लखनऊ, 22 जुलाई . उत्तर प्रदेश की राज्यपाल एवं राज्य विश्वविद्यालयों की कुलाधिपति आनंदीबेन पटेल की अध्यक्षता में किंग जॉर्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय, लखनऊ में एक ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित किया गया. इस दौरान प्रदेश के समस्त राज्य विश्वविद्यालयों और उच्च शिक्षण संस्थानों में सूचना एवं पुस्तकालय नेटवर्क केंद्र की सेवाओं के क्रियान्वयन हेतु 38 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए.
समझौतों का उद्देश्य प्रदेश की उच्च शिक्षा प्रणाली को डिजिटल संसाधनों से जोड़ना, शोध और अध्ययन को वैश्विक मानकों तक पहुंचाना और विद्यार्थियों एवं शोधार्थियों को गुणवत्तापूर्ण डिजिटल पुस्तकालय सेवाएं उपलब्ध कराना है.
राज्यपाल ने कहा कि ज्ञान और शोध के क्षेत्र में सूचना की सहज उपलब्धता आज के युग की अनिवार्यता बन चुकी है. उन्होंने विश्वविद्यालयों से आह्वान किया कि वे अपने पुस्तकालयों को आधुनिक डिजिटल संसाधनों से सुसज्जित करें ताकि विद्यार्थी, शिक्षक और शोधकर्ता गुणवत्तापूर्ण अध्ययन सामग्री तक सरलता से पहुंच सकें.
आनंदीबेन पटेल को तीन विशिष्ट वैश्विक कीर्तिमानों के लिए प्रमाण पत्र और मेडल देकर सम्मानित किया गया. पहला रिकॉर्ड 21 जून, 2025 को अंतरराष्ट्रीय योग दिवस पर आयोजित सूर्य नमस्कार कार्यक्रम से जुड़ा है, जिसमें प्रदेश भर के शिक्षण संस्थानों से 14,02,597 प्रतिभागियों ने भाग लिया. दूसरा ‘पढ़े विश्वविद्यालय, बढ़े विश्वविद्यालय’ एवं ‘पढ़े महाविद्यालय, बढ़े महाविद्यालय’ अभियान से जुड़ा है, जिसके तहत 15,77,960 प्रतिभागियों द्वारा एक साथ सामूहिक पठन किया गया. तीसरा रिकॉर्ड ‘दहेज मुक्त भारत’ और ‘नशा मुक्त भारत’ की दिशा में आयोजित सामूहिक शपथ ग्रहण कार्यक्रम का है, जिसमें 16,05,847 प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया.
राज्यपाल ने कहा कि तीनों कीर्तिमान न केवल उत्तर प्रदेश के लिए गौरव का विषय हैं, बल्कि यह जनभागीदारी आधारित शिक्षा और सामाजिक चेतना की मिसाल भी हैं. उन्होंने इन उपलब्धियों को प्रेरणास्पद नेतृत्व और समर्पित प्रयासों का परिणाम बताया.
राज्यपाल ने कहा कि विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे समाजोपयोगी, व्यावहारिक और प्रासंगिक शोध को प्राथमिकता दें. उन्होंने विशेष रूप से किसानों, महिलाओं, बच्चों, ग्रामीण क्षेत्रों, स्वास्थ्य और रक्षा से जुड़ी वास्तविक समस्याओं की पहचान कर उनके समाधान हेतु गंभीर अनुसंधान कार्यों की आवश्यकता पर बल दिया.
राज्यपाल ने गुजरात में स्थापित राष्ट्रीय रक्षा विश्वविद्यालय का उल्लेख करते हुए बताया कि इस संस्थान के लिए भूमि का प्रबंधन उनके द्वारा किया गया था और आज यह संस्थान रक्षा क्षेत्र में उत्कृष्ट अनुसंधान कार्य कर रहा है. ब्रह्मोस जैसी परियोजनाएं भारत की रक्षा शक्ति का उदाहरण हैं और ऐसे शोध संस्थानों की महत्ता बढ़ती जा रही है. उन्होंने तकनीकी विश्वविद्यालयों, हेल्थ सेंटरों और शोध संस्थानों को नवाचार और पेटेंट के क्षेत्र में कार्य करने हेतु प्रेरित किया. कोविड काल का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय वैज्ञानिकों ने अल्प समय में वैक्सीन विकसित कर सिद्ध किया कि भारत के पास न केवल साधन हैं बल्कि प्रतिभा और प्रतिबद्धता भी है.
राज्यपाल ने यह भी कहा कि हमारे विश्वविद्यालयों की लाइब्रेरी में मौजूद प्राचीन पांडुलिपियां इस बात का प्रमाण हैं कि भारत में अत्यंत उच्च कोटि का शोध कार्य हुआ करता था, जिसे आज फिर से जागृत करने की आवश्यकता है.
इस अवसर पर राज्यपाल ने डैशबोर्ड का लोकार्पण भी किया. यह डैशबोर्ड राज्य के विश्वविद्यालयों की शैक्षणिक, प्रशासनिक और शोध गतिविधियों की निगरानी और मूल्यांकन के लिए एक अत्यंत उपयोगी डिजिटल उपकरण साबित होगा.
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विकेटी/एससीएच
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