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राजस्थान में मंडी हड़ताल का बड़ा असर! 4 दिन तक बंद रहेंगी 247 मंडियां, खाद्य आपूर्ति पर मंडराया संकट

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राजस्थान की 247 अनाज मंडियों में एक जुलाई से चार दिवसीय हड़ताल शुरू होने जा रही है। इस हड़ताल के कारण आटा, दाल, तेल, मसाले व अन्य खाद्य पदार्थों का व्यापार ठप रहने की आशंका है। राजस्थान खाद्य उत्पाद व्यापार संघ ने सरकार की नई कर नीतियों के खिलाफ यह कदम उठाया है। व्यापारियों का कहना है कि सरकार का नया कृषक कल्याण शुल्क व मंडी टैक्स उनके लिए भारी आर्थिक बोझ बन रहा है।

व्यापारियों पर दोहरा बोझ
राजस्थान खाद्य उत्पाद व्यापार संघ के अध्यक्ष बाबूलाल गुप्ता ने बताया कि सरकार एक जुलाई से कृषक कल्याण शुल्क को स्थायी रूप से एक प्रतिशत करने जा रही है। पहले यह शुल्क हर दो माह में छूट के साथ लागू होता था। अब एक ही व्यापार पर मंडी टैक्स व कृषक कल्याण शुल्क दोनों लगने से व्यापारियों पर दोहरा बोझ पड़ रहा है। इससे व्यापार करना मुश्किल हो गया है।

व्यापारियों की मांगें
व्यापारी चाहते हैं कि सरकार मौजूदा 0.50 प्रतिशत शुल्क को अगले तीन साल तक जारी रखे। इसके अलावा आयातित कृषि जिंसों व चीनी पर लगाया गया मंडी टैक्स व कृषक कल्याण शुल्क हटाया जाए। मोटे अनाज पर प्रस्तावित 2.25 प्रतिशत कमीशन को वापस लेने की भी मांग की जा रही है। गुप्ता ने चेतावनी दी कि यदि सरकार ने मांगें नहीं मानी तो 5 जुलाई को होने वाली बैठक में अनिश्चितकालीन हड़ताल का निर्णय लिया जा सकता है।

जानिए हड़ताल का क्या होगा असर
हड़ताल के कारण 1 से 5 जुलाई तक मंडियों में खाद्य पदार्थों की खरीद-फरोख्त बंद रह सकती है। इससे पूरे प्रदेश में खाद्य पदार्थों की आपूर्ति प्रभावित हो सकती है। इस हड़ताल में जयपुर, अलवर, बीकानेर, कोटा, भरतपुर, श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ समेत सभी मंडियों के व्यापारी शामिल हैं।

मुख्यमंत्री से मिलने की मांग
व्यापारियों ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर तत्काल मिलने का समय मांगा है। चूंकि मुख्यमंत्री स्वयं कृषि विपणन मंत्री भी हैं, इसलिए व्यापारियों को उनसे इस मामले में सीधे हस्तक्षेप की उम्मीद है। यदि मांगें नहीं मानी गईं तो व्यापारियों का आंदोलन तेज हो सकता है, जिससे आम लोगों को भी परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।

आम लोगों पर असर
इस हड़ताल के कारण खाद्य पदार्थों की कीमतों में उछाल और आपूर्ति में कमी आने की संभावना है। व्यापारियों का कहना है कि दोहरे कराधान से व्यापार को नुकसान हो रहा है, जिसका असर अंतत: आम उपभोक्ताओं पर पड़ेगा।

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