New Delhi, 10 जुलाई . दक्षिण अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया, भारत, अफ्रीका समेत दुनिया के हर कोने में गुरु पूर्णिमा का पर्व मनाया गया. लाखों शिष्यों ने आध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर के प्रति अपनी कृतज्ञता जताई, जिन्होंने उनके जीवन में खुशी और ज्ञान का प्रकाश फैलाया.
इस वैश्विक उत्सव का केंद्र अमेरिका के उत्तरी कैरोलिना में बून का आर्ट ऑफ लिविंग आश्रम रहा. यहां से श्री श्री रविशंकर ने 182 देशों के शिष्यों को जोड़ा. कुछ भक्त व्यक्तिगत रूप से शामिल हुए तो लाखों ने लाइव वेबकास्ट के जरिए इस उत्सव का हिस्सा बनकर आनंद लिया.
गुरु पूर्णिमा की पूर्व संध्या पर श्री श्री रविशंकर ने एक खास पूर्णिमा ध्यान सत्र का मार्गदर्शन किया, जिसने सभी को शांति और खुशी से भर दिया. इस समारोह में श्वास योग के स्वामी वचनानंद भी शामिल हुए. गुरु पूर्णिमा की पुरानी परंपरा के अनुसार भक्तों ने अपने गुरु के प्रति सम्मान व्यक्त किया.
श्री श्री रविशंकर ने कहा, “जैसे हवा हमेशा हमारे आसपास है, लेकिन ध्यान देने पर ही उसका अहसास होता है, वैसे ही गुरु पूर्णिमा का दिन जुड़ाव का दिन है. गुरु हमें दुखों से मुक्ति दिलाते हैं, खुशियां बिखेरते हैं और हमारे भीतर ज्ञान व प्रतिभा को जगाते हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “इस गुरु पूर्णिमा पर आपके भीतर ज्ञान का दीप प्रज्वलित हो. इसे अपने मन में दृढ़ कर लीजिए और जान लीजिए कि गुरु के निकट रहना एक ऐसी चीज है जिसे आपको अपनी ओर से चुनना होगा, इसमें कोई संदेह नहीं होना चाहिए.”
भारत में आर्ट ऑफ लिविंग के सभी केंद्रों पर गुरु पूर्णिमा को विशेष गुरु पूजा और सत्संग के साथ मनाया गया. लोग अमेरिका से लाइव वेबकास्ट के जरिए इस वैश्विक उत्सव से जुड़े. बेंगलुरु के आर्ट ऑफ लिविंग अंतरराष्ट्रीय केंद्र में उत्सव की शुरुआत ध्यान और दक्षिणामूर्ति होम से हुई. यह एक वैदिक अग्नि अनुष्ठान है, जिसमें सर्वोच्च ज्ञान के अवतार भगवान दक्षिणामूर्ति का आह्वान किया जाता है, ताकि साधकों को ज्ञान और आध्यात्मिक जागृति का आशीर्वाद मिले.
इसके बाद गुरुदेव श्री श्री रविशंकर की बहन भानुमति नरसिम्हन और 150 से अधिक गुरु पूजा पंडितों के साथ एक सामूहिक गुरु पूजा हुई.
वहीं, New Delhi में भारत मंडपम में साहिल जगतियानी के भजनों ने भक्तों को भावविभोर कर दिया. पांच हजार से अधिक भक्तों ने सभागार को खचाखच भर दिया और भजनों पर झूमे व नृत्य किया. Mumbai , कोलकाता, चेन्नई जैसे शहरों में भी सत्संग, ध्यान और गुरु पूजा के आयोजन हुए, जिनमें हजारों लोग शामिल हुए.
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एकेएस/डीकेपी
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