अजमेर स्मार्ट सिटी परियोजना के तहत 11.64 करोड़ रुपये की लागत से बने 'सेवन वंडर्स पार्क' को हटाने के लिए सुप्रीम कोर्ट द्वारा दी गई समय सीमा 17 सितंबर को समाप्त हो रही है। छह महीने पहले कोर्ट ने इसे हटाने के आदेश दिए थे, लेकिन अजमेर विकास प्राधिकरण द्वारा जारी टेंडर प्रक्रिया अटक गई थी। केवल एक कंपनी द्वारा बोली लगाने के कारण टेंडर रद्द करना पड़ा था और अब नया टेंडर प्रक्रियाधीन है।
कोर्ट के आदेश को लेकर प्रशासन असमंजस में
जिला प्रशासन ने सुप्रीम कोर्ट को हलफनामा देकर आश्वासन दिया था कि 17 सितंबर तक पार्क हटा दिया जाएगा। वहीं, याचिकाकर्ता अशोक मलिक ने चेतावनी दी है कि यदि निर्धारित तिथि तक कार्रवाई नहीं की गई तो 18 सितंबर को कोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाएगा। इस मामले की सुनवाई 26 अगस्त को होनी थी, लेकिन मामला सूचीबद्ध न होने के कारण इसे स्थगित कर दिया गया। अब अगली सुनवाई की तारीख भी तय नहीं है।
इन स्मारकों का निर्माण 11.64 करोड़ रुपये की लागत से हुआ है। 'सेवन वंडर्स पार्क' में ताजमहल, एफिल टॉवर, पीसा की झुकी हुई मीनार, मिस्र के पिरामिड, रोम के कोलोसियम, स्टैच्यू ऑफ़ लिबर्टी और रियो डी जेनेरियो के क्राइस्ट द रिडीमर की प्रतिकृतियाँ बनाई गई थीं। सुप्रीम कोर्ट ने प्रशासन की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए कहा था कि "ऐसा नहीं लगता कि आप अजमेर को स्मार्ट बनाना चाहते हैं।" कोर्ट ने कहा था कि जल निकायों और आर्द्रभूमि पर अतिक्रमण शहर की स्मार्ट सिटी योजना के खिलाफ है।
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