
बुधवार को भारत में दस ग्राम सोने की कीमत एक लाख 21 हज़ार रुपये से अधिक है. जानकारों को लगता है कि सोने की कीमतों में उछाल आने वाले महीनों में भी जारी रहेगा.
फोर्ब्स इंडिया के मुताबिक़ साल 2000 में प्रति दस ग्राम सोने की कीमत 4,400 रुपए थी. साल 2010 में ये बढ़कर 20,728 हुई और 2020 में 50,151 तक पहुँच गई.
लेकिन पिछले महज़ पांच सालों में सोने की कीमत एक लाख पार कर गई है.
सोने की इन कीमतों में बढ़ोतरी का ये ट्रेंड कब तक जारी रहेगा और क्या निकट भविष्य में ये कीमतें नीचे आ सकती हैं.
भारत में त्योहारी और शादी के सीज़न में गोल्ड की जैसी डिमांड रहती है, उसे देखते हुए जानकारों का मानना है कि सोने की कीमतों में अभी उछाल तो थमता नहीं दिख रहा.
वहींगोल्डमैन सैक्स ने अपनी एक रिसर्च में अनुमान लगाया है कि साल 2026 के मध्य तक गोल्ड की कीमतों में और 6 प्रतिशत का इज़ाफ़ा देखने को मिल सकता है.
गोल्ड के रेट में बेतहाशा होते इज़ाफ़े के पीछे कई कारण हैं.
इसके पीछे का सबसे बुनियादी कारण ये है कि दुनियाभर में कई जगह चल रहे सैन्य संघर्षों और आर्थिक उथल-पुथल के माहौल के बीच लोग गोल्ड को एक सुरक्षित निवेश मानते हैं.
पिछले सालों के ट्रेंड्स देखें तो गोल्ड में निवेश कभी घाटे का सौदा नहीं रहा है.
इकोनॉमिक टाइम्स के मुताबिक, पिछले 20 सालों में सिर्फ़ चार कैलेंडर वर्ष ही ऐसे रहे हैं, जब सोने की कीमतें फिसलीं और निवेशकों को कुछ नुकसान हुआ. हालांकि ये नुक़सान भी सिंगल डिजिट तक ही सीमित रहा.
मसलन साल 2013 में सोने की कीमतें 4.50 फीसदी गिरीं, जबकि 2014 में 7.9 फ़ीसदी, 2015 में 6.65 फ़ीसदी और साल 2021 में गोल्ड की कीमतों में 4.21 फ़ीसदी की गिरावट रही.
इसलिए दुनियाभर के शेयर बाज़ारों में जब उठापटक का माहौल है, टैरिफ़ की अनिश्चितता चरम पर है तो गोल्ड में निवेश बढ़ना लाज़िमी हो जाता है.
मार्केट विश्लेषक आसिफ़ इक़बाल ने इसी साल बीबीसी हिन्दी से बात करते हुए बताया था कि कई निवेशक मौजूदा माहौल में गोल्ड को हेजिंग रणनीति यानी जोखिम से बचाने की रणनीति के रूप में ले रहे हैं. उन्हें आशंका है कि शेयर बाज़ार में नुक़सान हो सकता है इसलिए वो गोल्ड में निवेश का विकल्प देख रहे हैं.
आसिफ़ इक़बाल बताते हैं कि ग्लोबल मार्केट में अनिश्चितता की एक वजह जहां डोनाल्ड ट्रंप हैं, वहीं दूसरी वजह है रूस-यूक्रेन और इसराइल और हमास के बीच जारी युद्ध.
ऐसे में दुनिया में छिड़े संघर्षों ने भी सोने के दामों को प्रभावित किया है.

सोने की क़ीमतों में उछाल की एक और बड़ी वजह है दुनियाभर के सेंट्रल बैंक का बढ़-चढ़कर सोना खरीदना.
डोनाल्ड ट्रंप के कार्यकाल में टैरिफ़ को लेकर बढ़ती अनिश्चितता और ग्लोबल मार्केट में जारी उथल-पुथल को देखते हुए दुनियाभर के केंद्रीय बैंक अधिक से अधिक गोल्ड खरीद रहे हैं.
इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, सोने की बढ़ती कीमतों के बावजूद दुनियाभर के केंद्रीय बैंक सोने की ख़रीदारी कर रहे हैं ताकि अपने फ़ॉरेन एक्सचेंज को डायवर्सिफाई कर सकें और अमेरिकी डॉलर पर अपनी निर्भरता कम करें.
वर्ल्ड गोल्ड काउंसिल के आंकड़ों के मुताबिक़, बीते अगस्त महीने में दुनियाभर के केंद्रीय बैंकों ने नेट 15 टन सोना अपने भंडार में जोड़ा है.
गोल्डमैन सैक्स की रिपोर्ट के मुताबिक़ अगर अमेरिकी फ़ेडरल रिज़र्व ब्याज़ दरों में कटौती करता है तो निवेशकों का रुख़ सोने की तरफ़ बढ़ता है और जब ज़्यादा से ज़्यादा लोग सोने में निवेश करने लगते हैं तो सोने की कीमत भी बढ़ती है.
डी डॉलराइजेशन भी एक वजहजानकार कहते हैं कि जब कोई देश डॉलर से दूर जाता है या दूरी बनाता है तो यह डी-डॉलराईजेशन कहलाता है.
अक्सर देश अपने फॉरेक्स रिजर्व में डॉलर या यूएस बॉन्ड रखते हैं और इसे लगातार बढ़ाते रहते हैं. इसकी वजह ये है कि कच्चा तेल या दूसरे सामान का आयात करने के लिए उन्हें भुगतान डॉलर में करना पड़ता है.
सालों से डॉलर को लेकर यही रुख चलता आया है.
लेकिन, हाल के वर्षों में अमेरिका की नीतियों से डॉलर को लेकर कई देशों में आशंका पैदा हुई है. साल 2015 और 2016 के बाद अमेरिका ने रूस पर कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं. उसके बाद से ही कुछ देश डॉलर को लेकर अहसज रहे हैं.
लोग अभी भी ख़रीद रहे हैं सोना?भारत समेत एशियाई देशों में सोने को पूंजी के रूप में देखा जाता है.
सोना ख़रीदना भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है. दिवाली, नवरात्रि जैसे त्योहार हों या शादी, निक़ाह जैसे फंक्शन भारतीयों के लिए सोना ख़रीदना अहम हो जाता है.
दुनियाभर में अलग-अलग देशों के लोग औसतन अपनी कमाई का जहां 2 से 3 फ़ीसदी गोल्ड के रूप में रखते हैं, वहीं भारत में ये हिस्सेदारी 16 फ़ीसदी तक है.
चीन के बाद दुनिया में गोल्ड का सबसे बड़ा कंज्यूमर देश भारत ही है.
ऐसे में आपके मन में सवाल उठ सकता है कि सोने के आसमान छूते दामों के बीच भी क्या भारतीय उसी रफ़्तार से गोल्ड खरीद रहे हैं या ये रफ़्तार थोड़ी धीमी पड़ी है?

- शेयर बाज़ार या सोना किसमें पैसा लगाना है फ़ायदेमंद- पैसा वसूल
इंडिया बुलियन एंड ज्लैवर्स एसोसिएशन के प्रवक्ता सुरिंदर मेहता का कहना है कि जूलरी की बिक्री में 27 प्रतिशत की गिरावट हुई है पर सिक्के और बुलियन के सेल में इज़ाफ़ा हुआ है. पूरे भारत में लोग धड़ल्ले से सोना ख़रीद रहे हैं. बड़े शहरों की तुलना में छोटे शहरों और क़स्बों में लोग सोना ज़्यादा खरीद रहे हैं.
हमने सुरिंदर मेहता से पूछा कि इस बार धनतेरस पर सोने की बिक्री कैसी रहेगी?
उन्होंने जवाब में कहा, ''मुझे लगता है बीते सालों की तुलना में इस साल दीपावली पर गोल्ड की रिकॉर्ड सेल होगी.''
क्या लोगों में जूलरी एक्सचेंज का भी चलन बढ़ा है?
इस सवाल के जवाब में सुरिंदर कहते हैं, ''पुराने गहनों के बदले नए और ट्रेंडी गहने ख़रीदने का मार्केट अब तकरीबन 30 प्रतिशत का हो चुका है. कई लोगों को लग सकता है कि गोल्ड रेट में बढ़ोतरी के कारण लोग कम कैरेट के गोल्ड खरीद रहे होंगे लेकिन ऐसा नहीं है. 18 कैरेट, 20 कैरेट के सोने के गहने लोग खरीद तो रहे हैं लेकिन ज़्यादातर लोग अभी भी 22 कैरेट की जूलरी ही खरीदना चाहते हैं.''
