पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकाता के एक लॉ कॉलेज में एक छात्रा के साथ रेप के आरोप में पुलिस ने तीन लोगों को गिरफ़्तार किया है. इनमें कॉलेज का एक पूर्व छात्र भी शामिल है.
इस बीच अभियुक्त के तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद (टीएमसीपी) से जुड़े होने के दावों ने मामले को राजनीतिक रंग भी दे दिया है.
विपक्षी दलों ने तृणमूल कांग्रेस और उसके नेतृत्व वाली सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस्तीफ़ा मांगा है. कई अन्य संगठनों ने इस मामले के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन किया है.
हालांकि, टीएमसीपी ने इन दावों को ख़ारिज किया है और कहा है कि मुख्य अभियुक्त कई सालों से उनके संगठन में सक्रिय नहीं थे. हालांकि, उन्होंने ये बताया कि वह कॉलेज में अस्थायी कर्मचारी के तौर पर काम कर रहे थे.
राष्ट्रीय महिला आयोग ने इस घटना का स्वतः संज्ञान लेते हुए कोलकाता के पुलिस आयुक्त से तीन दिनों के भीतर विस्तृत कार्रवाई रिपोर्ट मांगी है. आयोग की अध्यक्ष विजया रहाटकर ने पुलिस आयुक्त को भेजे पत्र में इस घटना पर चिंता जताते हुए इसकी गंभीरता से जांच की मांग की है. साथ ही छात्रा को हरसंभव मदद देने का निर्देश दिया है.
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पुलिस ने बताया कि छात्रा की शिकायत के आधार पर तीनों अभियुक्तों को गिरफ्तार किया गया है. इन तीनों को शुक्रवार को एक स्थानीय अदालत में पेश करने के बाद चार दिनों की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया.
इस मामले ने 2024 में कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक जूनियर डॉक्टर के साथ रेप के बाद हत्या की यादों को ताज़ा कर दिया है.
उस समय शैक्षणिक परिसरों में सुरक्षा का मुद्दा भी उठा था. उस मामले के एकमात्र अभियुक्त को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है.
पुलिस के एक अधिकारी ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बीबीसी हिंदी को बताया, "साउथ कोलकाता लॉ कॉलेज परिसर में यह घटना 25 जून को शाम साढ़े सात से रात 10.50 बजे के बीच हुई."
छात्रा ने कस्बा थाने में इसकी लिखित शिकायत की है. उसके बाद पार्क सर्कस के नेशनल मेडिकल कालेज में छात्रा की मेडिकल जांच कराई गई और उनका बयान रिकॉर्ड किया गया है.
पुलिस ने युवती की शिकायत के आधार पर एफ़आईआर दर्ज कर इस घटना की जांच शुरू की.
उसके बाद बुधवार शाम को दो अभियुक्तों को गिरफ़्तार किया गया. उनसे मिली जानकारी के आधार पर रात को करीब 12 बजे तीसरे अभियुक्त की गिरफ्तारी हुई.
दो अभियुक्तों के नाम प्रमित मुखर्जी और जे अहमद हैं. ये दोनों उसी कॉलेज में पढ़ते हैं. वहीं तीसरे अभियुक्त का नाम मनोजित मिश्र है, जो कॉलेज के पूर्व छात्र हैं.
पुलिस ने तीनों अभियुक्तों के मोबाइल फोन ज़ब्त कर लिए हैं.
'स्टूडेंट यूनियन का अध्यक्ष बनाने का लालच देकर कॉलेज बुलाया'
शुक्रवार को पुलिस के अलावा फोरेंसिक टीम ने भी घटनास्थल का दौरा किया.
पुलिस के एक अधिकारी ने बताया, "पीड़िता ने बताया है कि उसे टीएमसीपी की कॉलेज यूनियन का अध्यक्ष बनाने का लालच देकर परिसर में बुलाया गया और रेप किया गया."
छात्रा ने पुलिस को बताया है कि बीते बुधवार को संगठन का अध्यक्ष बनाने का वादा कर मनोजित ने उसे कॉलेज में बुलाया था. वो दोपहर 12 बजे के बाद कॉलेज पहुंची थीं. उसके बाद मनोजित ने उनपर शारीरिक संबंध बनाने का दबाव दिया. लेकिन छात्रा ने उसे मानने से इनकार कर दिया. इसके बाद मनोजित और दोनों सहयोगी छात्रा को जबरन खींच कर गार्ड रूम में ले गए. वहां से गार्ड को भगाकर वारदात को अंजाम दिया गया.
