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बाढ़ में डूब गई कार-बाइक? जानिए इंश्योरेंस क्लेम मिलेगा या नहीं

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मानसून की दस्तक से जहां देश के कई हिस्सों में तपती गर्मी से राहत मिली है, वहीं कुछ राज्यों में इसने कहर भी बरपाया है.जगह-जगह पानी भरने से लोगों का जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. इस स्थिति में एक अहम सवाल सामने आता है अगर आपकी गाड़ी इस तरह की बारिश या बाढ़ में फंसकर खराब हो जाती है, तो क्या इंश्योरेंस कंपनी इसकी भरपाई करेगी?

इंश्योरेंस लेते समय सावधानी जरूरी

जब भी आप मोटर इंश्योरेंस लेते हैं, तो सिर्फ चोरी या एक्सीडेंट के नुकसान को ही ध्यान में नहीं रखना चाहिए. प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़, बारिश, आंधी-तूफान से होने वाले नुकसान को भी इंश्योरेंस में शामिल किया जाना चाहिए. अक्सर लोग इंश्योरेंस लेते वक्त सबसे सस्ते विकल्प की तलाश में रहते हैं और जरूरी कवर जैसे इंजन प्रोटेक्शन या फ्लड कवर को नजरअंदाज कर देते हैं. लेकिन बारिश के मौसम में यही चूक भारी पड़ सकती है.

इंजन डैमेज और हाइड्रोस्टैटिक लॉक

प्राकृतिक आपदा से गाड़ियों को सबसे ज्यादा नुकसान इंजन में पानी चले जाने से होता है. जब पानी इंजन के अंदर चला जाता है और इंजन स्टार्ट करने की कोशिश की जाती है, तो इंजन लॉक हो जाता है. इसे हाइड्रोस्टैटिक लॉक कहा जाता है. अधिकतर बीमा कंपनियां इस स्थिति को दुर्घटना नहीं मानतीं, इसलिए बिना इंजन प्रोटेक्शन कवर के इंश्योरेंस क्लेम खारिज कर दिया जाता है.

कॉम्प्रिहेंसिव मोटर इंश्योरेंस है कारगर ऑप्शन

अगर आप चाहते हैं कि आपकी गाड़ी को प्राकृतिक आपदा से नुकसान होने की स्थिति में भी क्लेम मिल सके तो कॉम्प्रिहेंसिव मोटर इंश्योरेंस पॉलिसी लेना सबसे सही ऑप्शन है. इस तरह की पॉलिसी में दो मुख्य हिस्से होते हैं: पहला, ऑन डैमेज कवर और दूसरा, थर्ड पार्टी कवर.

ऑन डैमेज कवर: ये कवर आपकी अपनी गाड़ी को होने वाले नुकसान को कवर करता है, चाहे वो दुर्घटना से हो या फिर प्राकृतिक आपदा से.

थर्ड पार्टी कवर: ये उस स्थिति में काम आता है जब आपकी गाड़ी से किसी तीसरे व्यक्ति या संपत्ति को नुकसान पहुंचता है.

बाढ़, तूफान, ओलावृष्टि या भारी बारिश जैसी आपदाओं में ऑन डैमेज कवर आपकी गाड़ी को सुरक्षित रखने में मदद करता है. लेकिन ध्यान रहे कि इंजन से जुड़ा कोई नुकसान तभी कवर होगा जब इंजन प्रोटेक्शन एड-ऑन शामिल किया गया हो.

इंश्योरेंस क्लेम करने की प्रक्रिया

अगर बारिश या बाढ़ से आपकी गाड़ी को नुकसान हुआ है और आपने उपयुक्त इंश्योरेंस पॉलिसी ली है, तो क्लेम की प्रक्रिया कुछ इस तरह होती है.

बीमा कंपनी को सूचना दें: सबसे पहले अपने पॉलिसी नंबर के साथ संबंधित बीमा कंपनी के कस्टमर केयर या टोल-फ्री नंबर पर कॉल कर क्लेम की जानकारी दें.

क्लेम फॉर्म भरें: बीमा कंपनी की वेबसाइट से क्लेम फॉर्म डाउनलोड करें और उसे ठीक से भरें. साथ में जरूरी डॉक्युमेंट्स जैसे RC, ड्राइविंग लाइसेंस, पॉलिसी कॉपी आदि संलग्न करें.

सर्वे की प्रक्रिया: बीमा कंपनी आपकी गाड़ी की जांच के लिए सर्वेयर भेजेगी. कुछ मामलों में वीडियो सर्वे भी किया जा सकता है. इस दौरान गाड़ी की स्थिति जैसी की वैसी रखें और कोई छेड़छाड़ न करें.

रिपोर्ट और भुगतान: सर्वेयर अपनी रिपोर्ट तैयार करेगा और अगर सबकुछ सही पाया गया तो बीमा कंपनी आपका क्लेम प्रोसेस करेगी और तय मुआवजा राशि जल्द जारी कर देगी.

सतर्क रहना है जरूरी

हर साल मॉनसून में भारी बारिश और बाढ़ से वाहन मालिकों को नुकसान उठाना पड़ता है. इसीलिए जरूरी है कि इंश्योरेंस लेते वक्त जल्दबाजी न करें और पॉलिसी की हर शर्त को ठीक से पढ़ें. कोशिश करें कि आपकी पॉलिसी में इंजन प्रोटेक्शन, फ्लड कवर जैसे एड-ऑन शामिल हों. इन एड-ऑन के लिए मामूली प्रीमियम अतिरिक्त देना पड़ सकता है, लेकिन यह भविष्य में बड़े नुकसान से बचा सकता है.

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