नई दिल्ली: प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने रिलायंस ADAG ग्रुप के चेयरमैन अनिल अंबानी को मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पूछताछ के लिए फिर से बुलाया है। यह समन 14 नवंबर के लिए जारी किया गया है। सूत्रों के मुताबिक, यह कदम ऐसे समय में आया है जब ED ने इसी हफ्ते नवी मुंबई के धीरूभाई अंबानी नॉलेज सिटी में 132 एकड़ से ज़्यादा ज़मीन, जिसकी कीमत 4,462.81 करोड़ रुपये है, उसे मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून के तहत अस्थायी तौर पर ज़ब्त किया है।
42 संपत्तियां जब्त
इससे पहले, ED ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCOM), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड के बैंक धोखाधड़ी के मामलों में 42 संपत्तियों को ज़ब्त किया था, जिनकी कीमत 3,083 करोड़ रुपये से ज़्यादा थी। इन सभी मामलों में कुल ज़ब्ती 7,545 करोड़ रुपये से ज़्यादा हो गई है। ED का कहना है कि वे वित्तीय अपराध करने वालों का सक्रिय रूप से पीछा कर रहे हैं और अपराध से हुई कमाई को उसके सही मालिकों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
सीबीआई दर्ज कर चुकी है FIR
ED ने यह जांच CBI की FIR के आधार पर शुरू की थी। यह FIR RCOM, अनिल अंबानी और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120-B, 406 और 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1989 की धारा 13(2) के साथ धारा 13(1)(d) के तहत दर्ज की गई थी।
कितना है बकाया लोन
RCOM और उसकी ग्रुप कंपनियों ने 2010-2012 के दौरान घरेलू और विदेशी बैंकों से लोन लिया था। इनमें से कुल 40,185 करोड़ रुपये का लोन अभी भी बकाया है। बयान के अनुसार, पांच बैंकों ने ग्रुप के लोन खातों को धोखाधड़ी घोषित कर दिया है। ED की जांच में यह बात सामने आई है कि एक बैंक से एक कंपनी द्वारा लिए गए लोन का इस्तेमाल दूसरी कंपनियों द्वारा दूसरे बैंकों से लिए गए लोन चुकाने, संबंधित पार्टियों को ट्रांसफर करने और म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए किया गया था। यह लोन की मंजूरी के नियमों और शर्तों के बिल्कुल खिलाफ था।
रकम का दुरुपयोग
आरोप है कि RCOM और उसकी ग्रुप कंपनियों ने लोन को बनाए रखने (evergreening) के लिए 13,600 करोड़ रुपये से ज़्यादा की रकम का दुरुपयोग किया। इसके अलावा, 12,600 करोड़ रुपये से ज़्यादा की रकम संबंधित पार्टियों को ट्रांसफर की गई और 1,800 करोड़ रुपये से ज़्यादा का निवेश फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और म्यूचुअल फंड (MF) आदि में किया गया, जिसे बाद में ग्रुप की कंपनियों में फिर से भेजने के लिए काफी हद तक भुना लिया गया। ED ने यह भी पता लगाया है कि संबंधित पार्टियों को पैसे पहुंचाने के लिए बिल डिस्काउंटिंग का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया। कुछ लोन को विदेशी आउटवर्ड रेमिटेंस के ज़रिए भारत से बाहर भेजा गया। ED के बयान के मुताबिक, आगे की जांच जारी है।
42 संपत्तियां जब्त
इससे पहले, ED ने रिलायंस कम्युनिकेशंस लिमिटेड (RCOM), रिलायंस कमर्शियल फाइनेंस लिमिटेड और रिलायंस होम फाइनेंस लिमिटेड के बैंक धोखाधड़ी के मामलों में 42 संपत्तियों को ज़ब्त किया था, जिनकी कीमत 3,083 करोड़ रुपये से ज़्यादा थी। इन सभी मामलों में कुल ज़ब्ती 7,545 करोड़ रुपये से ज़्यादा हो गई है। ED का कहना है कि वे वित्तीय अपराध करने वालों का सक्रिय रूप से पीछा कर रहे हैं और अपराध से हुई कमाई को उसके सही मालिकों तक पहुंचाने के लिए प्रतिबद्ध हैं।
सीबीआई दर्ज कर चुकी है FIR
ED ने यह जांच CBI की FIR के आधार पर शुरू की थी। यह FIR RCOM, अनिल अंबानी और अन्य के खिलाफ भारतीय दंड संहिता की धारा 120-B, 406 और 420 और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1989 की धारा 13(2) के साथ धारा 13(1)(d) के तहत दर्ज की गई थी।
कितना है बकाया लोन
RCOM और उसकी ग्रुप कंपनियों ने 2010-2012 के दौरान घरेलू और विदेशी बैंकों से लोन लिया था। इनमें से कुल 40,185 करोड़ रुपये का लोन अभी भी बकाया है। बयान के अनुसार, पांच बैंकों ने ग्रुप के लोन खातों को धोखाधड़ी घोषित कर दिया है। ED की जांच में यह बात सामने आई है कि एक बैंक से एक कंपनी द्वारा लिए गए लोन का इस्तेमाल दूसरी कंपनियों द्वारा दूसरे बैंकों से लिए गए लोन चुकाने, संबंधित पार्टियों को ट्रांसफर करने और म्यूचुअल फंड में निवेश करने के लिए किया गया था। यह लोन की मंजूरी के नियमों और शर्तों के बिल्कुल खिलाफ था।
रकम का दुरुपयोग
आरोप है कि RCOM और उसकी ग्रुप कंपनियों ने लोन को बनाए रखने (evergreening) के लिए 13,600 करोड़ रुपये से ज़्यादा की रकम का दुरुपयोग किया। इसके अलावा, 12,600 करोड़ रुपये से ज़्यादा की रकम संबंधित पार्टियों को ट्रांसफर की गई और 1,800 करोड़ रुपये से ज़्यादा का निवेश फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) और म्यूचुअल फंड (MF) आदि में किया गया, जिसे बाद में ग्रुप की कंपनियों में फिर से भेजने के लिए काफी हद तक भुना लिया गया। ED ने यह भी पता लगाया है कि संबंधित पार्टियों को पैसे पहुंचाने के लिए बिल डिस्काउंटिंग का बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया गया। कुछ लोन को विदेशी आउटवर्ड रेमिटेंस के ज़रिए भारत से बाहर भेजा गया। ED के बयान के मुताबिक, आगे की जांच जारी है।
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