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चंद्रन्ना झूठा है, देवुजी नहीं है नक्सलियों का महासचिव, गणेश की चिट्ठी से माओवादियों नेतृत्व की कलह सामने आई

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हैदराबाद : नक्सली संगठन कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ इंडिया (माओवादी) में लीडरशिप को लेकर मतभेद अब खुलकर सामने आ रहे हैं। टॉप नक्सली कमांडरों के आत्मसमर्पण के बीच सीपीआई (माओवादी) ने एक लेटर जारी कर संगठन के भीतर हो रही हलचल पर बड़ा धमाका किया है। एक ओर सरेंडर करने वाले कमांडरों का दावा है कि थिप्पिरी तिरुपति उर्फ देवुजी पार्टी के महासचिव हैं जबकि पत्र में दावा किया गया है कि अभी उनका कोई नेता नहीं है। पत्र में सरेंडर करने वाले सेंट्रल कमेटी मेंबर चंद्रन्ना के दावों को भी खारिज किया गया है।


चंद्रन्ना ने देवुजी को बताया था महासचिव

माओवादी संगठन में लीडरशिप को लेकर मतभेद की खबरें लंबे समय से आ रही थीं। जानकार बताते हैं कि इस मतभेद के कारण ही टॉप वॉन्टेड नक्सली नेताओं ने बंदूक छोड़कर सरेंडर कर दिया। सेंट्रल कमेटी मेंबर पुलुरी प्रसाद राव उर्फ चंद्रन्ना के तेलंगाना में आत्मसमर्पण करने के बाद यह विवाद पूरी तरह सामने आ गया। चंद्रन्ना ने मंगलवार को सरेंडर करने के दौरान माओवादी संगठन के महासचिव थिप्पिरी तिरुपति उर्फ देवुजी को महासचिव बताते हुए विचाराधारा के प्रति आस्था जाहिर की थी। सीपीआई (माओवाद) के लिए 45 साल तक अंडरग्राउंड रहकर काम करने वाले चंद्रन्ना ने दावा किया था कि मई में नंबला केशवा राव उर्फ बसवराजू के एनकाउंटर के बाद देवुजी को पार्टी का सर्वोच्च नेता चुना गया था।


गणेश ने चिट्ठी में चंद्रन्ना को झूठा बताया
पुलुरी प्रसाद राव उर्फ चंद्रन्ना के दावे के तुरंत बाद पार्टी के ओडिशा राज्य समिति सचिव पाका हनुमान्तु उर्फ गणेश ने 29 अक्टूबर के एक पत्र जारी किया। इस पत्र में नक्सली लीडर गणेश ने बताया कि चंद्रन्ना का दावा सरासर झूठ है। पत्र में दावा किया गया है कि बसवराजू की मौत के बाद केंद्रीय समिति की कोई बैठक नहीं हुई है। महासचिव का पद एक निर्वाचित पद है और इसका फैसला पार्टी का सर्वोच्च निकाय सेंट्रल कमेटी करती है। इस चिट्ठी में चंद्रना पर पार्टी लाइन से हटकर सरेंडर करने का आरोप लगाया गया है। गणेश ने लिखा है कि चंद्रन्ना लोगों के बीच काम करना चाहते हैं और हथियार छोड़ना चाहते हैं। यह उनकी अपनी राय है, पार्टी की नहीं।

नक्सली संगठन का यह विवाद तब सामने आया है, जब सीपीआई (Miost) संगठन कई मुश्किलों का सामना कर रहा है। सुरक्षा बल लगातार उनके खिलाफ अभियान चला रहे हैं। कई बड़े नेता या तो आत्मसमर्पण कर रहे हैं या मारे जा रहे हैं। केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक वामपंथी उग्रवाद को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य रखा है।

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