New Delhi, 21 जुलाई . कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, केंद्र की विशेष प्रोत्साहन योजना के तहत शुरू किए गए कुल 10,000 में से 1,100 से ज्यादा किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) संस्थाओं ने 1 करोड़ रुपए का कारोबार पार कर लिया है.
एफपीओ योजना से जुड़े किसानों की संख्या 30 लाख के आंकड़े को पार कर गई है, जिनमें से लगभग 40 प्रतिशत महिलाएं हैं. एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि ये एफपीओ अब कृषि क्षेत्र में हजारों करोड़ रुपए का कारोबार कर रहे हैं.
एफपीओ का उद्देश्य किसानों की आय बढ़ाना और छोटे किसानों को महत्वपूर्ण बाजार लाभों तक सीधी पहुंच, सौदेबाजी की शक्ति और बाजार पहुंच में सुधार प्रदान करना है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 29 फरवरी, 2020 को शुरू की गई इस योजना के अंतर्गत, गठित होने वाले प्रत्येक नए एफपीओ को पांच वर्षों की अवधि के लिए सहायता प्रदान करने और तीन वर्षों तक प्रबंधन लागत को पूरा करने के लिए 18 लाख रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करने का प्रावधान है.
इसके अतिरिक्त, एफपीओ के प्रत्येक किसान सदस्य को 2,000 रुपए तक का इक्विटी अनुदान,और एफपीओ को संस्थागत ऋण सुलभता सुनिश्चित करने के लिए पात्र ऋणदाता संस्थानों से प्रति एफपीओ 2 करोड़ रुपए तक के परियोजना ऋण की ऋण गारंटी सुविधा भी इस योजना के अंतर्गत प्रदान की जाती है.
यह योजना 2027-28 तक 6,865 करोड़ रुपए के बजट परिव्यय के साथ शुरू की गई थी. योजना के शुरू होने के बाद से, 4,761 एफपीओ को 254.4 करोड़ रुपए का इक्विटी अनुदान जारी किया गया है और 1,900 एफपीओ को 453 करोड़ रुपए का ऋण गारंटी कवर जारी किया गया है.
किसान उत्पादक संगठन (एफपीओ) पंजीकृत संस्थाएं हैं, जिनका गठन कृषि एवं संबद्ध क्षेत्र के उत्पादन एवं विपणन में पैमाने की अर्थव्यवस्थाओं के माध्यम से सामूहिक लाभ उठाने के उद्देश्य से किया जाता है.
अधिकारी ने बताया कि अन्य मंत्रालय भी एफपीओ के माध्यम से किसानों की आय बढ़ाने के प्रयास में शामिल हो गए हैं. उदाहरण के लिए, मसाला बोर्ड ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए “निर्यात विकास के लिए प्रगतिशील, नवोन्मेषी और सहयोगात्मक हस्तक्षेपों के माध्यम से मसाला क्षेत्र में स्थिरता (एसपीआईसीईडी)” योजना शुरू की है, जिसके अंतर्गत किसानों और किसान उत्पादक संगठनों को मसालों के उत्पादन, गुणवत्ता और निर्यात को बढ़ाने के लिए वैल्यू चेन में वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है.
इस योजना का उद्देश्य छोटी और बड़ी इलायची की उत्पादकता बढ़ाना, कटाई के बाद की प्रक्रियाओं की गुणवत्ता में सुधार करना और मूल्यवर्धित, जीआई-टैग और जैविक मसालों के उत्पादन और निर्यात को प्रोत्साहित करना है.
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एसकेटी/
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