ज्ञानेश्वर प्रसाद, लखनऊ: इजराइल-ईरान के बीच मंगलवार को सीजफायर के बाद वहां मौजूद कामगारों ने राहत की सांस ली है। रोजी-रोटी कमाने इजराइल गए ज्यादातर कामगारों ने फिलहाल वतन वापसी का इरादा छोड़ दिया है और विडियो कॉल पर वहां के हालात दिखा रहे हैं। उनका कहना है कि वह पहले से सेफ जोन में हैं। रोजी-रोटी कमाने के मकसद से आए हैं। अब कोई दिक्कत नहीं है तो वापस आने से क्या फायदा होगा? पता नहीं, दोबारा आने का मौका मिले या न मिले।
चिनहट निवासी अनिल चौहान आठ महीने पहले इजराइल गए थे। उन्होंने एनबीटी को बताया कि इस्राइल-ईरान के बीच संघर्ष शुरू से पहले ही सुपरवाइजरों ने भारतीय कामगारों को बाहरी इलाकों में सेफ जोन में भेज दिया था। वहां खाने-पीने की सभी सुविधाएं हैं। शुरुआत में मिसाइलों की आवाज से डर लग रहा था, लेकिन मंगलवार को सीजफायर होने के बाद हालात सामान्य दिख रहे हैं। शहरों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक सब पहले जैसा नजर आ रहा है।
अब हालात ठीक हैं
गुडंबा के आदिलनगर निवासी यशवंत भी इजराइल में हैं। उन्होंने बताया कि शुरुआत में डर लग रहा था, लेकिन अब हालात ठीक हैं। घर वालों से रोज बात हो रही है। फिलहाल लौटने का इरादा नहीं है। सभी कामगार सुरक्षित ठिकानों में हैं। हाइफा शहर से करीब 50 किमी दूर सीमावर्ती इलाके में मौजूद हरदोई निवासी यशवंत का कहना है कि हालात बिगड़ने की सुगबुगाहट होते ही सभी को सायरन से अलर्ट कर दिया जाता था। उनके साथ 32 कामगार अलग-अलग इलाकों के हैं। सभी लोग अलग-अलग सेफ्टी कंटेनर और बंकर में रह रहे हैं।
'आगे जैसा होगा, उसके हिसाब से फैसला करेंगे'
हरदोई निवासी अजय तेल अवीव से करीब 40 किमी दूर कारमेल इलाके में 52 कामगारों के साथ हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक किसी कामगार ने घर लौटने के लिए कोई प्रार्थना पत्र नहीं दिया है, न ही कंपनी को ओर से इस बार में कुछ कहा गया है। आगे जैसे हालात होंगे, सभी लोग उसके हिसाब से फैसला करेंगे। वहीं, एक साल से इजराइल काम कर रहे कामगार रामशंकर का कहना है कि ईरान से संघर्ष के दौरान घरवाले परेशान थे, लेकिन अब सब ठीक हो रहा है।
मिसाइलें गरजती थीं तो लगता था डर
कारमेल में रह रहे अंबेडकरनगर के रामवृक्ष ने बताया कि कुछ दिनों पहले तक मिसाइलें बंकरों के ऊपर से गुजरती थीं तो डर लगता था। चर्चा है कि अब हालात पहले जैसे हो गए हैं। सभी कामगार नए प्रॉजेक्ट पर जाने के लिए तैयार हैं, हालांकि अभी काम पर नहीं भेजा जा रहा। लोग बता रहे हैं कि बमबारी में जो नुकसान हुआ है, उसे दुरुस्त करने में भी कामगारों को लगाया जा सकता है।
पहले ही लौट आए थे 634 लोग
इजराइल गए कई कामगार संघर्ष शुरू होने से पहले ही लौट आए थे। सूत्रों के मुताबिक, तेल अवीव यूनिवर्सिटी समेत अन्य कॉलेजों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के अलावा कारोबार के सिलसिले में गए करीब 634 लोग देश लौट आए हैं। इन सभी को भारतीय दूतावास की मदद से निकाला गया है। एक अफसर ने बताया कि जो लोग इजराइल से लौटना चाह रहे हैं, वे भारतीय दूतावास में संपर्क कर रहे हैं। कामगार भी अपने सुपरवाइजरों के जरिए संपर्क कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने लौटने की इच्छा नहीं जताई है।
