जब भी लोग निवेश की शुरुआत करते हैं, तो पहला सवाल होता है- 'क्या खरीदें?' शेयर लें, FD करें या म्यूचुअल फंड में निवेश करें? लेकिन एडेलवाइस म्यूचुअल फंड की CEO राधिका गुप्ता कहती हैं कि असली फर्क तब पड़ता है जब आप सबसे पहले कुछ बुनियादी बातें समझ लेते हैं. उनका कहना है कि निवेश में बिना तैयारी कूदना ऐसा है जैसे तैरना न आने पर भी सीधे स्विमिंग पूल में छलांग लगा देना. पहले यह जानना जरूरी है कि पैसों के साथ कैसे 'तैरना' है. यानी बेसिक्स समझना जरूरी है.
राधिका बताती हैं कि सबसे पहले बचत और निवेश के बीच का फर्क जानिए, फिर धीरे-धीरे अच्छी फाइनेंशियल आदतें बनाइए. ये भी समझिए कि कर्ज कैसे आपकी प्लानिंग बिगाड़ सकता है. इसके साथ ही, जोखिम और रिटर्न का मतलब क्या है, इनका बैलेंस कैसे बनाएं और इन्हें अपने गोल्स के मुताबिक कैसे सेट करें- ये सब भी जानना जरूरी है. इसके साथ ही एक बड़ी सलाह: बीमा और निवेश को अलग-अलग रखें. दोनों जरूरी हैं, लेकिन अगर आप इन्हें एक ही चीज समझ बैठेंगे, तो आपको भारी नुकसान हो सकता है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर राधिका गुप्ता ने इसके बारे में बताते हुए लिखा - मेरे हिसाब से अच्छा निवेश करने से पहले तीन जरूरी बातें समझनी चाहिए.
बचत और निवेश में फर्क क्या है, अच्छी पैसों की आदतें कैसे बनाएं और कैसे कर्ज आपकी प्लानिंग बिगाड़ सकता है- ये पहले समझ लें. फिर ये जानें कि रिस्क और रिटर्न क्या होते हैं, इनका मतलब क्या है और अपने लक्ष्य के अनुसार इन्हें कैसे बैलेंस करें. हर निवेश का फैसला दरअसल इन्हीं दो चीजों पर टिका होता है. आखिरी और बहुत जरूरी बात- सुरक्षा (जैसे बीमा) और निवेश को अलग-अलग रखें. दोनों जरूरी हैं, लेकिन अगर इन्हें मिला देंगे, तो आगे चलकर नुकसान हो सकता है.
अच्छा निवेश प्रोडक्ट से नहीं, फाउंडेशन से शुरू होता है
इसके साथ ही राधिका गुप्ता ने अपनी नई किताब 'मैंगो मिलियनेयर' के बारे में बताया है, जिसे उन्होंने 'एडेलवाइस म्यूचुअल फंड' में निरंजन अवस्थी के साथ मिलकर लिखा है. उन्होंने कहा कि इस किताब में किसी भी निवेश प्रोडक्ट पर बात करने से पहले बेसिक फाउंडेशन की चर्चा की गई है, क्योंकि उनका मानना है कि अच्छा निवेश मजबूत नींव पर टिका होता है, प्रोडक्ट्स की बात बाद में भी की जा सकती है.
अपनी एक हालिया पोस्ट में राधिका ने अपनी नाराजगी जाहिर की कि 'एक जानकार व्यक्ति ने भी ये सवाल पूछा कि इक्विटी चुनें, म्यूचुअल फंड लें या SIP करें?' इससे पता चलता है कि आज भी कई लोगों को ये भ्रम है कि SIP और म्यूचुअल फंड दो अलग-अलग चीजें हैं, और म्यूचुअल फंड का मतलब सिर्फ इक्विटी में निवेश करना होता है.
सुनो सबकी, लेकिन निवेश फैसला खुद लो
एक और पोस्ट में उन्होंने निवेशकों को सलाह दी कि वे अपना पोर्टफोलियो खुद चुनें और समझदारी से फैसला लें. उन्होंने लिखा -'सुनो सबकी, पोर्टफोलियो अपनी.' राधिका गुप्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में लिखा- 'आपके चाचा स्मॉलकैप्स में निवेश करते हैं, आपका दोस्त क्रिप्टो का दीवाना है और आपके पड़ोसी को एफडी से आगे कुछ सूझता ही नहीं. लेकिन आपका पोर्टफोलियो? वो उनके बारे में नहीं, आपके बारे में होना चाहिए. सुनो सबकी, पोर्टफोलियो अपनी.'
