देशभर में प्रसिद्ध सालासर बालाजी के लिए मंगलवार से नई बस सेवा शुरू हो गई है। झुंझुनूं डिपो के मुख्य प्रबंधक गिरिराज स्वामी ने बताया कि अब राजस्थान के झुंझुनूं रोडवेज डिपो से चूरू जिले में स्थित सालासर बालाजी के दर्शन करना श्रद्धालुओं के लिए आसान हो जाएगा। यह बस झुंझुनूं से सीकर जिले के लक्ष्मणगढ़ होते हुए सालासर जाएगी, जिससे श्रद्धालुओं को अब यात्रा के दौरान बस बदलने की परेशानी नहीं होगी। यह बस झुंझुनूं डिपो से रोजाना सुबह 6:30 बजे रवाना होकर करीब 9:00 बजे सालासर पहुंचेगी।
वापसी में यह बस सुबह 9:30 बजे सालासर से रवाना होकर करीब 12 बजे झुंझुनूं पहुंचेगी। यह सेवा खासकर उन श्रद्धालुओं के लिए फायदेमंद रहेगी जो बालाजी के दर्शन के लिए नियमित यात्रा करते हैं। नई व्यवस्था से यात्रियों में काफी उत्साह है। वहीं कई श्रद्धालुओं का कहना है कि सालासर से वापसी अब सुबह 9:30 बजे होगी। ऐसे में आधे घंटे में दर्शन कर बस स्टैंड पर वापस लौटना मुश्किल होगा। ऐसे में बस को सुबह साढ़े दस से 11 बजे के बीच सालासर से वापस भेजा जाए, ताकि श्रद्धालु दो घंटे में दर्शन कर उसी बस से झुंझुनूं लौट सकें। या फिर इस बस को सालासर से आगे लाडनूं या जसवंतगढ़ तक बढ़ाने से भी श्रद्धालुओं को फायदा होगा।
400 किमी की दूरी तय करेगी
इसके अलावा झुंझुनूं से उदयपुरवाटी होते हुए सीकर के लिए भी नई बस शुरू की गई है। इसके अलावा सूरजगढ़ के काजड़ा के लिए भी नई बस सेवा शुरू की गई है। स्वामी ने बताया कि इसके अलावा अब डिपो की सभी 77 शेड्यूल बसें रोजाना कम से कम 400 किमी की दूरी तय करेंगी। यह बड़ा बदलाव है, क्योंकि पहले सिर्फ 51 शेड्यूल ही इस मापदंड को पूरा करते थे, जबकि शेष 26 शेड्यूल कम दूरी तक ही सीमित थे। इस नई पहल का सीधा फायदा आम यात्रियों को होगा, जिससे उनकी यात्रा और सुगम व सुविधाजनक हो जाएगी।
रोडवेज को मिलेगा आर्थिक लाभ
छोटी दूरी की बसें रोडवेज के लिए घाटे का सौदा साबित हो रही थीं। उन्होंने स्पष्ट किया, 400 किलोमीटर प्रतिदिन संचालन की नीति से अब प्रत्येक बस की उपयोगिता और रिटर्न दोनों में बढ़ोतरी होगी। इससे परिचालन लागत वसूल होगी और आय में उल्लेखनीय वृद्धि होगी। यह कदम रोडवेज डिपो की वित्तीय स्थिति को मजबूत करने में सहायक होगा।
तकनीक के जरिए निगरानी
नई व्यवस्था में बसों की जीपीएस ट्रैकिंग, टिकटिंग में पारदर्शिता और समयबद्ध यात्राएं सुनिश्चित की गई हैं। प्रत्येक बस की माइलेज, डीजल की खपत और परिचालकों की ड्यूटी पर कड़ी निगरानी रखी जा रही है। इस तकनीकी निगरानी से बसों का संचालन अधिक कुशल और जवाबदेह होगा।
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