Cryptocurrency : मद्रास हाईकोर्ट ने क्रिप्टोकरेंसी को लेकर एक महत्वपूर्ण फैसले दिया है. इसमें हाईकोर्ट ने कहा है कि क्रिप्टोकरेंसी को संपत्ति के रूप में माना जा सकता है. इसे लाभ के लिए रखा और इस्तेमाल किया जा सकता है. इसे ट्रस्ट में सुरक्षित रखा जा सकता है. न्यायमूर्ति एन आनंद वेंकटेश ने कहा कि भारतीय कानून में क्रिप्टोकरेंसी को वर्चुअल डिजिटल संपत्ति माना जाता है. इसे सट्टेबाजी वाला लेनदेन नहीं माना जाता. इसका कारण यह है कि उपयोगकर्ता का निवेश क्रिप्टोकरेंसी में बदल जाता है, जिसे रखा, खरीदा-बेचा जा सकता है. इसे वर्चुअल डिजिटल संपत्ति कहा जाता है और आयकर अधिनियम की धारा 2(47A) के तहत इसे कंट्रोल किया जाता है.
हाईकोर्ट ने यह आदेश याचिका पर दिया, जिसमें रुतिकुमारी ने जनमाई लैब्स प्राइवेट लिमिटेड और उसके निदेशकों को WazirX प्लेटफॉर्म पर उनकी 3,532.30 XRP कॉइन्स की संपत्ति में हस्तक्षेप करने से रोकने की मांग की थी. कोर्ट ने उन्हें इस संपत्ति को पुनर्वितरित, विभाजित या फिर से आवंटित करने से रोक दिया.
याचिका का विरोध करते हुए WazirX ने कहा कि क्रिप्टो वॉलेट के पास उसका स्वामित्व नहीं है. प्लेटफॉर्म पर बड़े पैमाने पर हैक का असर पड़ा था, साथ ही सिंगापुर में कोर्ट द्वारा मंजूर पुनर्गठन योजना के तहत उपयोगकर्ताओं की निकासी रोक दी गई थी. उस योजना के तहत सभी उपयोगकर्ताओं (याचिकाकर्ता सहित) को सिंगापुर हाईकोर्ट की निगरानी में तीन चरणों में आनुपातिक मुआवजा मिलेगा.
दायर की गई दलीलों को सुनने के बाद कोर्ट ने यह तर्क खारिज कर दिया कि सिंगापुर में मध्यस्थता होने के कारण इसका अधिकार क्षेत्र नहीं है. कोर्ट ने कहा कि याचिकाकर्ता ने अपने चेन्नई बैंक खाते से पैसे भेजकर क्रिप्टो संपत्ति खरीदी और भारत से ही प्लेटफॉर्म का उपयोग किया. इसलिए मामले का एक हिस्सा मद्रास हाईकोर्ट के क्षेत्राधिकार में आता है. कोर्ट ने जनमाई लैब्स और उसके निदेशकों को याचिकाकर्ता की 3,532.30 XRP कॉइन्स में हस्तक्षेप या पुनर्वितरित करने से रोकते हुए अंतरिम रोक आदेश दिया.
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