अशोक कुमार, फतेहाबाद: फसल अवशेष जलाने वाले किसानों पर एफआईआर को लेकर कृषि विभाग के अधिकारियों ने हाथ खड़े कर दिए हैं। इस मामले में शुक्रवार को कृषि विभाग के फील्ड स्टाफ का एक प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त डॉ. विवेक भारती से मिला और एक ज्ञापन सौंपकर उनसे मांग की कि उनके द्वारा पराली जलाने वाले किसानों पर एफआईआर दर्ज न करवाई जाए। यह काम पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को दिया जाए। ज्ञात रहे कि फतेहाबाद जिले में किसानों द्वारा पराली जलाने के अनेक मामले सामने आते हैं। हर साल धान की फसल की कटाई के बाद धान की पराली जला दी जाती है, जिससे पर्यावरण प्रदूषण बढ़ता है।
2022 में तो फतेहाबाद जिले में पराली जलाने के 767 मामले सामने आए थे। इसके बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्ती बरती तो आने वाले सालों में मामलो में कमी आई। 2023 में पराली जलाने का आंकड़ा 579 और 2024 में यह घटकर 130 हो गया था। इस साल अब तक पराली जलाने के मामलों में कमी तो आई है, लेकिन फिर भी किसान गेहूं की बिजाई की जल्दी में पराली को आग लगा रहे हैं।
डीसी से मिलकर क्या बोले अधिकारी
कृषि विभाग के विकास अधिकारी डॉ. अंकित ढिल्लों, डॉ. जनक पुनिया और डॉ. संजय सचदेवा व सभी एटीएम आदि ने डीसी से कहा कि पराली जलाने के मामलों में किसानों पर केस दर्ज करवाने की जिम्मेवारी कृषि विभाग के फील्ड अधिकारियों की है। मगर कृषि विभाग के अधिकांश कार्य किसानों के बीच जाकर होते हैं। ऐसे में कृषि विभाग के अधिकारियों और किसानों के बीच में दूरियां पैदा हो रही हैं। क्योंकि कृषि विभाग की योजनाओं को किसानों तक पहुंचाने के लिए फील्ड अधिकारियों को ही गांवों में जाना होता है। जैसे किसान मेलों का आयोजन, प्रगतिशील किसानों को प्रोत्साहित करना, विभाग की विभिन्न योजनाओं की जानकारी देना, यह काम किसानों के बीच जाकर किया जाता है।
विभागीय कार्यों में आती है बाधा
उन्होंने आग कहा कि जब कृषि अधिकारी ही किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के लिए बाध्य होते हैं, तो इससे किसानों में द्वेष भावना बढ़ती है। इससे विभागीय कार्यों में बाधा आती है। पिछले वर्षों में कई ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जब किसानों द्वारा अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ असहयोग, विरोध, मारपीट, महिलाओं कर्मचारियों से अभद्र व्यवहार या कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करवाने जैसी घटनाएं हुई है। उन्होंने मांग की कि पराली जलाने वाले किसानों पर एफआईआर करवाने का जिम्मा कृषि अधिकारियों को नहीं बल्कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को दिया जाए।
2022 में तो फतेहाबाद जिले में पराली जलाने के 767 मामले सामने आए थे। इसके बाद नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल ने सख्ती बरती तो आने वाले सालों में मामलो में कमी आई। 2023 में पराली जलाने का आंकड़ा 579 और 2024 में यह घटकर 130 हो गया था। इस साल अब तक पराली जलाने के मामलों में कमी तो आई है, लेकिन फिर भी किसान गेहूं की बिजाई की जल्दी में पराली को आग लगा रहे हैं।
डीसी से मिलकर क्या बोले अधिकारी
कृषि विभाग के विकास अधिकारी डॉ. अंकित ढिल्लों, डॉ. जनक पुनिया और डॉ. संजय सचदेवा व सभी एटीएम आदि ने डीसी से कहा कि पराली जलाने के मामलों में किसानों पर केस दर्ज करवाने की जिम्मेवारी कृषि विभाग के फील्ड अधिकारियों की है। मगर कृषि विभाग के अधिकांश कार्य किसानों के बीच जाकर होते हैं। ऐसे में कृषि विभाग के अधिकारियों और किसानों के बीच में दूरियां पैदा हो रही हैं। क्योंकि कृषि विभाग की योजनाओं को किसानों तक पहुंचाने के लिए फील्ड अधिकारियों को ही गांवों में जाना होता है। जैसे किसान मेलों का आयोजन, प्रगतिशील किसानों को प्रोत्साहित करना, विभाग की विभिन्न योजनाओं की जानकारी देना, यह काम किसानों के बीच जाकर किया जाता है।
विभागीय कार्यों में आती है बाधा
उन्होंने आग कहा कि जब कृषि अधिकारी ही किसानों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करवाने के लिए बाध्य होते हैं, तो इससे किसानों में द्वेष भावना बढ़ती है। इससे विभागीय कार्यों में बाधा आती है। पिछले वर्षों में कई ऐसे उदाहरण सामने आए हैं, जब किसानों द्वारा अधिकारियों-कर्मचारियों के साथ असहयोग, विरोध, मारपीट, महिलाओं कर्मचारियों से अभद्र व्यवहार या कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमे दर्ज करवाने जैसी घटनाएं हुई है। उन्होंने मांग की कि पराली जलाने वाले किसानों पर एफआईआर करवाने का जिम्मा कृषि अधिकारियों को नहीं बल्कि पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड को दिया जाए।
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