New Delhi, 20 जुलाई . भारत का चाय निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर 2,57,880 टन हो गया है, जो कि वित्त वर्ष 2023-24 के 2,50,730 टन के मुकाबले 2.85 प्रतिशत अधिक है.
टी बोर्ड ऑफ इंडिया की ओर से जारी किए गए डेटा में बताया कि निर्यात बढ़ने की वजह अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मजबूत मांग और देश के प्रमुख उत्पादन क्षेत्रों से निर्बाध आपूर्ति होना है.
आंकड़ों के मुताबिक, उत्तर भारत से होने वाले चाय के निर्यात में वित्त वर्ष 2024-25 में 8.15 प्रतिशत का उछाल देखा गया है, जो कि बढ़कर 1,61,200 टन हो गया है, जो कि पिछले साल समान अवधि में यह 1,49,050 टन था.
हालांकि, दक्षिण भारत से चाय का निर्यात सालाना आधार पर 4.92 प्रतिशत कम होकर 96,680 टन हो गया है, जो कि पहले 1,01,680 टन था.
वित्त वर्ष 2024-25 में निर्यात होने वाली चाय की प्रति किलोग्राम कीमत 290.97 रुपए रही है, जो कि पिछले साल की कीमत 258.30 रुपए से 12.65 प्रतिशत अधिक है.
चाय निर्यात की वृद्धि को गति देने में कई अंतरराष्ट्रीय बाजारों ने अहम भूमिका निभाई. रूस भारतीय पारंपरिक चाय के शीर्ष आयातकों में से एक बना हुआ है और वैश्विक भू-राजनीतिक चुनौतियों के बावजूद व्यापारिक संबंध बनाए रखे. ईरान, विशेष रूप से उत्तर भारतीय पारंपरिक किस्मों का, एक महत्वपूर्ण खरीदार बना रहा है हालांकि भुगतान और मुद्रा संबंधी बाधाओं के कारण व्यापार की मात्रा कभी-कभी प्रभावित हुई.
संयुक्त अरब अमीरात एक प्रत्यक्ष उपभोक्ता और पुनर्निर्यात केंद्र, दोनों के रूप में भारतीय चाय का एक प्रमुख आयातक बना हुआ है, जबकि विशेष रूप से असम और दार्जिलिंग चाय के लिए यूनाइटेड किंगडम एक स्थिर बाजार बना रहा. संयुक्त राज्य अमेरिका ने प्रीमियम और विशेष चाय के लिए एक बढ़ते गंतव्य के रूप में अपनी बढ़ती प्रवृत्ति जारी रखी.
अन्य बाजारों में सऊदी अरब, मिस्र, जर्मनी, चीन और कजाकिस्तान शामिल हैं, इन बाजारों ने स्वास्थ्य-केंद्रित और विशिष्ट मिश्रणों वाली भारतीय चाय में रुचि दिखाई है.
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एबीएस/
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