नई दिल्लीः दिल्ली ब्लास्ट में जैश-ए-मोहम्मद के हाथ होने की आशंका जाहिर की जा रही है। खुफिया और जांच एजेंसियों के सूत्रों का दावा है कि धमाका को जिस डॉक्टर ने अंजाम दिया वह जैश-ए-मोहम्मद के मॉड्यूल का मेंबर था। एक अफसर ने बताया कि डॉ. उमर जैश-ए-मोहम्मद मॉड्यूल का मेंबर था। लेकिन हरियाणा, यूपी और जम्मू-कश्मीर में ताबड़तोड एक्शन से डॉ. उमर प्रेशर में आ गया है। उसने छापेमारी के बाद अल फला मेडिकल कॉलेज कैंपस, फरीदाबाद से अपनी लोकेशन बदल दी। वही कार चला रहा था, जिसमें धमाका हुआ, जिसे सीसीटीवी फुटेज से भी साबित किया गया है। यह वही विस्फोटक था जो फरीदाबाद के ठिकानों से मिला था।
जैश मॉड्यूल का हाथ, पोस्टर से खुली पोलटाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली धमाके के पीछे जिस जैश मॉड्यूल का हाथ था, उसका सफाया हमारे खुफिया तंत्र और सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता का सबूत है। यह हमारी एजेंसियों की सफलता है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस केस की जांच की शुरुआत श्रीनगर में लगे कुछ आपत्तिजनक पोस्टरों से हुई थी। इस संबंध में 19 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद ही पूरे मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ।
'व्हाइट कॉलर' टेरर मॉड्यूल का नया सिलसिलाबहरहाल, इसी क्रम में 'व्हाइट कॉलर' टेरर मॉड्यूल चलाने के आरोप में कश्मीर के एक मौलवी को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि मौलवी के निशाने पर मेडिकल स्टूडेंट्स और युवा डॉक्टर्स थे। इनमें से ही कुछ दिल्ली में सोमवार को हुए कार ब्लास्ट से कुछ घंटे पहले फरीदाबाद में पकड़े गए, जो नेटवर्क के संदिग्ध सदस्य बताए जा रहे हैं।
मेडिकल स्टूडेंट्स, डॉक्टरों को निशाना बनाने वाला मौलवी कौन?
दक्षिण कश्मीर के शोपियां निवासी मौलवी इरफान अहमद वगाय को इमाम इरफान के नाम से भी जाना जाता है। मौलवी इरफान श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज (GMC) में पैरामेडिक के तौर पर काम करता था। सूत्रों के मुताबिक, वह अपनी नौकरी और नमाज का इस्तेमाल मेडिकल स्टूडेंट्स को साधने, जज्बाती युवाओं की पहचान करने और उन्हें कट्टरपंथ की ओर धकेलने के लिए करता था।
मौलवी ही जैश मॉड्यूल का मुख्य चेहराः दावापुलिस सूत्रों ने बताया कि इरफान इस मॉड्यूल का 'मुख्य चेहरा' था। इरफान नेमेडिकल प्रोफेशनल्स की भर्ती, फंडिंग जुटाने, लॉजिस्टिक सपोर्ट और आईईडी के लिए सामग्री की व्यवस्था तक का काम संभाला। पुलिस ने बताया कि उसके घर से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद किए गए हैं, जिनकी जांच चल रही है। यह जांच तब शुरू हुई जब 19 अक्टूबर को श्रीनगर के बुनपोरा नवगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर मिले थे, जिन पर पुलिस और सुरक्षाबलों को धमकियां दी गई थीं। इस मामले में UAPA, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और शस्त्र अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था।