पुलिस ने इस मामले में मनोजित मिश्र नामक जिस मुख्य अभियुक्त को गिरफ्तार किया है उनके फेसबुक प्रोफाइल के मुताबिक, वो दक्षिण कोलकाता ज़िला तृणमूल कांग्रेस छात्र परिषद के संगठन सचिव हैं. वो पहले लॉ कॉलेज के टीएमसीपी शाखा के अध्यक्ष भी रहे हैं.
लेकिन तृणमूल छात्र परिषद के प्रदेश अध्यक्ष तृणांकुर भट्टाचार्य ने एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस में कहा, "अभियुक्त को सालों पहले छोटा-मोटा पद दिया गया था न कि यूनियन प्रेसिडेंट का. वह सालों से लॉ कॉलेज में टीएमसीपी की शाखा में भी सक्रिय नहीं थे."
मामले के जानकार सूत्रों के मुताबिक, बाकी दोनों अभियुक्तों के भी टीएमसी के छात्र संगठन से जुड़े होने की ख़बर है लेकिन अभी तक इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है.
इस बीच, सोशल मीडिया पर मुख्य अभियुक्त मनोजित मिश्र के साथ टीएमसीपी और तृणमूल के कई नेताओं की तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल होने लगी हैं. इन नेताओं में टीएमसीपी के प्रदेश अध्यक्ष तृणांकुर भट्टाचार्य भी शामिल हैं.
मंगलवार तक गठित होगी जांच समिति
दक्षिण कोलकाता टीएमसीपी के अध्यक्ष सार्थक बनर्जी ने पत्रकारों से कहा, "जिन अभियुक्तों के संगठन से जुड़े होने का दावा किया जा रहा है वो संगठन में किसी पद पर नहीं है. हम उनको कड़ी से कड़ी सजा देने की मांग करते हैं."
उधर, टीएमसीपी के प्रदेश अध्यक्ष तृणांकुर भट्टाचार्य ने इस सवाल का कोई सीधा जवाब दिए बिना पत्रकारों से कहा, "अभियुक्त तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हों या नहीं, उनको कड़ी सजा दी जानी चाहिए. इस घटना का मुख्य अभियुक्त कॉलेज का अस्थायी कर्मचारी है. वह टीएमसीपी से नहीं जुड़ा है."
लेकिन विपक्ष का आरोप है कि अभियुक्त सक्रिय रूप से टीएमसीपी के साथ जुड़े हैं. मुख्य अभियुक्त तो संगठन का पदाधिकारी भी है.
लॉ कॉलेज की प्रिंसिपल नयना चटर्जी ने शुक्रवार को कहा, "मुझे इस मामले की जानकारी नहीं थी. कॉलेज में सुबह 10 से शाम चार बजे तक क्लास चलती है. यह घटना उसके बाद हुई है.
उन्होंने बताया कि इस घटना का मुख्य अभियुक्त कॉलेज में अस्थायी कर्मचारी के तौर पर काम कर रहा था. उसे 45 दिनों के लिए नियुक्ति दी गई थी. प्रिंसिपल के मुताबिक इस बात की जांच की जा रही है कि कॉलेज का समय खत्म होने के बाद वो परिसर में क्या कर रहे थे.
कलकत्ता विश्वविद्यालय की वाइस-चांसलर शांता दत्त डे का कहना है, "इस घटना पर कानून विशेषज्ञों से सलाह-मशविरा किया जा रहा है. कॉलेज के प्रिंसिपल से घटना की पूरी रिपोर्ट मांगी गई है."
उन्होंने बताया कि मंगलवार तक एक जांच समिति का गठन किया जाएगा. उसके बाद विश्वविद्यालय प्रबंधन कॉलेज की प्रिंसिपल को इसकी लिखित सूचना देगा.
बीजेपी ने सीएम ममता बनर्जी को घेरा
इस बीच, मनोजित के पिता ने पत्रकारों को बताया है कि करीब पांच साल से बेटे से उनका कोई रिश्ता नहीं है. वह घर भी नहीं आता है. कभी-कभार बाहर से ही हाल-चाल पूछ कर लौट जाता है. हालांकि उन्होंने अंदेशा जताया कि उनका बेटा कॉलेज की अंदरूनी राजनीति का शिकार हो सकता है.
