H-1B Visa News: अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की सरकार H-1B वीजा प्रोग्राम में लगातार बदलाव की तैयारी कर रही है। इसी कड़ी में एक बार फिर से H-1B वीजा में बदलाव करने की तैयारी है, जिसकी वजह से अमेरिकी कंपनियों का विदेशी वर्कर्स को नौकरी पर रखने का तरीका भी बदल जाएगा। व्हाइट हाउस ने एक नियम प्रस्तावित किया है, जिसका नाम 'रिफॉर्मिंग द H-1B नॉन-इमिग्रेंट वीजा क्लासिफिकेशन प्रोग्राम' है। इससे H-1B वीजा लॉटरी से मिलने वाली छूट के नियम को टाइट किया जाएगा।
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प्रस्तावित नियम को सितंबर के आखिर में ही फेडरल रजिस्टर में लिस्ट कर दिया गया था। ये सरकार के उस प्लान का हिस्सा था, जिसके तहत रोजगार आधारित इमिग्रेशन नियमों को कड़ा किया जा रहा है। अभी H-1B वीजा लॉटरी सिस्टम के जरिए दिया जाता है। हर साल 65 हजार वीजा जारी होते हैं, जबकि 20 हजार वीजा अमेरिका से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए रिजर्व हैं। कुछ खास संस्थानों में काम करने आने वाले विदेशी वर्कर्स को H-1B वीजा लॉटरी का हिस्सा नहीं बनना पड़ता है, वे ऐसे ही वीजा पा जाते हैं।
H-1B वीजा में किस तरह के बदलाव हो सकते हैं?
अमेरिकी कंपनियां स्पेशलिटी वाले काम करने के लिए विदेशों से वर्कर्स को H-1B वीजा पर हायर करती हैं। ज्यादातर हायरिंग टेक, फाइनेंस और हेल्थकेयर जैसे सेक्टर्स में की जाती हैं। भारत से ज्यादातर टेक वर्कर्स यूएस में जॉब के लिए H-1B वीजा पर ही जाते हैं। प्रस्तावित नियम में चार प्रमुख बदलाव की मांग की गई हैं, जो निम्नलिखित हैं:
सरकार ने क्या कहा?
डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने कहा है कि प्रस्तावित नियम का मकसद लॉटरी से मिलने वाली छूट के लिए शर्तों को बदलना, वीजा प्रोग्राम की शर्तों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों की ज्यादा जांच करना और थर्ड पार्टी प्लेसमेंट पर निगरानी बढ़ाना है। DHS का कहना है कि इस बदलाव का मकसद H-1B नॉन-इमिग्रेंट प्रोग्राम की अखंडता में सुधार करना और अमेरिकी वर्कर्स की सैलरी और काम करने की स्थिति को बेहतर ढंग से सुरक्षित करना है।
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प्रस्तावित नियम को सितंबर के आखिर में ही फेडरल रजिस्टर में लिस्ट कर दिया गया था। ये सरकार के उस प्लान का हिस्सा था, जिसके तहत रोजगार आधारित इमिग्रेशन नियमों को कड़ा किया जा रहा है। अभी H-1B वीजा लॉटरी सिस्टम के जरिए दिया जाता है। हर साल 65 हजार वीजा जारी होते हैं, जबकि 20 हजार वीजा अमेरिका से पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के लिए रिजर्व हैं। कुछ खास संस्थानों में काम करने आने वाले विदेशी वर्कर्स को H-1B वीजा लॉटरी का हिस्सा नहीं बनना पड़ता है, वे ऐसे ही वीजा पा जाते हैं।
H-1B वीजा में किस तरह के बदलाव हो सकते हैं?
अमेरिकी कंपनियां स्पेशलिटी वाले काम करने के लिए विदेशों से वर्कर्स को H-1B वीजा पर हायर करती हैं। ज्यादातर हायरिंग टेक, फाइनेंस और हेल्थकेयर जैसे सेक्टर्स में की जाती हैं। भारत से ज्यादातर टेक वर्कर्स यूएस में जॉब के लिए H-1B वीजा पर ही जाते हैं। प्रस्तावित नियम में चार प्रमुख बदलाव की मांग की गई हैं, जो निम्नलिखित हैं:
- 'स्पेशलिटी ऑक्यूपेशन' की परिभाषा को बदला जाए। इससे उन नौकरियों के लिए शर्तें सीमित हो जाएंगी, जिन्हें करने के लिए किसी डिग्री की जरूरत होती है।
- यूनिवर्सिटीज, रिसर्च इंस्टीट्यूशन और हेल्थकेयर ऑर्गेनाइजेशन पर लागू होने वाली वीजा लॉटरी छूट की समीक्षा करना और उसे प्रतिबंधित करना।
- उन कंपनियों की जांच बढ़ाना, जो क्लाइंट साइट्स पर वर्कर्स को जॉब करने के लिए रखती हैं।
- उन कंपनियों के लिए नियमों को कड़ा करना, जिन्होंने पहले श्रम या मजदूरी नियमों का उल्लंघन किया था।
सरकार ने क्या कहा?
डिपार्टमेंट ऑफ होमलैंड सिक्योरिटी (DHS) ने कहा है कि प्रस्तावित नियम का मकसद लॉटरी से मिलने वाली छूट के लिए शर्तों को बदलना, वीजा प्रोग्राम की शर्तों का उल्लंघन करने वाली कंपनियों की ज्यादा जांच करना और थर्ड पार्टी प्लेसमेंट पर निगरानी बढ़ाना है। DHS का कहना है कि इस बदलाव का मकसद H-1B नॉन-इमिग्रेंट प्रोग्राम की अखंडता में सुधार करना और अमेरिकी वर्कर्स की सैलरी और काम करने की स्थिति को बेहतर ढंग से सुरक्षित करना है।
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