चिनहट निवासी अनिल चौहान आठ महीने पहले इजराइल गए थे। उन्होंने एनबीटी को बताया कि इस्राइल-ईरान के बीच संघर्ष शुरू से पहले ही सुपरवाइजरों ने भारतीय कामगारों को बाहरी इलाकों में सेफ जोन में भेज दिया था। वहां खाने-पीने की सभी सुविधाएं हैं। शुरुआत में मिसाइलों की आवाज से डर लग रहा था, लेकिन मंगलवार को सीजफायर होने के बाद हालात सामान्य दिख रहे हैं। शहरों से लेकर ग्रामीण इलाकों तक सब पहले जैसा नजर आ रहा है।
अब हालात ठीक हैं
गुडंबा के आदिलनगर निवासी यशवंत भी इजराइल में हैं। उन्होंने बताया कि शुरुआत में डर लग रहा था, लेकिन अब हालात ठीक हैं। घर वालों से रोज बात हो रही है। फिलहाल लौटने का इरादा नहीं है। सभी कामगार सुरक्षित ठिकानों में हैं। हाइफा शहर से करीब 50 किमी दूर सीमावर्ती इलाके में मौजूद हरदोई निवासी यशवंत का कहना है कि हालात बिगड़ने की सुगबुगाहट होते ही सभी को सायरन से अलर्ट कर दिया जाता था। उनके साथ 32 कामगार अलग-अलग इलाकों के हैं। सभी लोग अलग-अलग सेफ्टी कंटेनर और बंकर में रह रहे हैं।
'आगे जैसा होगा, उसके हिसाब से फैसला करेंगे'
हरदोई निवासी अजय तेल अवीव से करीब 40 किमी दूर कारमेल इलाके में 52 कामगारों के साथ हैं। उन्होंने बताया कि अभी तक किसी कामगार ने घर लौटने के लिए कोई प्रार्थना पत्र नहीं दिया है, न ही कंपनी को ओर से इस बार में कुछ कहा गया है। आगे जैसे हालात होंगे, सभी लोग उसके हिसाब से फैसला करेंगे। वहीं, एक साल से इजराइल काम कर रहे कामगार रामशंकर का कहना है कि ईरान से संघर्ष के दौरान घरवाले परेशान थे, लेकिन अब सब ठीक हो रहा है।
मिसाइलें गरजती थीं तो लगता था डर
कारमेल में रह रहे अंबेडकरनगर के रामवृक्ष ने बताया कि कुछ दिनों पहले तक मिसाइलें बंकरों के ऊपर से गुजरती थीं तो डर लगता था। चर्चा है कि अब हालात पहले जैसे हो गए हैं। सभी कामगार नए प्रॉजेक्ट पर जाने के लिए तैयार हैं, हालांकि अभी काम पर नहीं भेजा जा रहा। लोग बता रहे हैं कि बमबारी में जो नुकसान हुआ है, उसे दुरुस्त करने में भी कामगारों को लगाया जा सकता है।
पहले ही लौट आए थे 634 लोग
इजराइल गए कई कामगार संघर्ष शुरू होने से पहले ही लौट आए थे। सूत्रों के मुताबिक, तेल अवीव यूनिवर्सिटी समेत अन्य कॉलेजों में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स के अलावा कारोबार के सिलसिले में गए करीब 634 लोग देश लौट आए हैं। इन सभी को भारतीय दूतावास की मदद से निकाला गया है। एक अफसर ने बताया कि जो लोग इजराइल से लौटना चाह रहे हैं, वे भारतीय दूतावास में संपर्क कर रहे हैं। कामगार भी अपने सुपरवाइजरों के जरिए संपर्क कर सकते हैं, लेकिन उन्होंने लौटने की इच्छा नहीं जताई है।
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