(नोट: इस कहानी को अपडेट किया गया है. पहली बार ये कहानी बीबीसी हिंदी पर दो मई को प्रकाशित हुई थी)
पाकिस्तान सरकार ने सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर को अब फ़ील्ड मार्शल बनाने का फ़ैसला किया है.
साथ ही पाकिस्तान सरकार ने एयर चीफ़ मार्शल ज़हीर अहमद बाबर सिद्धू का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी उन्हें इसी पद पर बनाए रखने का फ़ैसला लिया है.
ये दोनों फ़ैसले प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट बैठक में लिए गए.
प्रधानमंत्री कार्यालय की प्रेस विज्ञप्ति में बताया गया है, "जनरल आसिम मुनीर को यह पदोन्नति उनके बहादुर नेतृत्व, रणनीतिक सोच और भारत के ख़िलाफ़ चलाए गए सैन्य अभियान में निभाई गई अहम भूमिका के कारण दी गई है."
बयान में यह भी कहा गया कि प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ ने इस फै़सले से पहले राष्ट्रपति आसिफ़ अली ज़रदारी से मुलाकात कर उन्हें भरोसे में लिया था.
पाकिस्तान सरकार के इस फ़ैसले पर जनरल आसिम मुनीर ने कहा, "मैं यह सम्मान पूरे देश, पाकिस्तान की सशस्त्र सेनाओं, विशेषकर नागरिक और सैन्य शहीदों और दिग्गजों को समर्पित करता हूं."
"मैं पाकिस्तान के राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिमंडल के विश्वास के लिए आभारी हूं."
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए एक हमले में 25 पर्यटकों समेत 26 लोगों की मौत हो गई थी.
भारत ने इसके बाद छह और सात मई की दरमियानी रात को पाकिस्तान और पाकिस्तान प्रशासित कश्मीर में हवाई हमले किए और कई 'आतंकवादी ठिकानों' को नष्ट करने का दावा किया.
इसके बाद भारत और पाकिस्तान के सीमावर्ती इलाकों में सैन्य संघर्ष शुरू हो गया था और दोनों ही देशों ने दावा किया था कि उन्होंने इस संघर्ष में बढ़त हासिल की.
इसके बाद 10 मई को दोनों देशों ने सैन्य कार्रवाई रोकने का एलान कर दिया.
इस पूरे घटनाक्रम के दौरान जनरल आसिम मुनीर काफ़ी चर्चा में थे.
उनका नाम भारत और पाकिस्तान के अलावा दुनिया की कई राजधानियों में लिया जा रहा है.
जनरल आसिम मुनीर ने पहलगाम हमले से कुछ दिन पहले ही कश्मीर को लेकर एक बयान दिया था.
इस बयान ने पाकिस्तान की सैन्य नीति और घाटी में तनाव बढ़ाने में पाकिस्तान की भूमिका पर बहस छेड़ दी थी.
जनरल आसिम मुनीर कौन हैं?
आसिम मुनीर ने जिन शब्दों और जिस लहज़े का इस्तेमाल किया उसे कई विश्लेषकों ने उनके नेतृत्व में पाकिस्तान की सेना को टकराव की तरफ़ बढ़ने के रूप में देखा.
जनरल आसिम मुनीर को पाकिस्तान का सबसे ताक़तवर व्यक्ति माना जाता है. यानी एक ऐसे देश का सबसे ताक़तवर व्यक्ति जिसकी सेना पर लंबे समय से राजनीति में दख़ल देने, सरकारों को बनाने और गिराने जैसे आरोप लगते रहे हैं.
पहलगाम के बाद तनाव एक बार फिर बढ़ रहा है और जनरल आसिम मुनीर को इस परमाणु शक्ति संपन्न क्षेत्र में एक केंद्रीय व्यक्ति के रूप में देखा जा रहा है.
तो पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल आसिम मुनीर कौन हैं और उन्हें कौन सी चीज़ें प्रभावित करती हैं?
जनरल आसिम मुनीर लगभग साठ साल के हैं. वे एक स्कूल के प्रिंसिपल और एक धार्मिक विद्वान के बेटे हैं. वे साल 1986 में ऑफ़िसर्स ट्रेनिंग स्कूल मंगला में ट्रेनिंग पूरी करने के बाद पाकिस्तानी सेना में भर्ती हुए.
अपनी लगभग चार दशक की सैन्य सेवा के दौरान जनरल आसिम मुनीर ने पाकिस्तान की संवेदनशील उत्तरी सीमाओं पर सेना की कमान संभाली.
