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ईडी ने 386 करोड़ की जब्त संपत्ति की रिलीज, सहकारी बैंक घोटाले में पूंजी गंवाने वाले के पैसे होंगे वापस

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Mumbai , 30 जुलाई . प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के Mumbai जोनल कार्यालय ने बड़ी कार्रवाई करते हुए 386 करोड़ रुपए की अचल संपत्तियां महाराष्ट्र सरकार द्वारा नियुक्त एमपीआईडी के सक्षम प्राधिकारी को सौंप दी हैं. यह कार्रवाई कर्नाला नगरी सहकारी बैंक लिमिटेड, पनवेल से जुड़े घोटाले में की गई है. जब्त की गई संपत्तियों को बैंक के उन 5 लाख से अधिक जमाकर्ताओं को वितरित किया जाएगा, जिन्होंने इस घोटाले में अपनी जमा पूंजी गंवाई थी.

इस मामले में ईडी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 5 के तहत संपत्तियों को अस्थायी रूप से अटैच किया था. जांच में सामने आया कि बैंक के पूर्व अध्यक्ष ने अन्य अधिकारियों के साथ मिलकर बैंक को धोखा दिया और बैंकों के फंड्स को निजी निवेशों में लगाकर 560 करोड़ रुपए का गबन किया.

जांच की शुरुआत 17 फरवरी 2020 को पुणे की अपराध शाखा (आओडब्ल्यू, सीआईडी) द्वारा दर्ज की गई First Information Report के आधार पर की गई थी. आरोप है कि बैंक अधिकारियों ने 63 फर्जी ऋण खाते बनाए और फर्जी दस्तावेजों के माध्यम से भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के दिशा-निर्देशों और बैंकिंग मानदंडों की अनदेखी करते हुए यह गबन किया.

ईडी की जांच में यह भी पाया गया कि यह पैसा विवेकानंद शंकर पाटिल और उनके रिश्तेदारों द्वारा संचालित विभिन्न संस्थाओं में ट्रांसफर किया गया था. इन पैसों से उन्होंने महाराष्ट्र के रायगढ़ जिले में कई अचल संपत्तियां खरीदी. इन संपत्तियों को 17 अगस्त 2021 और 12 अक्टूबर 2023 को जब्त किया गया था.

12 अगस्त 2021 को विशेष पीएमएलए अदालत में इस मामले में अभियोजन शिकायत दर्ज की गई थी और मुकदमा अब भी जारी है. इस बीच, आरबीआई की ओर से नियुक्त लिक्विडेटर ने पीएमएलए की धारा 8(8) के तहत Mumbai की विशेष अदालत में संपत्तियों को जमाकर्ताओं को लौटाने के लिए आवेदन दिया, जिसे ईडी ने भी समर्थन दिया.

22 जुलाई 2025 को विशेष अदालत ने आदेश दिया कि पनवेल स्थित कर्नाला स्पोर्ट्स अकादमी की संपत्ति को लिक्विडेटर को सौंपा जाए और उसे नीलामी के लिए रखा जाए. साथ ही, रायगढ़ के पोसारी में स्थित भूमि को भी नीलामी के लिए मंजूरी दी गई, ताकि उसकी राशि जमाकर्ताओं में वितरित की जा सके.

कर्नाला नगरी सहकारी बैंक लिमिटेड, पनवेल के 5.53 लाख जमाकर्ताओं ने कुल 553 करोड़ रुपए जमा किए थे, जो इस घोटाले के कारण फंस गए थे. ईडी ने जमाकर्ताओं के हित को ध्यान में रखते हुए इस पुनःवितरण प्रक्रिया को तेज किया है.

वीकेयू/जीकेटी

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