By Jitendra Jangid- दोस्तो मनुष्य हो या जानवर छींक आना एक प्राकृतिक प्रक्रिया हैं, जो लगभग हर किसी को आ सकती हैं, खासकर जब हमें सर्दी-ज़ुकाम हो जाता है। कई लोगों ने छींकते समय अपनी आँखें खुली रखने की कोशिश की है, लेकिन यह लगभग नामुमकिन है। क्योंकि इसकी स्पीड बहुत अधिक होती हैं, आइए जानते हैं इसकी पूरी डिटेल्स

छींक बेकाबू होती है
एक बार छींक आने के बाद हम उसे रोक नहीं सकते, और उसके दौरान अपनी आँखें खुली रखना भी उतना ही मुश्किल होता है।
यह तेज़ गति से होता है
छींक के दौरान हमारे मुँह और नाक से निकलने वाली हवा लगभग 160 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ़्तार से चल सकती है, जिससे पूरे शरीर को अचानक झटका लगता है

आँखों की सुरक्षा प्रणाली
छींक के दौरान हमारी आँखें हवा में मौजूद कीटाणुओं, धूल या कणों से बचाने के लिए अपने आप बंद हो जाती हैं।
स्वस्थ शरीर की निशानी
छींकना एक प्राकृतिक रक्षा प्रणाली है, जो दर्शाती है कि आपका शरीर आपके श्वसन तंत्र से उत्तेजक पदार्थों को सक्रिय रूप से बाहर निकाल रहा है।
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