नई दिल्ली: एआईएमआईएम चीफ असदुद्दीन ओवैसी ने अल्पसंख्यक मामलों के केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू के एक बयान पर जोरदार पलटवार किया है। रिजिजू ने कहा था कि भारत अकेला ऐसा देश है, जहां अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों से ज्यादा फायदे और सुरक्षा मिलती है। ओवैसी ने रिजिजू के इस बयान को गलत बताते हुए आरोप लगाया कि भारत में अल्पसंख्यक अब दोयम दर्जे के नागरिक भी नहीं हैं, बल्कि बंधक हैं। ओवैसी और रिजिजू के बीच यह बहस एक अखबार में छपे इंटरव्यू के बाद शुरू हुई। ओवैसी ने सोशल मीडिया पर रिजिजू के बयान को शेयर करते हुए अपनी बौखलाहट जाहिर की है।
'पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, जिहादी कहलाना फायदा है?'
दरअसल, रिजिजू ने एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत में अल्पसंख्यक को बहुसंख्यकों से ज्यादा सुविधाएं मिलती हैं। इस पर हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने सवाल उठाया कि क्या हर रोज पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, जिहादी या रोहिंग्या कहलाना 'फायदा' है? क्या लिंचिंग होना 'सुरक्षा' है? क्या भारतीय नागरिकों का अपहरण करके बांग्लादेश में धकेल दिया जाना 'सुरक्षा' है? बता दें कि खुद केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजीजू भी अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं।
'अल्पसंख्यकों को जो मिलता है, वह हिंदुओं को नहीं मिलता'
रिजिजू ने अपने इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास' के सिद्धांत की बात की थी। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 'भागीदारी से भाग्योदय' के मंत्र को अपनाया है। इससे शिक्षा, कौशल विकास, उद्यमिता और समावेश पर ध्यान दिया जा रहा है। रिजिजू ने कहा कि सरकार अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों से ज्यादा फंड और मदद दे रही है। उन्होंने कहा, 'हिंदुओं को जो मिलता है, वह अल्पसंख्यकों को भी मिलता है। लेकिन अल्पसंख्यकों को जो मिलता है, वह हिंदुओं को नहीं मिलता।'
ओवैसी ने पीएम मोदी के भाषणों में भी नफरत का लगाया आरोप
असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाते हुए पूछा कि क्या पीएम की ओर से नफरत भरे भाषणों का निशाना बनना 'सम्मान' है? उन्होंने कहा कि भारत के अल्पसंख्यक अब दोयम दर्जे के नागरिक भी नहीं हैं, वे बंधक हैं। ओवैसी ने कहा कि अगर 'उपहार' की बात करनी है, तो बताएं कि क्या मुस्लिम हिंदू एंडोमेंट बोर्ड के सदस्य बन सकते हैं? नहीं। लेकिन, आपका वक्फ संशोधन अधिनियम गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्डों में शामिल होने के लिए मजबूर करता है और उन्हें बहुमत बनाने की अनुमति देता है। ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम अब एकमात्र ऐसा समूह है जिनकी संख्या उच्च शिक्षा में घटी है। अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में उनकी उपस्थिति बढ़ी है। वे आपकी आर्थिक नीतियों से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। यह आपकी अपनी सरकार का डेटा है।
ओवैसी ने कहा कि भारतीय मुस्लिम एकमात्र ऐसा समूह है जिनके बच्चे अब अपने माता-पिता या दादा-दादी से भी बदतर स्थिति में हैं। मुस्लिम बहुल इलाकों में सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और बुनियादी सेवाओं की सबसे ज्यादा कमी है। ओवैसी ने कहा, 'हम दूसरे देशों के अल्पसंख्यकों के साथ तुलना करने के लिए नहीं कह रहे हैं। हम बहुसंख्यक समुदाय को मिलने वाली चीजों से ज्यादा नहीं मांग रहे हैं। हम वह मांग रहे हैं जो संविधान वादा करता है: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय।'
'पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, जिहादी कहलाना फायदा है?'
