भारत जैसे विशाल देश में जब भी हम कोई नई कार खरीदने की सोचते हैं, तो सबसे पहले दिमाग में यही सवाल आता है कि एक ही मॉडल की गाड़ी की कीमत हर शहर में अलग क्यों होती है? अक्सर ऐसा देखा गया है कि दिल्ली में जिस कार की कीमत सबसे कम होती है, वहीं कार मुंबई, बेंगलुरु, कोलकाता या फिर चेन्नई में थोड़ी महंगी मिलती है.
कई बार तो कीमत का फर्क लाखों रुपए तक चला जाता है. ये अंतर सिर्फ कंपनी की रणनीति का हिस्सा नहीं है बल्कि इसके पीछे कई बड़े कारण छिपे हैं. चलिए आपको इसके बारे में विस्तार से बताते हैं.
अलग-अलग राज्यों और शहरों में कार की अंतिम कीमत अलग-अलग हो जाती है
एक्स-शोरूम और ऑन-रोड कीमत का फर्कआपको सबसे पहले ये समझना जरूरी होगा कि कंपनियां गाड़ियों की घोषित करती है. लेकिन खरीदार को जो रकम चुकानी होगी है, वो होती है ऑन रोड प्राइस. ऑन रोड कीमत में आरटीओ टैक्स, रजिस्ट्रेशन चार्ज, इंश्योरेंस, नंबर प्लेट और फास्टैग जैसी चीजें जुड़ जाती हैं. यही कारण है कि अलग-अलग राज्यों और शहरों में कार की अंतिम कीमत अलग-अलग हो जाती है.
रोड टैक्स कार की एक्स-शोरूम कीमत का एक प्रतिशत होता है
रोड टैक्स और राज्यवार नीतियांभारत में हर राज्य का अपना रोड टैक्स होता है. आपको एक उदाहरण के तौर पर बताए तो दिल्ली में रोड टैक्स अपेक्षाकृत कम है, जबकि कर्नाटक और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में ये काफी ज्यादा है. कार की एक्स-शोरूम कीमत का एक प्रतिशत होता है और ये दर हर राज्य खुद तय करता है. यही सबसे बड़ा कारण है कि एक ही कार अलग-अलग शहरों में अलग कीमत पर मिलती है.
इंश्योरेंस का सबसे बड़ा रोल होता है
इंश्योरेंस प्रीमियम का असरगाड़ी की कुल कीमत में इंश्योरेंस का सबसे बड़ा रोल होता है. मेट्रो शहरों में ट्रैफिक ज्यादा होने की वजह से इंश्योरेंस प्रीमियम ज्यादा होता है. इसको भी आपको एक उदाहरण के तौर पर बताए तो, दिल्ली या मुंबई जैसी जगहों पर सड़क दुर्घटनाओं का जोखिम ज्यादा होने से प्रीमियम भी बढ़ जाता है, जबकि छोटे शहरों या टियर-2 शहरों में ये कम रहता है.
डीलर मार्जिन और लोकल ऑफरकई बार कार की कीमत पर असर स्थानीय डीलरों के मार्जिन और ऑफर्स से भी पड़ता है. कुछ शहरों में डीलर ज्यादा डिस्काउंट ऑफर करते हैं ताकि सेल बढ़े, वहीं कुछ जगहों पर डिमांड ज्यादा होने के कारण ऑफर कम मिलते हैं. इससे भी ऑन-रोड कीमत में अंतर आता है.
कार की कीमत ट्रांसपोर्ट कॉस्ट पर भी निर्भर करती है
लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्टेशन कॉस्टफैक्ट्री से कार डीलर तक पहुंचाने में आने वाला खर्च भी कीमत पर असर डालता है. मान लीजिए किसी कार की मैन्युफैक्चरिंग हरियाणा या फिर गुजरात में होती है, तो दिल्ली या उत्तर भारत के राज्यों में उस कार की कीमत कम होगी क्योंकि ट्रांसपोर्ट कॉस्ट कम लगेगा. वहीं दक्षिण भारत के शहरों तक वहीं कार पहुंचाने में ज्यादा खर्च आता है और ये लागत ग्राहक से ही वसूली जाती है.
पब्लिक डिमांड और मार्केट डायनेमिक्सकिसी भी शहर में अगर किसी खास कार की मांग बहुत ज्यादा है, तो डीलर अक्सर डिस्काउंट कम देते हैं. जबकि जहां डिमांड कम है, वहां कंपनियां और डीलर खरीदारों को आकर्षित करने के लिए बड़े ऑफर और छूट देते हैं. इस मार्केट डायनेमिक्स की वजह से भी कीमत बदलती रहती हैं.
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