नई दिल्ली: साल 2016 में एक मीडिया संस्थान के खिलाफ दाखिल मानहानि मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि मानहानि को अपराध की श्रेणी से बाहर कर दिया जाए। यह मामला जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय(जेएनयू) के एक प्रोफेसर से जुड़ा हुआ है, जिनपर एक पत्रकार ने एक ऑनलाइन लेख में गंभीर आरोप लगाया था और कहा था कि कॉलेज की प्रोफेसर अमिता सिंह ने एक डॉजियर (दस्तावेज) तैयार किया था, जिसमें जेएनयू को अश्लील गतिविधियों और आतंकवाद का अड्डा बताया गया।
इस ऑनलाइन लेख के सामने आने के बाद प्रोफेसर अमिता सिंह ने दिल्ली मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में आपराधिक मानहानि का मामला डाल दिया।प्रोफेसर अमिता सिंह ने आरोप लगाया कि रिपोर्टर और संपादक ने बिना सत्यता जांचे यह खबर प्रकाशित की, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा। फिर इसके बाद दिल्ली मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने 7 जनवरी, 2017 को पोर्टल संपादक और पत्रकार अजय आशीर्वाद महाप्रस्थ को तलब किया।
हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2023 में समन रद्द कर दिया। फिर अमिता सिंह की अपील पर, न्यायमूर्ति सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने 24 जुलाई, 2024 को उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया और मामले को वापस उच्च न्यायालय को भेज दिया। फिर दिल्ली हाईकोर्ट ने 2025 में इस समन को सही ठहरा दिया। जिसके बाद फिर पत्रकार ने इस मानहानि से बचने के लिए फिर से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है।
याचिका में क्या कहा गया?
राहत नहीं मिलने पर याचिकाकर्ता पत्रकार द्वारा कहा गया कि अब नया कानून भारतीय न्याय संहिता (BNSS) लागू है। इसके सेक्शन 223 के अनुसार केस की सुनवाई शुरुआती स्तर पर ही होनी चाहिए। हालांकि हाईकोर्ट का मानना है कि चूंकि शिकायत 2016 की है, इसलिए नया कानून लागू नहीं होगा।
कपिल सिब्बल ने राहुल गांधी के मामलों का भी किया जिक्र
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बताया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी कुछ आपराधिक मानहानि मामलों में उन्हें जारी समन को चुनौती देते हुए अपील दायर की है, जो इसी तरह के सवाल खड़े करते हैं। इसके बाद पीठ ने फाउंडेशन की याचिका पर नोटिस जारी किया।
इस ऑनलाइन लेख के सामने आने के बाद प्रोफेसर अमिता सिंह ने दिल्ली मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट कोर्ट में आपराधिक मानहानि का मामला डाल दिया।प्रोफेसर अमिता सिंह ने आरोप लगाया कि रिपोर्टर और संपादक ने बिना सत्यता जांचे यह खबर प्रकाशित की, जिससे उनकी प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचा। फिर इसके बाद दिल्ली मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत ने 7 जनवरी, 2017 को पोर्टल संपादक और पत्रकार अजय आशीर्वाद महाप्रस्थ को तलब किया।
हालांकि, दिल्ली उच्च न्यायालय ने 2023 में समन रद्द कर दिया। फिर अमिता सिंह की अपील पर, न्यायमूर्ति सुंदरेश और न्यायमूर्ति अरविंद कुमार की सर्वोच्च न्यायालय की पीठ ने 24 जुलाई, 2024 को उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द कर दिया और मामले को वापस उच्च न्यायालय को भेज दिया। फिर दिल्ली हाईकोर्ट ने 2025 में इस समन को सही ठहरा दिया। जिसके बाद फिर पत्रकार ने इस मानहानि से बचने के लिए फिर से सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। अब सुप्रीम कोर्ट में इस मामले की सुनवाई चल रही है।
याचिका में क्या कहा गया?
राहत नहीं मिलने पर याचिकाकर्ता पत्रकार द्वारा कहा गया कि अब नया कानून भारतीय न्याय संहिता (BNSS) लागू है। इसके सेक्शन 223 के अनुसार केस की सुनवाई शुरुआती स्तर पर ही होनी चाहिए। हालांकि हाईकोर्ट का मानना है कि चूंकि शिकायत 2016 की है, इसलिए नया कानून लागू नहीं होगा।
कपिल सिब्बल ने राहुल गांधी के मामलों का भी किया जिक्र
याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने बताया कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भी कुछ आपराधिक मानहानि मामलों में उन्हें जारी समन को चुनौती देते हुए अपील दायर की है, जो इसी तरह के सवाल खड़े करते हैं। इसके बाद पीठ ने फाउंडेशन की याचिका पर नोटिस जारी किया।
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