कोई व्यक्ति अपने घर में कितना सोना रख सकता है?
भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के एकबयान के अनुसार, गोल्ड और आभूषण रखने की कोई सीमा नहीं है, बशर्ते की यह स्पष्ट स्रोतों से अर्जित किया गया हो.
कोई भी व्यक्ति अपनी आय के अनुसार कितना भी सोना खरीद या रख सकता है, बशर्ते पूछे जाने पर या जांच होने पर उसे इसके वैध स्रोत के बारे में पता हो. ज़रूरत पड़े तो बिल और रसीदें भी हों.
केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अनुसार , घोषित आय, छूट प्राप्त आय (जैसे कृषि आय), "उचित सेविंग या स्पष्ट योग्य स्रोतों जैसे विरासत में मिली क़ानूनी संपत्ति से की गई सोने की खरीद पर कर नहीं लगेगा.
भारत के वित्त मंत्रालय के अनुसार, एक विवाहित महिला 500 ग्राम तक सोना और एक अविविहित महिला 250 ग्राम तक सोना रख सकती है.
इसके साथ ही, विवाहित और अविवाहित दोनों पुरुष 100 ग्राम तक सोना रख सकते हैं.
कहां मिलता है सबसे सस्ता सोना?गोल्ड के रेट अलग-अलग देशों में अलग-अलग होते हैं और ये कई फैक्टर्स पर डिपेंड करता है.
मसलन उस देश के सेंट्रल बैंक्स में कितना गोल्ड रिज़र्व है और वहां अमेरिकी डॉलर कितना मजबूत है. साथ ही ये गोल्ड की सप्लाई और डिमांड पर भी निर्भर करता है. इसके अलावा स्थानीय टेक्स भी सोने के मूल्य को प्रभावित करते हैं.
बिज़नेस वेबसाइट फोर्ब्स के मुताबिक भारत और कई अन्य देशों के मुक़ाबले बहरीन, कुवैत, मलेशिया, ओमान, क़तर, सऊदी अरब, सिंगापुर, दुबई, अमेरिका और पेरू में गोल्ड सस्ता है.
- सोने को परखने का पैमाना क्या है, खरीदते हुए इन बातों का ध्यान रखें- पैसा वसूल
एक पुरुष यात्री अपने साथ 20 ग्राम सोना बिना कस्टम ड्यूटी के ला सकता है, लेकिन इसके लिए दो शर्तें हैं- पहली, सोने की कीमत 50 हज़ार रुपये से अधिक नहीं होनी चाहिए और दूसरा यह केवल जूलरी के रूप में होना चाहिए. महिलाओं के मामले में ये सीमा 40 ग्राम और एक लाख रुपये तक की है. इससे अधिक सोना ला रहे हैं तो कस्टम ड्यूटी चुकानी होगी.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.
- उथल-पुथल भरे इस दौर में सोना ख़रीदना कितना सुरक्षित है
- सोना रिकॉर्ड ऊंचाई पर, क्यों बढ़ रही हैं कीमतें और क्या निवेश का यह सही समय है
- सोने की क़ीमत रिकॉर्ड स्तर पर, इस उछाल के पीछे क्या है वजह
You may also like
अखिलेश से मुलाकात में आजम ने दिखाया दबदबा, 'जेल में सुधारने' वाले रामपुर के सांसद 70 Km दूर ही ठहरे रहे
Mumbai: 'प्रमिला बार एंड रेस्टोरेंट' में चोरी-छिपे चल रहा था वेश्यावृत्ति का धंधा!
PM Modi: अमेरिका या कांग्रेस, पीएम मोदी के निशाने पर कौन? मुंबई में 26/11 हमले का जिक्र कर खूब सुनाया
ये है दुनिया की सबसे अमीर और सुंदर` क्रिकेटर 5 साल में टूटी शादी। कम उम्र के खिलाड़ी से है संबंध
जानिए अफगानिस्तान की बच्चाबाजी प्रथा के बारे में,` जो खड़े कर देगी आपके रोंग…