नई दिल्ली, 26 जून . इजरायल-ईरान संघर्ष का पटाक्षेप युद्ध विराम से हो गया. इस सबके बीच ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई की अनुपस्थिति को लेकर विदेशी मीडिया में हलचल तेज है और कई तरह के सवाल पूछे जाने लगे हैं.
‘न्यूयॉर्क टाइम्स’ ने इशारों-इशारों में बात कही तो इजरायली मीडिया ने भी सवाल पूछना शुरू कर दिया. ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ के अनुसार ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को बीते एक सप्ताह से न तो सार्वजनिक रूप से देखा गया, और न ही उनसे कोई बात हुई है. ईरान-इजरायल के बीच युद्ध विराम के बावजूद खामेनेई अब तक सामने नहीं आए हैं. ‘द टाइम्स ऑफ इजरायल’ ने भी इस खबर को प्रमुखता से उठाया है.
दावा किया जा रहा है कि ईरान-इजरायल के बीच 13 जून से संघर्ष बढ़ गया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक तभी खामेनेई को छिपा लिया गया था. आशंका जताई जा रही है कि खामेनेई संभवत: अभी भी छिपे हैं. उन्हें इस बात का डर है कि यरुशलम उनकी हत्या की कोशिश कर सकता है.
रिपोर्ट में कहा गया है कि अब तक अयातुल्ला अली खामेनेई की स्थिति को लेकर कोई अपडेट नहीं मिला है. यह भी स्पष्ट नहीं है कि क्या खामेनेई अभी भी जो कुछ चल रहा है उस पर शायद करीबी नजर बनाए हुए हैं. आर्टिकल के मुताबिक जब एक इंटरव्यू के दौरान खामेनेई के आर्काइव ऑफिसर मेहदी फजाएली से इस बारे में पूछा गया, तो उन्होंने कहा, “हम सभी को प्रार्थना करनी चाहिए. सर्वोच्च नेता की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार लोग अपना काम अच्छी तरह से कर रहे हैं. ईश्वर की इच्छा से, हमारे लोग अपने नेता के बगल में जीत का जश्न मना सकते हैं.”
एक और वजह से संदेह पैदा हो रहा है. दरअसल, तेहरान में, सप्ताहांत में अमेरिका और इजरायल विरोधी रैली के दौरान महिलाओं को खामेनेई की तस्वीरें पकड़े देखा गया और ये देश के सर्वोच्च अधिकारी की ओर से किसी सार्वजनिक निर्देश या संदेश के अभाव में यह एक दुर्लभ घटना है. ईरानी अखबारों में भी इसे लेकर फिक्र जताई गई है.
खामेनेई की सुरक्षा ईरान की स्पेशल सिक्योरिटी ‘सेपाह-ए-वली-ए-अम्र’ के हवाले है, जिसमें करीब 12 हजार बॉडीगार्ड्स रहते हैं. इन सभी की जिम्मेदारी अलग-अलग होती है.
ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई अब 86 साल के हो गए हैं. ऐसे में उनके उत्तराधिकारी को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं. कुछ रिपोर्ट्स दावा कर रही हैं कि खामेनेई को सत्ता से हटाने की कोशिशें भी चल रही हैं. ईरान का उदारवादी समूह मानता है कि खामेनेई की नीतियों ने ही ईरान को इजरायल के साथ संघर्ष में फंसाया है.
हालांकि, ईरान में फिलहाल ऐसा कोई संगठित विपक्ष नहीं है, जो खामेनेई शासन को सीधे चुनौती दे सके. विपक्षी समूह ‘मुजाहिदीन-ए-खल्क कमजोर’ पड़ चुका है.
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आरएसजी/केआर
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