कई लोग ऐसे ब्रांड्स का इस्तेमाल करते हैं जो टी-बैग्स में ग्रीन टी बेचते हैं। ग्रीन टी के अलावा कई अन्य प्रकार की चाय को भी टी-बैग्स में पैक करके बेचा जाता है क्योंकि ये बनाने में आसान हो जाती हैं। बस एक टी बैग गर्म पानी में डालो और चाय तैयार हो जाती है।
लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि यहीं टी बैग आपकी सेहत पर बड़ा वार कर रही है। यानी इस तरीके से चाय पीकर आप खुद को फायदे की जगह कई सारे नुकसान पहुंचा रहे हैं। न्यूट्रिशनिस्ट डिंपल जांगड़ा ने इन नुकसानों के बारे में लोगों को अपने एक वीडियो के जरिए जानकारी दी है।
टी बैग के नुकसान
बहुत कम ही लोग इस बात से वाकिफ हैं कि वह हर दिन टी बैग से बनी एक कप चाय पीकर खुद को कितना बड़ा नुकसान पहुंचा रहे हैं। न्यूट्रिशनिस्ट डिंपल जांगड़ा ने बताया कि इसके क्या-क्या नुकसान हैं और कैसे ये तमाम बीमारियों का कारण बन सकता है।
माइक्रोप्लास्टिक करते हैं रिलीज
क्या आप जानते हैं टी बैग के जरिए आप रोजाना कितनी अधिक मात्रा में माइक्रोप्लास्टिक का सेवन कर लेते हैं। न्यूट्रिशनिस्ट ने बताया कि यह टी बैग संभवतः नायलॉन, पॉलीप्रोपाइलीन से बने होते हैं। इसमें संभवतः फेथलेट्स, सीसा, आर्सेनिक और भारी धातुएं होती हैं, ये सब आपकी चाय में घुल जाता है और यह प्रति कप लगभग 11.6 बिलियन माइक्रोप्लास्टिक्स और लगभग 3.1 बिलियन नैनोपार्टिकल्स छोड़ता है। यह आपकी आंतों की दीवारों में अवशोषित हो जाता है और फिर आपके डीएनए में प्रवेश करता है, जिससे माइटोकॉन्ड्रिया को नुकसान होता है, सेलुलर क्षति, ऑर्गन डैमेज और आनुवंशिक विकार उत्पन्न हो सकते हैं।
पीसीओडी/पीसीओएस की बनता है वजह
इसके अलावा टी बैग का इस्तेमाल करना महिलाओं के लिए बेहद नुकसानदायक साबित हो सकता है। जब आप टी बैग से चाय पीते हैं तो यह आप में पीसीओडी/पीसीओएस और थायराइड की स्थिति को भी जन्म दे सकता है। क्योंकि इससे शरीर के हार्मोन का उत्पादन और रेगुलेशन प्रभावित हो सकता है। बता दें माइक्रोप्लास्टिक से होने वाले स्वास्थ्य जोखिमों में एंडोक्राइन डिसरप्शन और रिप्रोडक्टिव टॉक्सिसिटी भी शामिल हैं।
गर्भ में पल रहे बच्चे को होती है हानि

आपको जानकर हैरानी होगी कि माइक्रोप्लास्टिक गर्भावस्था के दौरान अजन्मे बच्चे के लिए हानिकारक हो सकते हैं। टी बैग का इस्तेमाल करने से बच्चे ऑटोइम्यून और आनुवंशिक विकार के साथ पैदा हो सकते हैं। क्योंकि ऐसे माइक्रोप्लास्टिक हैं जो प्लेसेंटा में, अंबिलिकल कॉर्ड में अजन्मे बच्चे के भ्रूण में, शुक्राणु में, एग्स में, ब्लड, वेसल्स और हार्ट में पाए गए हैं।
बचाव के लिए क्या करें?
टी बैग के चलते माइक्रोप्लास्टिक से होने वाले संपर्क से बचने के उपाय बेहद आसान हैं। इसके लिए आप दो तरीके अपना सकते हैं, जिससे आप सुरक्षित तरीके से अपनी चाय इन्जॉय कर सकेंगे।
1- टी बैग से बचें

सबसे पहला तरीका तो ये है कि इन टी बैग का इस्तेमाल करना बंद करें, जिसकी वजह से आप माइक्रोप्लास्टिक को अपने अंदर ले रहे हैं। इससे आप गंभीर बीमारियों के रिस्क को भी टाल सकेंगे।
2- घर पर बनाएं चाय
अगर आपको चाय पीनी ही है तो घर पर चाय की पत्तियों से अपने लिए पेय तैयार करें। इससे आप माइक्रोप्लास्टिक के संपर्क में आने से बचेंगे और बीमारियों के भी।
डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के लिए है। यह किसी भी तरह से किसी दवा या इलाज का विकल्प नहीं हो सकता। ज्यादा जानकारी के लिए हमेशा अपने डॉक्टर से संपर्क करें। एनबीटी इसकी सत्यता, सटीकता और असर की जिम्मेदारी नहीं लेता है।
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