एडलवाइज म्यूचुअल फंड की सीईओ राधिका का मानना है कि हमारे आसपास बहुत से लोग अलग-अलग निवेश सलाह देते हैं. कोई स्मॉलकैप शेयर में पैसा लगाता है, कोई सिर्फ क्रिप्टो में विश्वास रखता है, तो कोई एफडी को ही सबसे सुरक्षित मानता है. ऐसे माहौल में दूसरों की बातों से प्रभावित होकर फैसला लेना आसान होता है, लेकिन जरूरी नहीं कि वो फैसला आपके लिए सही हो. इसलिए, उन्होंने सलाह दी है कि निवेश का फैसला 'आपकी खुद की जरूरतों, जोखिम उठाने की क्षमता, निवेश की समयसीमा और लक्ष्य के आधार पर ही होना चाहिए.
राधिका बताती हैं कि सबसे पहले बचत और निवेश के बीच का फर्क जानिए, फिर धीरे-धीरे अच्छी फाइनेंशियल आदतें बनाइए. ये भी समझिए कि कर्ज कैसे आपकी प्लानिंग बिगाड़ सकता है. इसके साथ ही, जोखिम और रिटर्न का मतलब क्या है, इनका बैलेंस कैसे बनाएं और इन्हें अपने गोल्स के मुताबिक कैसे सेट करें- ये सब भी जानना जरूरी है. इसके साथ ही एक बड़ी सलाह: बीमा और निवेश को अलग-अलग रखें. दोनों जरूरी हैं, लेकिन अगर आप इन्हें एक ही चीज समझ बैठेंगे, तो आपको भारी नुकसान हो सकता है.
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर राधिका गुप्ता ने इसके बारे में बताते हुए लिखा - मेरे हिसाब से अच्छा निवेश करने से पहले तीन जरूरी बातें समझनी चाहिए.
अच्छा निवेश प्रोडक्ट से नहीं, फाउंडेशन से शुरू होता है
इसके साथ ही राधिका गुप्ता ने अपनी नई किताब 'मैंगो मिलियनेयर' के बारे में बताया है, जिसे उन्होंने 'एडेलवाइस म्यूचुअल फंड' में निरंजन अवस्थी के साथ मिलकर लिखा है. उन्होंने कहा कि इस किताब में किसी भी निवेश प्रोडक्ट पर बात करने से पहले बेसिक फाउंडेशन की चर्चा की गई है, क्योंकि उनका मानना है कि अच्छा निवेश मजबूत नींव पर टिका होता है, प्रोडक्ट्स की बात बाद में भी की जा सकती है.
अपनी एक हालिया पोस्ट में राधिका ने अपनी नाराजगी जाहिर की कि 'एक जानकार व्यक्ति ने भी ये सवाल पूछा कि इक्विटी चुनें, म्यूचुअल फंड लें या SIP करें?' इससे पता चलता है कि आज भी कई लोगों को ये भ्रम है कि SIP और म्यूचुअल फंड दो अलग-अलग चीजें हैं, और म्यूचुअल फंड का मतलब सिर्फ इक्विटी में निवेश करना होता है.
सुनो सबकी, लेकिन निवेश फैसला खुद लो
एक और पोस्ट में उन्होंने निवेशकों को सलाह दी कि वे अपना पोर्टफोलियो खुद चुनें और समझदारी से फैसला लें. उन्होंने लिखा -'सुनो सबकी, पोर्टफोलियो अपनी.' राधिका गुप्ता ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर एक पोस्ट में लिखा- 'आपके चाचा स्मॉलकैप्स में निवेश करते हैं, आपका दोस्त क्रिप्टो का दीवाना है और आपके पड़ोसी को एफडी से आगे कुछ सूझता ही नहीं. लेकिन आपका पोर्टफोलियो? वो उनके बारे में नहीं, आपके बारे में होना चाहिए. सुनो सबकी, पोर्टफोलियो अपनी.'
एडलवाइज म्यूचुअल फंड की सीईओ राधिका का मानना है कि हमारे आसपास बहुत से लोग अलग-अलग निवेश सलाह देते हैं. कोई स्मॉलकैप शेयर में पैसा लगाता है, कोई सिर्फ क्रिप्टो में विश्वास रखता है, तो कोई एफडी को ही सबसे सुरक्षित मानता है. ऐसे माहौल में दूसरों की बातों से प्रभावित होकर फैसला लेना आसान होता है, लेकिन जरूरी नहीं कि वो फैसला आपके लिए सही हो. इसलिए, उन्होंने सलाह दी है कि निवेश का फैसला 'आपकी खुद की जरूरतों, जोखिम उठाने की क्षमता, निवेश की समयसीमा और लक्ष्य के आधार पर ही होना चाहिए.
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