एक गांव में बहुत सारे सांप रहते थे। सांपों के आतंक का डर किसानों के गांव के लोगों में बहुत था। सांप गांव के कई लोगों को डंस चुके थे। जब गांव के एक व्यक्ति की पत्नी गर्भवती हुई तो उसने अपनी पत्नी की रक्षा के लिए नेवले को पाल लिया।
नेवले की वजह से उस व्यक्ति के घर में सांप नहीं आते थे। कुछ दिन बाद गर्भवती महिला को एक बेटा हुआ, जिससे पति और पत्नी दोनों बहुत खुश हुए। उन दोनों ने जो नेवला पाला था, वह पूरे घर की सुरक्षा करते थे। 1 दिन पति को कोई काम था। इस कारण वह घर से गया हुआ था। पत्नी भी मंदिर में भगवान के दर्शन करने के लिए चली गई।
घर में सिर्फ बच्चा था और घर के बाहर नेवला पहरा दे रहा था। जब महिला मंदिर से लौट कर आई तो उसने देखा कि नेवले के मुंह पर खून लगा हुआ है। घर के अंदर भी खून दिख रहा था।
महिला ने सोचा कि इस नेवले ने मेरे बेटे को अकेले देख कर मार डाला, जिस कारण उसके मुंह पर खून लगा हुआ है। महिला रोने लगी और उसे बहुत गुस्सा आ गया। महिला ने वहां पड़े एक बड़े पत्थर को उठाया और उससे नेवले का मुंह कुचल दिया। कुछ ही देर बाद नेवला मर गया।
महिला दौड़ती हुई कमरे में भागी तो उसने देखा कि उसका बेटा तो पलंग पर सो रहा है। लेकिन पलंग के पास सांप के टुकड़े पड़े हुए हैं। महिला को समझ आ गया कि सांप घर में घुस गया था और नेवले ने उसको मार दिया। बाद में महिला को नेवले की हत्या करने का बहुत पछतावा हुआ। लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था।
कहानी की सीख
इस कहानी से हमें शिक्षा मिलती है कि बिना विचार किए कोई भी काम जल्दबाजी में नहीं करना चाहिए। जब तक हमें पूरी बात नहीं पता चल जाती, कोई भी नतीजा नहीं लेना चाहिए। क्रोध में लिए गए निर्णय हमेशा नुकसानदायक साबित होते हैं।
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