बांग्लादेश का अस्तित्व एक विवादास्पद विषय है। यह एक ऐसा देश है जिसकी स्थापना की किसी ने अपेक्षा नहीं की थी, और इसके निर्माण में भारत के पूर्वी हिस्से की नकारात्मक ऊर्जा का योगदान रहा। अब यह देश, जिसने अपने निर्माण में भारत की मदद ली, अब उसी पर आंखें तरेर रहा है।
राजनीतिक बदलाव और इतिहास का पुनर्लेखन
हाल के घटनाक्रमों में, शेख हसीना को सत्ता से हटाने के बाद बांग्लादेश तेजी से एक नई दिशा में बढ़ रहा है। शेख मुजीबुर्रहमान का नाम इतिहास से मिटाया जा रहा है, जबकि जनरल जियाउर्रहमान को नए नायक के रूप में प्रस्तुत किया जा रहा है।
बांग्लादेश की पहचान हमेशा से अस्थिर रही है। जब भी सरकार बदलती है, इतिहास भी बदल जाता है। हालांकि, इतिहास को बदलने की कोशिशें केवल वर्तमान को प्रभावित करती हैं, भविष्य को नहीं।
भारत और बांग्लादेश के संबंध
भारत में बांग्लादेश का नाम सुनते ही कई लोगों की धड़कनें तेज हो जाती हैं। यह सोचने की आवश्यकता है कि बांग्लादेश में हो रहे घटनाक्रमों का भारत से क्या संबंध है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमेशा शेख हसीना की प्रशंसा की है, लेकिन उनके अपने देश की स्थिति क्या है?
दक्षिण एशिया का सबसे बड़ा देश अपने समाज को स्थायी रूप से विभाजित करने की कोशिशों में लगा हुआ है। कट्टरवाद और उदारता के बीच का संघर्ष स्पष्ट है।
मोदी सरकार की नीतियाँ
मोदी सरकार की घरेलू और विदेश नीति में सांप्रदायिकता की छाप देखी जा सकती है। बांग्लादेश से जुड़े मुद्दों को सांप्रदायिक ध्रुवीकरण के रूप में देखा जा रहा है।
अगर कोई अन्य देश होता, तो राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल को संसद में बुलाया जाता और उनसे बांग्लादेश पर चर्चा की जाती।
भविष्य की चुनौतियाँ
पिछली सरकारें बांग्लादेश को उन सेक्यूलर मूल्यों पर चलाने की कोशिश करती रही हैं, जिनका वादा शेख मुजीबुर्रहमान ने किया था। भारत अपने पड़ोसी पाकिस्तान जैसी स्थिति नहीं सहन कर सकता।
प्रधानमंत्री मोदी को चाहिए कि वे शेख हसीना को किसी ऐसे देश में भेजें जो उन्हें शरण देने को तैयार हो। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ है।
अंतरराष्ट्रीय संबंधों में बदलाव
भारत में एक नई कहानी चल रही है कि विदेश मंत्री अजित डोभाल ने अमेरिका में मोदी के लिए निमंत्रण प्राप्त करने के लिए धरना दिया है। लेकिन अमेरिका से आ रही खबरें और भी चिंताजनक हैं।
बीजेपी के प्रवक्ता ने आरोप लगाया कि अमेरिकी विदेश मंत्रालय से फंडेड डीप स्टेट भारत में अस्थिरता फैलाने की कोशिश कर रहा है।
भारत की कूटनीति
भारत की कूटनीति हमेशा सभ्य तरीके से संचालित होती रही है। लेकिन मोदी के शासन में सब कुछ बदल गया है।
चीन द्वारा डोकलाम में कब्जाए गए क्षेत्रों में नए शहर बसाने की खबरें आ रही हैं, जबकि प्रधानमंत्री अपने देश को हिंदू-मुसलमान के विवाद में उलझाए हुए हैं।
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