राजस्थान में आगामी उपचुनावों को लेकर राजनीतिक गतिविधियां तेज हो गई हैं। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने हाल ही में भाजपा पर बड़ा आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि भाजपा ने ऐसे उम्मीदवार को विधानसभा सीट पर जीत दिलाई था, जिस पर 28 मुकदमे दर्ज थे। डोटासरा ने इस मामले को लेकर उपचुनाव की चुनौती का जिक्र करते हुए कहा कि अब भाजपा को इसका परिणाम भुगतना पड़ रहा है।
डोटासरा ने मीडिया से बातचीत में कहा, “भाजपा ने जनता के विश्वास को नजरअंदाज करते हुए ऐसे व्यक्ति को जिताया, जिस पर आपराधिक मामले दर्ज हैं। अब जनता अपनी समझ दिखा रही है और उपचुनाव में कांग्रेस को इसके सकारात्मक परिणाम दिखाई दे रहे हैं। हमारे समर्थन में जनसंपर्क और वोटर उत्साह लगातार बढ़ रहा है।”
प्रदेश अध्यक्ष ने यह भी कहा कि इस बार जनता ने साफ संदेश दे दिया है कि विकास, ईमानदारी और पारदर्शिता को ही प्राथमिकता दी जाएगी। उन्होंने भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी पार्टी ने केवल सत्ता और राजनीतिक फायदे के लिए उम्मीदवारों का चयन किया, जिससे जनता का गुस्सा अब सामने आ रहा है।
राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, डोटासरा के बयान का सीधा असर आगामी उपचुनावों पर पड़ सकता है। उनका कहना है कि प्रदेश में कांग्रेस की पकड़ मजबूत हो रही है और कई क्षेत्रों में भाजपा के लिए चुनौती बढ़ रही है। विश्लेषक यह भी मानते हैं कि भाजपा के उम्मीदवारों के खिलाफ आपराधिक मामलों का मुद्दा कांग्रेस के लिए चुनावी लाभ में बदल सकता है।
कांग्रेस नेता यह भी बता रहे हैं कि पार्टी ने जनता के बीच पहुंच बढ़ा दी है। ग्रामीण और शहरी इलाकों में कांग्रेस कार्यकर्ता मतदाताओं के बीच सक्रिय हैं और विकास कार्यों तथा जनहित के मुद्दों को जोर-शोर से उठा रहे हैं। डोटासरा ने कहा कि यह जनता का समर्थन उनके पक्ष में निर्णायक साबित होगा।
राजनीतिक हलकों में यह भी चर्चा है कि डोटासरा का बयान भाजपा को सीधे निशाने पर लेता है और आगामी चुनावों में इसका राजनीतिक और नैतिक प्रभाव दिखाई देगा। भाजपा की प्रतिक्रिया अभी सामने नहीं आई है, लेकिन सूत्रों का कहना है कि पार्टी इसे लेकर जवाब देने की योजना बना रही है।
इस बीच, राजनीतिक पार्टियों के बीच मतदाताओं को लुभाने की कोशिशें तेज हो गई हैं। उपचुनाव में जनता का रुझान और उम्मीदवारों की छवि निर्णायक भूमिका निभा सकती है। डोटासरा के बयान ने कांग्रेस की स्थिति को सुदृढ़ करने में मदद की है, जबकि भाजपा को इस मामले में अपनी रणनीति पर फिर से विचार करना पड़ सकता है।
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