अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एक बड़ा फैसला लेते हुए 12 देशों को टैरिफ से जुड़े पत्रों पर हस्ताक्षर किए हैं। इस ऐलान के बाद वैश्विक स्तर पर हलचल मच गई है, क्योंकि इसमें 70 फीसदी तक के संभावित टैरिफ की बात की गई है। ट्रंप का कहना है कि जो देश सहमत हैं, वो इन प्रस्तावों को अपना सकते हैं, वरना छोड़ सकते हैं – यानी या तो हमारी शर्तें मानो, या रास्ता बदलो।
हालांकि ट्रंप ने जिन देशों को यह पत्र भेजे गए हैं उनके नामों का खुलासा नहीं किया, लेकिन जानकारों का मानना है कि भारत भी उन संभावित देशों में से एक हो सकता है। ऐसे में भारतीय व्यापार पर भारी टैरिफ का खतरा गहराता नजर आ रहा है, जिससे उद्योग और कारोबारी वर्ग में चिंता का माहौल है।
भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक बातचीत का मौजूदा परिदृश्य
मार्च से अब तक भारत और अमेरिका के बीच चार दौर की व्यापारिक वार्ताएं हो चुकी हैं, जिनमें 26 जून को हुई बातचीत भी शामिल है। लेकिन अफसोस, अब तक 'अर्ली हार्वेस्ट डील' या कोई मिनी ट्रेड एग्रीमेंट नहीं हो पाया है। जहां अमेरिका चाहता है कि भारत GM फसलों और डेयरी उत्पादों के लिए बाज़ार खोले, वहीं भारत इन संवेदनशील मामलों में सावधानी बरतना चाहता है, जो जनता के स्वास्थ्य और किसान हित से जुड़े हैं।
इसके अलावा अमेरिका चाहता है कि उसके वाहन भारत में बिना कस्टम ड्यूटी के आ सकें, लेकिन भारत इसकी शर्त पर अपने स्टील, एल्युमिनियम और ऑटो पार्ट्स पर लगे टैरिफ हटवाना चाहता है। इस खींचतान के बीच भारत ने वर्ल्ड ट्रेड ऑर्गेनाइजेशन (WTO) के तहत अमेरिका को 30 दिन का नोटिस भी दे दिया है – जो बताता है कि भारत अब पीछे हटने वाला नहीं।
'अमेरिका फर्स्ट' बनाम 'भारत हित' की लड़ाई
ट्रंप का 'अमेरिका फर्स्ट' एजेंडा अब भारत जैसे साझेदार देशों को भी सीधे असर में ला रहा है। मार्च और अप्रैल में ट्रंप प्रशासन पहले ही कई इंडस्ट्रीज़ पर भारी टैरिफ लगा चुका है। इसी साल 2 अप्रैल को 'लिबरेशन डे' के मौके पर घोषित टैरिफ से भारत को सीधे तौर पर 26% शुल्क का नुकसान हुआ।
भारत अब इस चुनौती का मुकाबला केवल वार्ताओं से ही नहीं, बल्कि WTO जैसे मंचों पर भी डटकर करने की तैयारी में है। अगर अमेरिका का रवैया नरम पड़ता है और भारत के हितों की रक्षा होती है, तो 9 जुलाई तक कोई प्रारंभिक समझौता हो सकता है – जिससे दोनों देशों को राहत मिल सकती है।
भारत ने खींच दी एक साफ़ लकीर
सरकार ने साफ़ कर दिया है कि भारत अब किसी भी असंतुलित और एकतरफा डील पर दस्तखत नहीं करेगा। भारत और अमेरिका ने अक्टूबर 2025 तक एक समग्र व्यापार समझौते पर पहुंचने का लक्ष्य तय किया है, जिसमें न केवल वस्तुएं, बल्कि सेवाएं और निवेश भी शामिल होंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति ट्रंप की फरवरी में हुई मुलाकात में यह संकल्प लिया गया था कि 2030 तक भारत-अमेरिका द्विपक्षीय व्यापार को 500 अरब डॉलर तक पहुंचाया जाएगा। अब देखना यह होगा कि यह साझेदारी समानता के आधार पर आगे बढ़ती है या किसी दबाव के नीचे।
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