पुलिस, जांच एजेंसियां नेटवर्क खंगालने में जुटींजांच आगे बढ़ने पर पुलिस ने नवगाम से तीन संदिग्धों आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद को गिरफ्तार किया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि और भी संदिग्धों की भूमिका सामने आई है, जिनकी जांच जारी है। इस मॉड्यूल से जुड़े वित्तीय लेनदेन की भी जांच की जा रही है। पुलिस टीमें आरोपियों के परिजनों और दोस्तों से पूछताछ कर नेटवर्क के दायरे को समझने की कोशिश कर रही हैं।
जैश मॉड्यूल का हाथ, पोस्टर से खुली पोलटाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में एक अधिकारी ने बताया कि दिल्ली धमाके के पीछे जिस जैश मॉड्यूल का हाथ था, उसका सफाया हमारे खुफिया तंत्र और सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता का सबूत है। यह हमारी एजेंसियों की सफलता है। रिपोर्ट के मुताबिक, इस केस की जांच की शुरुआत श्रीनगर में लगे कुछ आपत्तिजनक पोस्टरों से हुई थी। इस संबंध में 19 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज की गई थी, जिसके बाद ही पूरे मॉड्यूल का पर्दाफाश हुआ।
'व्हाइट कॉलर' टेरर मॉड्यूल का नया सिलसिलाबहरहाल, इसी क्रम में 'व्हाइट कॉलर' टेरर मॉड्यूल चलाने के आरोप में कश्मीर के एक मौलवी को गिरफ्तार किया गया है। आरोप है कि मौलवी के निशाने पर मेडिकल स्टूडेंट्स और युवा डॉक्टर्स थे। इनमें से ही कुछ दिल्ली में सोमवार को हुए कार ब्लास्ट से कुछ घंटे पहले फरीदाबाद में पकड़े गए, जो नेटवर्क के संदिग्ध सदस्य बताए जा रहे हैं।
मेडिकल स्टूडेंट्स, डॉक्टरों को निशाना बनाने वाला मौलवी कौन?
दक्षिण कश्मीर के शोपियां निवासी मौलवी इरफान अहमद वगाय को इमाम इरफान के नाम से भी जाना जाता है। मौलवी इरफान श्रीनगर के सरकारी मेडिकल कॉलेज (GMC) में पैरामेडिक के तौर पर काम करता था। सूत्रों के मुताबिक, वह अपनी नौकरी और नमाज का इस्तेमाल मेडिकल स्टूडेंट्स को साधने, जज्बाती युवाओं की पहचान करने और उन्हें कट्टरपंथ की ओर धकेलने के लिए करता था।
मौलवी ही जैश मॉड्यूल का मुख्य चेहराः दावापुलिस सूत्रों ने बताया कि इरफान इस मॉड्यूल का 'मुख्य चेहरा' था। इरफान नेमेडिकल प्रोफेशनल्स की भर्ती, फंडिंग जुटाने, लॉजिस्टिक सपोर्ट और आईईडी के लिए सामग्री की व्यवस्था तक का काम संभाला। पुलिस ने बताया कि उसके घर से इलेक्ट्रॉनिक उपकरण बरामद किए गए हैं, जिनकी जांच चल रही है। यह जांच तब शुरू हुई जब 19 अक्टूबर को श्रीनगर के बुनपोरा नवगाम इलाके में जैश-ए-मोहम्मद के पोस्टर मिले थे, जिन पर पुलिस और सुरक्षाबलों को धमकियां दी गई थीं। इस मामले में UAPA, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम और शस्त्र अधिनियम के तहत केस दर्ज किया गया था।
पुलिस, जांच एजेंसियां नेटवर्क खंगालने में जुटींजांच आगे बढ़ने पर पुलिस ने नवगाम से तीन संदिग्धों आरिफ निसार डार उर्फ साहिल, यासिर-उल-अशरफ और मकसूद अहमद डार उर्फ शाहिद को गिरफ्तार किया। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि और भी संदिग्धों की भूमिका सामने आई है, जिनकी जांच जारी है। इस मॉड्यूल से जुड़े वित्तीय लेनदेन की भी जांच की जा रही है। पुलिस टीमें आरोपियों के परिजनों और दोस्तों से पूछताछ कर नेटवर्क के दायरे को समझने की कोशिश कर रही हैं।
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