अगली ख़बर
Newszop

कहीं इस जानलेवा बीमारी ने तो नहीं बनाया बहराइच के भेड़ियों को खूंखार, क्यों बने इंसानों के खून के प्यासे?

Send Push
3 साल का प्रिंस अपने घर के बाहर खेल रहा था। दिन की रोशनी में अचानक दो भेड़ियों ने उसे दबोच लिया। वो भी तब जब आसपास लोग मौजूद थे। प्रिंस की किस्मत अच्छी रही कि उसकी जान बच गई। लेकिन कुछ लोग उसकी तरह किस्मत वाले नहीं थे। जी हां, बहराइच में आदमखोर भेड़िए फिर से लौट आए हैं। इस बार वो पहले से भी ज्यादा खूंखार होकर लौटे हैं। साल 2024..10 इंसानों की मौत और इस साल अब तक 3 को अपना शिकार बना चुके हैं।



यूपी के बहराइच में भेड़ियों ने फिर से आतंक मचा दिया है। बड़ा सवाल यह है कि इंसानी बस्तियों के आसपास तो भेड़िए पिछले 25-30 सालों से हैं। फिर अचानक अब ये क्यों इंसानों के खून के प्यासे हो गए हैं? विशेषज्ञों की मानें तो इसके पीछे एक खतरनाक जानलेवा बीमारी हो सकती है, जिसकी वजह से भेड़ियों को इंसानों का खून मुंह लग गया है।



पहले से ज्यादा खूंखार, नए पैटर्न से वन अधिकारी भी हैरानबहराइच में भेड़ियों की मौजूदगी कोई नई बात नहीं है। यहां दशकों से भेड़िए रह रहे हैं। लेकिन पिछले 1-2 साल से इंसानों पर हमले के मामले बढ़ गए हैं। वो पहले से ज्यादा खूंखार होते जा रहे हैं। भेड़ियों के बर्ताव में भी काफी बदलाव देखे जा रहे हैं। बहराइच के DFO राम सिंह यादव ने खास बातचीत में बताया कि आमतौर पर भेड़िए रात के अंधेरे में हमला करते हैं। लेकिन अब ये दिनदहाड़े हमला कर रहे हैं। वो भी इंसानों की मौजूदगी में। ऐसा व्यवहार पहले नहीं देखा गया है। भेड़ियों के व्यवहार में बर्ताव के कई कारण हो सकते हैं।



1. रैबीज हो सकती है बड़ी वजह वन अधिकारियों को आशंका है कि भेड़ियों के खूंखार होने के पीछे जानलेवा बीमारी हो सकती है। हो सकता है इंसानों पर हमला करने वाले भेड़िए रैबीज के शिकार हो चुके हैं। आमतौर पर हमने कुत्तों में इस वायरस के बारे में सुना है। डीएफओ राम सिंह यादव ने बताया कि रैबीज की वजह से भेड़िए खूंखार हो सकते हैं। रैबीज एक जानलेवा वायरस है, जिसका अब तक कोई इलाज नहीं है। जानवरों में यह फैलने से वे आक्रामक हो सकते हैं। वन विभाग को डर है कि इंसानों पर हमला करने वाले भेड़िए इस वायरस से ग्रस्त हैं।



2. नदियों का कटाव वाइल्डलाइफ एक्सपर्ट और सीतापुर के डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर (DFO) नवीन खंडेलवाल ने भी कुछ इनपुट साझा किए। उनके अनुसार नदियों का कटाव एक बड़ा कारण बनकर उभर रहा है। पानी बढ़ने की वजह से नदी किनारे भेड़ियों को खाना नहीं मिल पा रहा है। पहले नदियों के किनारे भेड़ियों को कछुए, खरगोश जैसे छोटे जानवर मिल जाते थे। लेकिन नदियों के कटाव के चलते उनका घर भी खत्म होता जा रहा है। यह भी एक वजह हो सकती है कि वो इंसानी बस्तियों की ओर बढ़ रहे हैं।



3. गांव के पास मिल रहा खाना भेड़ियों का गांवों के आसपास आने की एक बड़ी वजह और है। उन्हें खाने की तलाश के लिए ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ रही है। अक्सर इंसानी बस्तियों के आसपास मवेशियों के शव कूड़े में पड़े होते हैं, जिनसे उनका पेट भर सकता है। इसके अलावा पालतू जानवरों का शिकार भी आसान होता है। इस वजह से भी वो इंसानों के पास आने लगे हैं। अब उन्हें इंसान भी 'निवाले' के तौर पर दिखने लगे हैं।

image

4. गन्ने के खेत विकास कार्यों के चलते जंगल सिकुड़ते जा रहे हैं। साथ ही इलाके में बाघ और तेंदुओं की संख्या भी बढ़ती जा रही है। इस वजह से भेड़ियों के सामने जंगल में सर्वाइव करने का संकट गहराता जा रहा है। उन्होंने गन्ने के खेतों को अपना नया घर बनाना शुरू कर दिया है क्योंकि इनमें छिपना और शिकार करना आसान होता है।



पूरे इलाके में की जा रही निगरानी डीएफओ राम सिंह यादव के मुताबिक पिछले साल जहां भेड़ियों ने हमले किए थे, वो जगह यहां से थोड़ी दूर है। यहां भेड़ियों के हमले बढ़ने के चलते निगरानी बढ़ा दी गई है। ड्रोन कैमरों से निगरानी की जा रही है। जगह-जगह पिंजरे लगाए गए हैं। हालांकि बारिश की वजह से भी इन्हें पकड़ने में दिक्कत आ रही है। भेड़िए कीचड़ की वजह से भाग निकलते हैं।

न्यूजपॉईंट पसंद? अब ऐप डाउनलोड करें