लाइव हिंदी खबर :- बिहार विधानसभा चुनाव से पहले भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) में बड़े संगठनात्मक फेरबदल की चर्चा तेज़ हो गई है। पार्टी चाहती है कि आगामी चुनाव किसी नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के नेतृत्व में लड़ा जाए। मौजूदा अध्यक्ष जे.पी. नड्डा को पहले ही दो बार कार्यकाल विस्तार मिल चुका है और अब संगठन में नई ऊर्जा व नया चेहरा लाने की तैयारी दिखाई दे रही है।
अध्यक्ष चुनने में देरी के कारण
एनडीटीवी की रिपोर्ट के अनुसार, भाजपा के नए राष्ट्रीय अध्यक्ष के चयन में देरी तीन बड़े कारणों से हुई है। पहला, पार्टी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) ने इस मुद्दे पर गंभीर विचार-विमर्श किया है। अब तक 100 से अधिक वरिष्ठ नेताओं से राय ली गई है, जिनमें पूर्व अध्यक्ष, केंद्रीय मंत्री और संवैधानिक पदों पर रह चुके दिग्गज शामिल हैं।
दूसरा कारण यह है कि हाल ही में उपराष्ट्रपति पद के लिए चुनाव की घोषणा हुई है। जगदीप धनखड़ के अचानक इस्तीफे के बाद यह चुनाव 9 सितंबर को होना है। भाजपा चाहती है कि उसके उम्मीदवार, महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन, को इस चुनाव में बड़ी जीत मिले। इस वजह से पार्टी का पूरा ध्यान अभी उपराष्ट्रपति चुनाव पर केंद्रित है।
संविधान की बाध्यता
तीसरा कारण पार्टी संविधान से जुड़ा है। भाजपा के नियमों के अनुसार, राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव तभी संभव है जब कम से कम 19 राज्य इकाइयों में निर्वाचित अध्यक्ष मौजूद हों। फिलहाल उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक समेत 7 राज्यों में अध्यक्ष का चुनाव बाकी है। जब तक यह प्रक्रिया पूरी नहीं हो जाती, राष्ट्रीय स्तर पर नया अध्यक्ष चुनना संभव नहीं है।
कुल मिलाकर, भाजपा संगठन में बदलाव की आहट तेज है। पार्टी एक ओर चुनावी तैयारियों को मज़बूती दे रही है तो दूसरी ओर नेतृत्व में ताज़गी और नया उत्साह लाने की कोशिश भी जारी है।
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