पिता ने पत्रकारों को बताया, "मनोजित छोटी उम्र से ही तृणमूल कांग्रेस के प्रति आकर्षित था और कॉलेज में पढ़ने के दौरान सक्रिय राजनीति में शामिल हो गया था."
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी रथ यात्रा के सिलसिले में फिलहाल दीघा में हैं.
विधानसभा में विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने इस पर कटाक्ष करते हुए कहा, "तमाम पुलिस अधिकारी मुख्यमंत्री की सुरक्षा में जुटे हैं. इसी वजह से ऐसी घटना हो गई."
शुभेंदु अधिकारी ने पत्रकारों से बातचीत में कहा, "कानून-व्यवस्था पूरी तरह ढह गई है. इसकी ज़िम्मेदारी लेते हुए ममता बनर्जी को अपने पद से इस्तीफ़ा दे देना चाहिए.अब उनको अपनी कुर्सी पर बने रहने का कोई अधिकार नहीं है. इस घटना ने साबित कर दिया है कि ममता बनर्जी सरकार के शासनकाल में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं."
वहीं बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष सुकांत मजूमदार कहते हैं, "जिस राज्य की मुख्यमंत्री पहले रेप को 'छोटी घटना' बता चुकी हैं, वहां ऐसी घटनाएं स्वाभाविक हैं. शैक्षणिक परिसर में लड़कियों की कोई सुरक्षा नहीं है. जिस कॉलेज में कानून के छात्र पढ़ते हैं, वहीं कानून तोड़ा जा रहा है."
छात्र संगठनों का विरोध प्रदर्शन
विभिन्न संगठनों ने इस घटना के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया है.
डेमोक्रेटिक स्टूडेंट्स यूनियन ने दोपहर के समय इलाके में पोस्ट ऑफिस के सामने प्रदर्शन किया.
वामपंथी छात्र संगठन एसएफआई के प्रदेश सचिव देवांजन डे कहते हैं, "साउथ कलकत्ता लॉ कॉलेज में लंबे समय से तृणमूल छात्र परिषद की दादागिरी चल रही है. पुलिस और प्रशासन ने इस मामले में चुप्पी साध रखी है. मुख्य अभियुक्त के खिलाफ पहले से ही भ्रष्टाचार और रेप की धमकी जैसे कई आरोप हैं."
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के एक नेता ने दावा किया कि मुख्य अभियुक्त टीएमसीपी की दक्षिण कोलकाता शाखा के सचिव हैं. बाकी दोनों अभियुक्त भी तृणमूल छात्र संगठन से जुड़े हैं. एक अन्य संगठन अभया मंच ने कस्बा थाने के सामने प्रदर्शन किया.
कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने भी मौके का दौरा कर छात्रा के परिजनों से मुलाकात की बात कही है. प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष शुभंकर सरकार ने कहा, "हम इस घटना से बेहद चिंतित है. पुलिस प्रशासन के सक्रिय रहने पर राज्य में ऐसी घटनाएं नहीं होती."
विपक्ष के हमलावर होने के बाद तृणमूल कांग्रेस पार्टीने इस घटना की कड़ी निंदा की है. पार्टी ने कहा है कि इस मामले में दोषियों को कड़ी सजा मिलनी चाहिए. पार्टी प्रवक्ता कुणाल घोष ने कहा है कि तृणमूल के हर कार्यकर्ता ने इसकी निंदा की है.

निजी बातचीत में पार्टी के कई नेताओं ने माना है कि आरजी कर की घटना के साथ इस घटना की काफी हद तक समानता है. इससे आगे चल कर सरकार और पार्टी के लिए मुश्किलें पैदा हो सकती हैं.
राजनीतिक विश्लेषक भी मानते हैं कि अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले ऐसी घटनाओं से सत्तारूढ़ पार्टी और सरकार की छवि पर बट्टा लगेगा. विपक्ष इसे मुद्दा बनाने का प्रयास करेगा.
राजनीतिक विशेषक शिखा मुखर्जी कहती हैं,"अभियुक्त तृणमूल कांग्रेस से जुड़े हों या नहीं, राजधानी के किसी शैक्षणिक परिसर में ऐसी घटना काफी गंभीर है. इसके दूरगामी नतीजे होंगे. अगर अभियुक्तों के तृणमूल से जुड़े होने की पुष्टि हो गई तो यह पार्टी की छवि को काफी नुकसान पहुंचा सकता है."
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित