अभय सिंह राठौड़, लखनऊ: आगामी बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तर प्रदेश की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती ने सियासी मैदान में पूरी सक्रियता के साथ एंट्री ले ली है। मायावती ने बिहार चुनाव को लेकर बड़ा ऐलान करते हुए कहा है कि उनकी पार्टी राज्य में किसी गठबंधन के साथ नहीं, बल्कि अकेले दम पर चुनाव मैदान में उतरेगी। साथ ही उन्होंने राज्य की कानून-व्यवस्था पर गंभीर सवाल उठाते हुए चुनाव आयोग से निष्पक्ष और स्वतंत्र चुनाव सुनिश्चित कराने के लिए सख्त कदम उठाने की अपील की है।
मायावती ने सोमवार को सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि बिहार में खासकर दलितों, अति-पिछड़ों, शोषितों, गरीबों और महिलाओं के खिलाफ अन्याय, शोषण और हत्या की घटनाएं लंबे समय से चिंता का विषय रही हैं। लेकिन चुनाव से पहले भाजपा से जुड़े उद्योगपति और नेता गोपाल खेमका की राजधानी पटना में हुई हत्या ने कानून व्यवस्था की बदहाली को उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा कि यदि चुनाव आयोग अभी से इन घटनाओं पर संज्ञान लेकर आवश्यक कार्रवाई करता है तो शांतिपूर्ण चुनाव कराना संभव होगा।
बसपा लड़ेगी अपने दम पर चुनाव
मायावती ने यह भी आरोप लगाया कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के दौरान बढ़ती हिंसा यह दिखा रही है कि कुछ शक्तियां अपने स्वार्थ के लिए माहौल को अस्थिर करना चाहती हैं। बसपा सुप्रीमो ने साफ किया कि बहुजन समाज पार्टी दलितों, पिछड़ों, शोषितों, मजदूरों और वंचित वर्गों की पार्टी है, जो अपने कैडर, कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों के बलबूते पर चुनाव लड़ती है। उन्होंने कहा कि बसपा बिहार विधानसभा का आम चुनाव पूरी ताकत से अकेले लड़ेगी और किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी।
चुनाव आयोग से निष्पक्षता की अपील
बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि बिहार चुनाव को सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग, धनबल, बाहुबल और अपराधबल से मुक्त रखने के लिए समय से सख्त कदम उठाए जाएं ताकि लोकतंत्र की गरिमा बनी रहे और सभी दलों को समान अवसर मिल सके। मायावती के इस बयान के बाद बिहार की सियासत में हलचल मच गई है और सभी राजनीतिक दलों की नजर अब बसपा की आगामी रणनीति और उम्मीदवारों की सूची पर टिकी है।
मायावती ने सोमवार को सोशल मीडिया मंच एक्स (पूर्व ट्विटर) पर पोस्ट करते हुए लिखा कि बिहार में खासकर दलितों, अति-पिछड़ों, शोषितों, गरीबों और महिलाओं के खिलाफ अन्याय, शोषण और हत्या की घटनाएं लंबे समय से चिंता का विषय रही हैं। लेकिन चुनाव से पहले भाजपा से जुड़े उद्योगपति और नेता गोपाल खेमका की राजधानी पटना में हुई हत्या ने कानून व्यवस्था की बदहाली को उजागर कर दिया है। उन्होंने कहा कि यदि चुनाव आयोग अभी से इन घटनाओं पर संज्ञान लेकर आवश्यक कार्रवाई करता है तो शांतिपूर्ण चुनाव कराना संभव होगा।
बसपा लड़ेगी अपने दम पर चुनाव
मायावती ने यह भी आरोप लगाया कि बिहार में मतदाता सूची के विशेष पुनरीक्षण के दौरान बढ़ती हिंसा यह दिखा रही है कि कुछ शक्तियां अपने स्वार्थ के लिए माहौल को अस्थिर करना चाहती हैं। बसपा सुप्रीमो ने साफ किया कि बहुजन समाज पार्टी दलितों, पिछड़ों, शोषितों, मजदूरों और वंचित वर्गों की पार्टी है, जो अपने कैडर, कार्यकर्ताओं और शुभचिंतकों के बलबूते पर चुनाव लड़ती है। उन्होंने कहा कि बसपा बिहार विधानसभा का आम चुनाव पूरी ताकत से अकेले लड़ेगी और किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनेगी।
चुनाव आयोग से निष्पक्षता की अपील
बसपा सुप्रीमो और पूर्व मुख्यमंत्री ने चुनाव आयोग से अनुरोध किया है कि बिहार चुनाव को सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग, धनबल, बाहुबल और अपराधबल से मुक्त रखने के लिए समय से सख्त कदम उठाए जाएं ताकि लोकतंत्र की गरिमा बनी रहे और सभी दलों को समान अवसर मिल सके। मायावती के इस बयान के बाद बिहार की सियासत में हलचल मच गई है और सभी राजनीतिक दलों की नजर अब बसपा की आगामी रणनीति और उम्मीदवारों की सूची पर टिकी है।
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