दरअसल, रिजिजू ने एक इंटरव्यू में कहा था कि भारत में अल्पसंख्यक को बहुसंख्यकों से ज्यादा सुविधाएं मिलती हैं। इस पर हैदराबाद के सांसद ओवैसी ने सवाल उठाया कि क्या हर रोज पाकिस्तानी, बांग्लादेशी, जिहादी या रोहिंग्या कहलाना 'फायदा' है? क्या लिंचिंग होना 'सुरक्षा' है? क्या भारतीय नागरिकों का अपहरण करके बांग्लादेश में धकेल दिया जाना 'सुरक्षा' है? बता दें कि खुद केंद्रीय संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजीजू भी अल्पसंख्यक समुदाय से आते हैं।
You are a Minister of the Indian Republic, not a monarch. @KirenRijiju You hold a constitutional post, not a throne. Minority rights are fundamental rights, not charity.
— Asaduddin Owaisi (@asadowaisi) July 7, 2025
Is it a “benefit” to be called Pakistani, Bangladeshi, jihadi, or Rohingya every single day? Is it… https://t.co/G1dgmvj6Gl
'अल्पसंख्यकों को जो मिलता है, वह हिंदुओं को नहीं मिलता'
रिजिजू ने अपने इंटरव्यू में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में 'सबका साथ, सबका विकास, सबका विश्वास, सबका प्रयास' के सिद्धांत की बात की थी। उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय ने 'भागीदारी से भाग्योदय' के मंत्र को अपनाया है। इससे शिक्षा, कौशल विकास, उद्यमिता और समावेश पर ध्यान दिया जा रहा है। रिजिजू ने कहा कि सरकार अल्पसंख्यकों को बहुसंख्यकों से ज्यादा फंड और मदद दे रही है। उन्होंने कहा, 'हिंदुओं को जो मिलता है, वह अल्पसंख्यकों को भी मिलता है। लेकिन अल्पसंख्यकों को जो मिलता है, वह हिंदुओं को नहीं मिलता।'
ओवैसी ने पीएम मोदी के भाषणों में भी नफरत का लगाया आरोप
असदुद्दीन ओवैसी ने आरोप लगाते हुए पूछा कि क्या पीएम की ओर से नफरत भरे भाषणों का निशाना बनना 'सम्मान' है? उन्होंने कहा कि भारत के अल्पसंख्यक अब दोयम दर्जे के नागरिक भी नहीं हैं, वे बंधक हैं। ओवैसी ने कहा कि अगर 'उपहार' की बात करनी है, तो बताएं कि क्या मुस्लिम हिंदू एंडोमेंट बोर्ड के सदस्य बन सकते हैं? नहीं। लेकिन, आपका वक्फ संशोधन अधिनियम गैर-मुस्लिमों को वक्फ बोर्डों में शामिल होने के लिए मजबूर करता है और उन्हें बहुमत बनाने की अनुमति देता है। ओवैसी ने कहा कि मुस्लिम अब एकमात्र ऐसा समूह है जिनकी संख्या उच्च शिक्षा में घटी है। अनौपचारिक अर्थव्यवस्था में उनकी उपस्थिति बढ़ी है। वे आपकी आर्थिक नीतियों से सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं। यह आपकी अपनी सरकार का डेटा है।
ओवैसी ने कहा कि भारतीय मुस्लिम एकमात्र ऐसा समूह है जिनके बच्चे अब अपने माता-पिता या दादा-दादी से भी बदतर स्थिति में हैं। मुस्लिम बहुल इलाकों में सार्वजनिक बुनियादी ढांचे और बुनियादी सेवाओं की सबसे ज्यादा कमी है। ओवैसी ने कहा, 'हम दूसरे देशों के अल्पसंख्यकों के साथ तुलना करने के लिए नहीं कह रहे हैं। हम बहुसंख्यक समुदाय को मिलने वाली चीजों से ज्यादा नहीं मांग रहे हैं। हम वह मांग रहे हैं जो संविधान वादा करता है: सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक न्याय।'
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