अघोरी साधु अपनी अनोखी और डरावनी जीवनशैली के लिए प्रसिद्ध हैं। उनके शरीर पर राख होती है और वे मानव मांस का सेवन करने वाले अजीब अनुष्ठान करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वे अपनी मृत्यु के बाद अपने शवों के साथ क्या करते हैं? यह जानकर आप चकित रह जाएंगे।
अघोरी की परिभाषा
अघोरी एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है 'प्रकाश की ओर'। ये साधु पवित्र माने जाते हैं और बुराई से दूर रहते हैं। पूर्णिमा की रात, वे शवों पर बैठकर शिव की पूजा करते हैं और मंत्रों का जाप करते हैं, जिससे उन्हें मृतकों से अद्भुत शक्तियाँ प्राप्त होती हैं।
अघोरियों का शवों से संबंध
अघोरियों के लिए मानव शव अत्यंत महत्वपूर्ण होते हैं। वे कब्रिस्तानों में कई वर्षों तक तपस्या करते हैं और शवों के साथ अनुष्ठान करते हैं। उनका मानना है कि मानव मांस का सेवन करने से उनकी आध्यात्मिक शक्ति में वृद्धि होती है। उनके पास हमेशा मानव खोपड़ी होती है, जिसे वे 'कपालिका' कहते हैं और इसे बर्तन के रूप में उपयोग करते हैं।
अघोरी का अंतिम संस्कार
जब कोई अघोरी मृत्यु को प्राप्त करता है, तो पारंपरिक अंतिम संस्कार नहीं किया जाता। इसके बजाय, उनके शरीर को गंगा नदी में विसर्जित किया जाता है, जिससे उनके पाप धुल जाते हैं। इस प्रक्रिया से वे मुक्त हो जाते हैं और पुनर्जन्म के चक्र से बाहर निकलते हैं।
अघोरी और भगवान शिव
अघोरी भगवान शिव के पांच स्वरूपों में से एक 'अघोरा' के भक्त होते हैं। वे शवों की पूजा करते हुए शिव की आराधना करते हैं और मानते हैं कि शिव कब्रिस्तान के देवता हैं। उनका यह अनूठा संबंध शिव की पौराणिक कथाओं से जुड़ा हुआ है।
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