उन्होंने पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसियों का नेतृत्व किया. इसके साथ ही सऊदी अरब के साथ रक्षा संबंधों को मज़बूत करने के लिए सऊदी अरब में भी काम किया.
उनके पास इस्लामाबाद की नेशनल डिफ़ेंस यूनिवर्सिटी से पब्लिक पॉलिसी और रणनीतिक सुरक्षा प्रबंधन में मास्टर्स डिग्री भी है. इसके अलावा उन्होंने जापान और मलेशिया के सैन्य संस्थानों में भी पढ़ाई की है.
जनरल आसिम मुनीर साल 2022 में पाकिस्तान की सेना के प्रमुख बने थे. उन्होंने ऐसे समय में देश की सेना की कमान संभाली थी जब पाकिस्तान राजनीतिक और आर्थिक संकट से गुज़र रहा था. पाकिस्तान की जनता सरकार और शासन से जुड़े मामलों में सेना के कथित दख़ल से हताश थी.
पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान और उनके बीच सार्वजनिक मतभेदों की वजह से उनकी नियुक्ति कई महीनों की अटकलों के बाद ही संभव हुई थी.
जनरल आसिम मुनीर सिर्फ़ आठ महीनों तक पाकिस्तान की ख़ुफ़िया एजेंसी आईएसआई (इंटर सर्विसेज़ इंटेलिजेंस) के प्रमुख थे. तत्कालीन प्रधानमंत्री इमरान ख़ान ने उन्हें पद से हटा दिया था.
जब उन्हें आईएसआई के प्रमुख के पद से हटाया गया था तब कई विश्लेषकों का ये मानना था कि इमरान ख़ान का ये क़दम व्यक्तिगत और राजनीतिक था.
हालांकि दोनों ही पक्ष इसे नकारते रहे हैं. आईएसआई प्रमुख पद से हटाना इमरान ख़ान और जनरल मुनीर के रिश्तों में अहम पड़ाव साबित हुआ.
आज पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान भ्रष्टाचार के मामलों में जेल में बंद है और जनरल मुनीर पाकिस्तान के सबसे ताक़तवर व्यक्ति हैं.
कई विश्लेषक ये मानते हैं कि जनरल मुनीर अपनी शैली और मिजाज़ में पूर्ववर्ती सेना प्रमुख जनरल क़मर बाजवा से अलग हैं.
जनरल बाजवा सार्वजनिक रूप से अधिक सक्रिय नज़र आते थे. वो पर्दे के पीछे से भारत के साथ कूटनीतिक संबंधों के समर्थक थे.
साल 2019 में जब पुलवामा हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव बढ़ा तब जनरल क़मर बाजवा ने सावधानीपूर्वक हालात संभाल रहे थे.
बाजवा के काम करने के तरीक़े को 'बाजवा सिद्धांत' के रूप में जाना गया. इसके तहत जनरल बाजवा ने क्षेत्रीय स्थिरता और वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ-साथ पारंपरिक सुरक्षा प्राथमिकताओं को भी लेकर चलने पर ज़ोर दिया.

भारत में पाकिस्तान के उच्चायुक्त रह चुके अब्दुल बासित कहते हैं, "जनरल बाजवा ने कूटनीतिक रास्ते खुले रखे थे. वे कश्मीर के अलावा अफ़ग़ानिस्तान और अमेरिकी सैनिकों की वापसी जैसे कई मोर्चों को व्यवहारिक रूप से संभाल रहे थे."
उन्होंने बीबीसी को बताया, "वे ऐसे समय में आए हैं जब उन्हें देश की आंतरिक सुरक्षा की स्थिति को मज़बूत करने के अधूरे एजेंडे को पूरा करना है. उनके सामने बढ़ता उग्रवाद, राजनीतिक अस्थिरता, आर्थिक संकट और क्षेत्रीय तनाव जैसी गंभीर समस्याएं हैं और उन पर तुरंत काम करने की ज़रूरत है. उनके पास अपने पूर्ववर्ती जनरल बाजवा की तरह दीर्घकालिक रणनीति बनाने का समय नहीं हैं."
अब्दुल बासित कहते हैं, "उन्हें आंतरिक रूप से और बाहरी स्तर पर भी त्वरित, सही समय पर और मज़बूत निर्णय लेने की ज़रूरत है."
आसिम मुनीर ने कश्मीर पर ऐसा क्यों कहा था?विश्लेषक मानते हैं कि कश्मीर का मुद्दा ऐसा है जिस पर कोई भी पाकिस्तानी सैन्य नेतृत्व नरमी बरतते हुए नहीं दिखना चाहेगा.
