Patna, 28 अगस्त . बिहार चुनाव को लेकर दरभंगा जिले की अलीनगर विधानसभा सीट पर राजनीतिक समीकरण दिलचस्प होते दिख रहे हैं. अलीनगर, तर्दीह, घनश्यामपुर प्रखंडों और मोतीपुर पंचायत को सम्मिलित करने वाला यह क्षेत्र 2008 में परिसीमन आयोग की सिफारिशों के बाद अस्तित्व में आया.
2010 में इस सीट पर पहली बार विधानसभा चुनाव हुआ. अब तक इस सीट पर तीन बार चुनाव हो चुके हैं, जिनमें 2010 और 2015 में राजद ने जीत दर्ज की. जबकि, 2020 में विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) ने बाजी मार ली.
यह क्षेत्र दरभंगा Lok Sabha सीट के अंतर्गत आता है और सामाजिक दृष्टि से यहां ब्राह्मण, यादव और मुस्लिम मतदाताओं का वर्चस्व रहा है, जिन्होंने हमेशा चुनावी नतीजों को निर्णायक रूप से प्रभावित किया है.
भौगोलिक रूप से अलीनगर दरभंगा मुख्यालय से लगभग 38 किलोमीटर पूर्व और Patna से करीब 145 किलोमीटर उत्तर में स्थित है. यह मुजफ्फरपुर, समस्तीपुर, मधुबनी और सीतामढ़ी जैसे बड़े केंद्रों से सड़क मार्ग से जुड़ा है, जबकि नजदीकी रेलवे स्टेशन बेनीपुर 10 किलोमीटर दूर है. बावजूद इसके, क्षेत्र की छवि अब भी ग्रामीण और अविकसित है. बुनियादी ढांचे की कमी, खराब सड़क नेटवर्क और सार्वजनिक परिवहन की दिक्कतें लंबे समय से यहां के लोगों की प्रमुख समस्या रही हैं.
आर्थिक दृष्टि से अलीनगर की पहचान कृषि प्रधान क्षेत्र के रूप में होती है. यहां धान, गेहूं और मक्का की खेती बड़े पैमाने पर होती है, लेकिन हर साल आने वाली बाढ़ किसानों की मेहनत पर पानी फेर देती है. यही कारण है कि बाढ़ प्रबंधन, सड़क सुधार और कृषि से जुड़ी समस्याएं चुनावी मुद्दों में प्रमुख स्थान रखती हैं. इसके साथ ही डिग्री कॉलेज का अभाव और स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी भी जनता की नाराजगी का बड़ा कारण है.
चुनाव आयोग की ओर से 2024 में जारी आंकड़ों के अनुसार, यहां की कुल अनुमानित जनसंख्या करीब 4.78 लाख है, जिनमें 2.84 लाख मतदाता शामिल हैं. इनमें पुरुष मतदाता 1.48 लाख, महिला मतदाता 1.35 लाख और थर्ड जेंडर मतदाता 2 हैं. महिला मतदाता किसी भी उम्मीदवार के लिए जीत-हार का आधार तय करते हैं.
अगर इतिहास की ओर देखें तो राजद यहां लंबे समय तक प्रभावी रही, लेकिन 2020 में वीआईपी की जीत दर्ज करने से यह स्पष्ट हो गया कि मतदाता बदलाव की तलाश में हैं. 2025 के चुनाव में जनता का रुख किस ओर जाएगा, यह कहना अभी कठिन है. इस बार मुकाबला बेहद कड़ा होने की संभावना है क्योंकि जनता पारंपरिक दलों और नए विकल्पों के बीच संतुलन साधने की स्थिति में है.
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पीएसके/एबीएम
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