किए जाने की आवश्यकता है।
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