जनरल आसिम मुनीर ने सेना प्रमुख के रूप में कमान संभालने के बाद से बहुत अधिक सार्वजनिक बयान नहीं दिए हैं. लेकिन 17 अप्रैल को दिए उनके एक भाषण ने बहुत अधिक ध्यान खींचा है.
इस्लामाबाद में पाकिस्तानी प्रवासियों के एक सम्मेलन में भाषण देते हुए जनरल आसिम मुनीर ने कहा, "हम धर्म से लेकर जीवनशैली तक हर मामले में हिंदुओं से अलग हैं."
इस भाषण में जनरल आसिम मुनीर ने कहा कि पाकिस्तान कश्मीर के लोगों को कभी अकेला नहीं छोड़ेगा.
पाकिस्तानी नेता इससे पहले भी इस तरह के भाषण देते रहे हैं और इस भाषण को भी ऐसा ही माना जाता अगर 22 अप्रैल को पहलगाम में हमला ना हुआ होता.
जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी में दक्षिण एशिया मामलों पर नज़र रखने वाले विश्लेषक जोशुआ टी व्हाइट कहते हैं, "ये कोई सामान्य बयानबाज़ी नहीं थी. हालांकि इस भाषण की सामग्री पाकिस्तान की वैचारिक नैरेटिव जैसी ही है लेकिन लहज़ा, ख़ासकर हिंदू-मुसलमानों के बीच मतभेदों की सीधी बात करना, इस भाषण को ख़ास तौर पर भड़काऊ बनाता है."
वे कहते हैं, "पहलगाम हमले से कुछ दिन पहले दिए गए इस भाषण ने पाकिस्तान के संयम बरतने के दावों या पर्दे के पीछे से कूटनीति करने के प्रयास को गंभीर रूप से जटिल कर दिया है."
अब्दुल बासित भी मानते हैं कि इस बयान को जिस तरह से देखा गया वह नुक़सान पहुंचाने वाला है.
अब्दुल बासित कहते हैं, "कुछ लोगों को लगा कि ये बयान शक्ति प्रदर्शन हैं. ऐसा लग रहा था मानों वो घोषणा कर रहे हों कि सबकुछ उनके कंट्रोल में हैं और पाकिस्तान की कमान एक बार फिर से सेना के हाथ में है."
इस साल की शुरुआत में भी जनरल आसिम मुनीर ने एक भाषण दिया था. इसके आधार पर कुछ लोगों को लगा था कि जनरल मुनीर अपने पूर्ववर्ती सेना प्रमुखों की तुलना में सख़्त रुख़ अपनाएंगे.
5 फ़रवरी को मुज़फ़्फ़राबाद में उन्होंने कहा था, "पाकिस्तान कश्मीर के लिए पहले ही तीन युद्ध लड़ चुका है और अगर ज़रूरत पड़ेगी तो दस और युद्ध लड़ने के लिए तैयार है."
पहलगाम हमले के बाद भारतीय अधिकारियों ने हमले और जनरल आसिम मुनीर के भाषण के बीच कथित संबंध की तरफ़ इशारा किया. इस बयान ने दोनों देशों के बीच पहले से मौजूद अविश्वास को और बढ़ाया है.
पाकिस्तान के भीतर जनरल आसिम मुनीर को ऐसे व्यक्ति के तौर पर देखा जा रहा है जो सोच समझ कर क़दम उठाने वाला और समझौता ना करने वाला है.
9 मई 2023 को पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री इमरान ख़ान की गिरफ़्तारी के बाद जब देश में उथल-पुथल हुई तब जनरल आसिम मुनीर ने इमरान ख़ान के समर्थकों के ख़िलाफ़ कड़ी कार्रवाई शुरू की थी.
इसके बाद आम नागरिकों पर सैन्य क़ानूनों के तहत मुक़दमे शुरू हुए. पाकिस्तानी सेना के एक शीर्ष जनरल को समय से पहले रिटायर कर दिया गया और इमरान ख़ान के क़रीबी माने जाने वाले आईएसआई के पूर्व प्रमुख रिटायर्ड लेफ़्टिनेंट जनरल फ़ैज़ हमीद को गिरफ़्तार कर लिया गया.
आलोचकों ने इसे इमरान ख़ान के समर्थकों का दमन बताया.
हालांकि समर्थकों के मुताबिक़ ये क़दम जनरल बाजवा और जनरल मुनीर दोनों के लिए जनता में बढ़ती सैन्य व्यवस्था की आलोचना को ख़त्म करने के प्रयास थे.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित
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