एक महिला की मुलाकात उससे उम्र में 21 साल छोटे युवक से हुई और बात धीरे-धीरे मोहब्बत तक पहुंच गई। रिश्ता इतना गहरा हुआ कि दोनों के दो बच्चे भी हो गए। सब कुछ ठीक चल रहा था, तभी अचानक एक ऐसा चौंकाने वाला सच सामने आया जिसने महिला को भीतर तक हिला दिया, अब वह अपने साथी का सामना करने से कतराने लगी है।
Screenshotमहिला ने खुद ये बात ऑनलाइन कनफेस की. उसने बताया कि वो अपने से 21 साल छोटे एक शख्स से मिली, जिससे उसे प्यार हो गया. उनकी जिंदगी हंसी-खुशी चल रही थी और दो बच्चे भी हो चुके थे. इस परिवार में सब कुछ बढ़िया था, जब तक कि उसे वो सच नहीं पता चला, जिसकी उसके जीवन में भूचाल ला दिया. वो अब अपने पार्टनर से नजर तक नहीं मिला पा रही.
महिला ने अपने वीडियो में बताया कि साल 2015 में, जब वह 21 साल का था, तो मेरी उससे मुलाकात हुई. हम साथ में आए और हमने 2016 में पहला बच्चा और 2017 में दूसरा बच्चा पैदा किया. इसके बाद मुझे पता चला कि वह मेरा अपना बेटा है. उसे महिला ने जन्म के बाद गोद दे दिया था, इसकी वजह से दोनों को ही अपनी असली पहचान पता नहीं थी. वे एक-दूसरे से मिले और फिर ये अजीबोगरीब कहानी बन गई, जिस पर अब महिला को पछतावा हो रहा है.
लोग बोले – ‘किसी को भी कर लेते हो डेट?’जब खून के करीबी रिश्तेदारों के बीच इस तरह के संबंध बन जाते हैं तो इस स्थिति को ‘इंसेस्ट’ कहा जाता है. महिला की यह कहानी ऑनलाइन तेजी से वायरल हो गई, जहां दर्शकों ने हैरानी जताई और सवाल उठाए कि ऐसा कैसे हो सकता है. एक यूजर ने कमेंट किया – अगर आपको पता था कि आपकी उम्र और जन्मदिन के साथ एक बच्चा है, तो आप उससे क्यों डेटिंग करते? वहीं एक यूजर ने लिखा कि मुझे तो भरोसा नहीं हो रहा.
खून के रिश्तों में दो लोग जब बच्चों को जन्म देते हैं, तो इंसेस्ट का जीन पर खतरनाक प्रभाव पड़ता है. मानव डीएनए 23 जोड़े क्रोमोसोम में व्यवस्थित होता है, जिनमें हजारों जीन होते हैं. हर जीन की दो कॉपी होती हैं, जो आंखों का रंग और ब्लड ग्रुप तय करती हैं. कुछ जीन डॉमिनेंट होते हैं, जिनका प्रभाव एक ही कॉपी से दिखता है, जबकि कुछ रिसेसिव होते हैं, जिनके लिए दोनों कॉपी की जरूरत होती है. कई आनुवांशिक बीमारियां जैसे सिस्टिक फाइब्रोसिस रिसेसिव जीन के कारण होती हैं. जब माता-पिता दोनों में रिसेसिव जीन मौजूद हों, तो बच्चे को वह बीमारी होने का खतरा बढ़ जाता है. इसके अलावा नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के 2011 के एक अध्ययन के अनुसार, ऐसे बच्चों में शिशु मृत्यु दर और आनुवांशिक बीमारियों का खतरा अधिक होता है. कई बार करीबी रिश्तेदारों के बच्चे सीखने और मानसिक विकास में बाधाओं का सामना कर सकते हैं.
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