नई दिल्ली, 25 जून . भारत में सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) व्यावसायिक परिणामों को बढ़ाने के लिए टेक्नोलॉजी का तेजी से लाभ उठा रहे हैं, जिनमें से 67 प्रतिशत कोर और एडवांस टेक्नोलॉजी में ‘डिजिटल रेडीनेस’ प्रदर्शित कर रहे हैं. यह जानकारी बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में दी गई.
‘डिजिटल रेडीनेस’ का मतलब किसी व्यक्ति, संगठन, या समुदाय का डिजिटल तकनीकों और वातावरण के साथ प्रभावी ढंग से काम करने के लिए तैयार रहना है.
साइबरमीडिया रिसर्च (सीएमआर) की रिपोर्ट से पता चलता है कि भारत में तीन में से दो एमएसएमई ईआरपी, सीआरएम और क्लाउड प्लेटफॉर्म जैसी मुख्य टेक्नोलॉजी से लेकर एआई, आईओटी और डेटा एनालिटिक्स जैसी एडवांस टेक्नोलॉजी तक डिजिटल रूप से सुसज्जित हैं.
रिपोर्ट में बताया गया है, “यह भारतीय एमएसएमई के बीच एक परिपक्व डिजिटल इकोसिस्टम का संकेत देता है.”
इनमें से 62 प्रतिशत एमएसएमई-केंद्रित ऑनलाइन कम्युनिटी, मंचों और पेशेवर नेटवर्क के माध्यम से सक्रिय रूप से डिजिटल सलाहकार सेवाएं चाहते हैं. वहीं 43 प्रतिशत एमएसएमई कोर डिजिटल टूल्स जैसे क्लाउड कंप्यूटिंग, ईआरपी और सीआरएम प्लेटफॉर्म में दक्षता की रिपोर्ट करते हैं.
लगभग 23 प्रतिशत एमएसएमई ने डिजिटल वैल्यू चेन में कदम रखा है और एआई, आईओटी और एनालिटिक्स जैसी अधिक एडवांस टेक्नोलॉजी को अपनाया है.
रिपोर्ट के अनुसार, लगभग 59 प्रतिशत लोग बिजनेस न्यूज, पीयर लर्निंग और इंडस्ट्री अपडेट के लिए लिंक्डइन, एक्स और वॉट्सऐप जैसे प्लेटफॉर्म पर निर्भर हैं.
सीएमआर के इंडस्ट्री रिसर्च ग्रुप के वीपी प्रभु राम ने कहा, “भारत की डिजिटल गति को प्रतिस्पर्धा और इनोवेशन को बढ़ावा देने के लिए टेक्नोलॉजी को अपनाने वाले एमएसएमई के बढ़ते आधार द्वारा नया रूप दिया जा रहा है. जबकि डिजिटल मैच्योरिटी के संकेत आशाजनक हैं, फिर भी एक बड़ा वर्ग है जो लगातार बाधाओं का सामना कर रहा है.”
स्टडी इनसाइट के अनुसार, डिजिटल रूप से जागरूक एमएसएमई का 70 प्रतिशत सक्रिय रूप से डिजिटल सलाहकार मार्गदर्शन चाहता है.
एमएसएमई 2047 तक विकसित भारत बनने की दिशा में महत्वपूर्ण हैं और भारत की आकांक्षाओं में उनके योगदान का जश्न मनाने के लिए उद्योग और एमएसएमई सहयोग के बारे में बात करने का यह सही समय है.
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एसकेटी/
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