अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के व्यापार सलाहकार पीटर नवारो ने भारत के रूसी तेल ख़रीदने पर फिर बयान दिया है.
नवारो ने कहा है कि 'ब्राह्मण' भारतीय लोगों की क़ीमत पर मुनाफ़ा कमा रहे हैं और इसे 'रोकने' की ज़रूरत है.
ट्रंप सरकार में व्यापार मामलों के वरिष्ठ सलाहकार नवारो ने फ़ॉक्स न्यूज़ संडे को दिए एक में कहा, "पीएम मोदी एक महान नेता हैं. ये समझ नहीं आ रहा है कि भारतीय नेता रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग के साथ कैसे सहयोग कर रहे हैं? जबकि भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र है."
नवारो ने कहा, "तो मैं बस इतना ही कहूँगा, भारतीय लोगों, कृपया समझें कि यहाँ क्या हो रहा है. ब्राह्मण, भारतीय लोगों की क़ीमत पर मुनाफ़ा कमा रहे हैं. हमें इसे रोकना होगा."
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राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की व्यापार और टैरिफ़ नीतियों को लेकर अमेरिका और भारत के बीच संबंधों में आई दरार के बाद नवारो पिछले कुछ दिनों से लगातार भारत पर निशाना साध रहे हैं.
ट्रंप ने भारत पर 25 प्रतिशत रेसिप्रोकल टैरिफ़ लगाया था. बाद में भारत के रूसी तेल ख़रीदने पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ़ लगाया है.
जबकि भारत ने इसे 'अनुचित और अव्यावहारिक' कहा है. भारत का कहना है कि वो 'जहाँ से भी सस्ता तेल मिलेगा, ख़रीदना जारी रखेगा.'
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नवारो से पूछा गया कि क्या सिर्फ़ भारत पर अतिरिक्त टैरिफ़ से पुतिन 'क़ाबू' में आ जाएँगे, क्योंकि रूसी तेल तो चीन भी ख़रीदता है.
इसके जवाब में नवारो ने कहा, "ठीक है, एक बात साफ़ है कि भारत पर अभी 50 प्रतिशत टैरिफ़ है, लेकिन चीन पर भी 50 प्रतिशत से थोड़ा ज़्यादा टैरिफ़ है. तो सवाल यह है कि हम ख़ुद को नुक़सान पहुँचाए बिना इसे कितना और बढ़ाना चाहते हैं?"
नवारो ने कहा कि फ़रवरी 2022 में पुतिन के यूक्रेन पर आक्रमण करने से पहले, भारत रूसी तेल नहीं ख़रीदता था.
नवारो ने कहा, "फिर क्या हुआ? ख़ैर, रूसी रिफ़ाइनरियाँ भारत में घुस गईं और बड़ी तेल कंपनियों के साथ गठजोड़ कर लिया. पुतिन मोदी को कच्चे तेल पर छूट देते हैं. वे इसे रिफ़ाइन करते हैं और इसे यूरोप, अफ़्रीका और एशिया में भारी प्रीमियम पर भेजते हैं और ख़ूब पैसा कमाते हैं."
उन्होंने कहा, "तो इसमें ग़लत क्या है? दरअसल इससे 'रूसी युद्ध मशीन' को बल मिलता है. रूस से कच्चे तेल की ख़रीद का बचाव करते हुए भारत यह कहता रहा है कि उसकी ऊर्जा ख़रीद राष्ट्रीय हित से प्रेरित है."
"यूक्रेन पर आक्रमण के बाद पश्चिमी देशों ने रूस के कच्चे तेल पर प्रतिबंध लगा दिए थे. इसके बाद से रूस भारत का शीर्ष ऊर्जा आपूर्तिकर्ता बनकर उभरा है."
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नवारो ने आरोप लगाया, "यह यूक्रेन के लोगों का नुक़सान करता है. और करदाताओं के तौर पर हमें जो करना है, वह यह है कि हमें उन्हें और पैसा भेजना होगा ताकि यूक्रेन अपनी रक्षा कर सके. और इसके अलावा, 50 प्रतिशत में से 25 प्रतिशत टैरिफ़ इसलिए है, क्योंकि भारत टैरिफ़ का 'महाराजा' है."
उन्होंने दावा किया, "दुनिया में सबसे ज़्यादा टैरिफ़ वही (भारत) लगाता है. इसलिए वे हमें ढेर सारी चीज़ें निर्यात करते हैं, और हमें उन्हें बेचने नहीं देते. तो नुक़सान किसे होगा? अमेरिकी मज़दूरों, अमेरिकी करदाताओं और रूसी ड्रोन हमलों में मरने वाले यूक्रेन के लोगों को."
पीटर नवारो इससे पहले भी यूक्रेन युद्ध को लेकर भारत और पीएम मोदी की आलोचना कर चुके हैं.
पहले उन्होंने यूक्रेन संघर्ष को 'मोदी का युद्ध' बताया था.
पिछले हफ़्ते बुधवार को अमेरिकी टैरिफ़ की नई दरें लागू होने के कुछ ही घंटों बाद पीटर नवारो ने भारत के ख़िलाफ़ हमला बोला था.
नवारो ने में यहाँ तक कह दिया कि रूस-यूक्रेन का युद्ध दरअसल 'मोदी का युद्ध' है.
नवारो ने कहा, "भारत जो कर रहा है, उसकी वजह से अमेरिका में हर कोई नुक़सान उठाता है. उपभोक्ता और कारोबार सब नुक़सान में हैं और मज़दूर भी इसलिए नुक़सान उठाते हैं क्योंकि भारत के ऊँचे टैरिफ़ हमारी नौकरियाँ, कारख़ाने, कमाई और बेहतर वेतन के मौक़े कम कर देते हैं. और फिर टैक्स देने वालों को भी नुक़सान होता है, क्योंकि हमें 'मोदी के युद्ध' के लिए पैसा देना पड़ता है."
जब ब्लूमबर्ग ने उनसे पूछा कि क्या उनका मतलब 'पुतिन का युद्ध' था, तो नवारो ने कहा, "मेरा मतलब 'मोदी का युद्ध' ही है, क्योंकि शांति का रास्ता कुछ हद तक भारत से होकर जाता है."
उन्होंने इस इंटरव्यू में आगे कहा, "मुझे जो बात परेशान करती है, वह यह है कि भारतीय इस मुद्दे पर बहुत अहंकारी हैं. वे कहते हैं, 'अरे, हमारे यहाँ ऊँचे टैरिफ़ नहीं हैं. अरे, यह हमारी संप्रभुता है. हम जहाँ चाहें, जिससे चाहें तेल ख़रीद सकते हैं.' भारत, तुम दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र हो, ठीक है, वैसे ही बर्ताव करो."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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