New Delhi, 22 अगस्त . सरकार के प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार प्रोफेसर अजय कुमार सूद ने कहा कि वन हेल्थ मिशन अब तक मानव, पशु और वन्यजीवों के स्वास्थ्य पर केंद्रित रहा है, लेकिन पादप स्वास्थ्य यानी पौधों की हेल्थ को भी समान प्राथमिकता देने की आवश्यकता है.
देश की राजधानी दिल्ली में आयोजित 28वीं प्रधानमंत्री विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार सलाहकार परिषद (पीएम-एसटीआईएसी) की बैठक की अध्यक्षता करते हुए उन्होंने कहा कि भारत की कृषि पर गहरी निर्भरता को देखते हुए एक राष्ट्रीय पादप स्वास्थ्य पहल (एनपीएचआई) शुरू करना बेहद जरूरी है. उन्होंने इसके क्या लाभ भारत को मिलेंगे, इसके बारे में भी विस्तार से बताया है.
प्रोफेसर सूद ने बताया कि मौजूदा पारिस्थितिकी तंत्र इस पहल को आगे बढ़ाने का अच्छा अवसर प्रदान करता है. आईसीएआर के माध्यम से संस्थागत क्षमता निर्माण, उन्नत तकनीकों की उपलब्धता और डिजिटल सार्वजनिक अवसंरचना में भारत की सफलता ने इस क्षेत्र को मजबूत आधार दिया है.
नीति आयोग के सदस्य (विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी) डॉ. वी.के. सारस्वत ने कहा कि पौधों के स्वास्थ्य की उपेक्षा से कृषि में नुकसान होता है, जिसका सीधा असर किसानों की आय और उत्पादन पर पड़ता है. उन्होंने चेतावनी दी कि जलवायु परिवर्तन के कारण पौधों को जैविक और अजैविक खतरों का सामना करना पड़ रहा है, इसलिए प्रभावी रणनीतियां और बेहतर तैयारी बेहद जरूरी है. साथ ही, उन्होंने डेटा इंटीग्रेशन और एनालिटिक्स आधारित नवाचार व अनुसंधान को बढ़ावा देने की बात कही.
वहीं, नीति आयोग के सदस्य (कृषि) डॉ. रमेश चंद ने कहा कि ‘वन हेल्थ’ की अवधारणा तभी पूरी होगी जब इसमें पौधों और पशुधन दोनों के स्वास्थ्य को शामिल किया जाएगा. उन्होंने सतत कृषि के लिए प्राकृतिक संसाधनों के कुशल उपयोग, बीजों की उच्च गुणवत्ता बनाए रखने और स्वच्छ पौध कार्यक्रम जैसे निवारक उपायों की आवश्यकता पर जोर दिया. साथ ही इनके दुष्प्रभावों से मुक्त होने का अतिरिक्त लाभ भी है.
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जेपी/एएस
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