नई दिल्ली: चीन ने पहले भारत के ऑटोमोबाइल सेक्टर को झटका दिया था। उन्होंने रेअर अर्थ से बने चुंबकों (Rare earth magnets) के निर्यात पर रोक लगा दी थी। अब चीन ने एक और कदम उठाया है। उन्होंने पानी में घुलने वाले उर्वरकों (Water-Soluble Fertilisers या WSF) के निर्यात पर रोक लगा दी है। ये उर्वरक भारत के बागवानी सेक्टर (Horticulture sector) में इस्तेमाल होते हैं।
क्या होता है WSF
WSF एक तरह की खाद है। ये खाद पौधों में आसानी से घुल जाती है। इसे ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर या पत्तियों पर स्प्रे करके इस्तेमाल किया जाता है। इससे खाद सीधे पौधों की पत्तियों या जड़ों तक पहुंचती है, मिट्टी के ज़रिये नहीं। यह कारगर तरीका है, खास कर बागवानी फसलों के लिए।
चीन के रोक का क्या होगा असर
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस रोक से भारत के बागवानी उद्योग को नुकसान हो सकता है। यह उद्योग भारत के अनाज के कारोबार से भी बड़ा है। यह देश की कृषि GDP में लगभग एक तिहाई का योगदान देता है। इससे अंगूर, अनार, केला और पॉलीहाउस खेती पर असर पड़ेगा। पॉलीहाउस में विदेशी फल और सब्जियां उगाई जाती हैं, जिन्हें बाहर भेजा जाता है। आधुनिक ढंग से खेती करने वाले किसान गेहूं जैसी फसलों पर भी पत्तियों पर स्प्रे करके खाद डालते हैं, ताकि उन्हें त्वरित पोषण मिल सके।
क्या कर रहा है चीनपिछले दो महीनों में चीन ने China Inspection Quarantine (CIQ) का इस्तेमाल किया है। यह एक तरह की जांच में देरी करने की रणनीति है। इससे मोनो अमोनियम फॉस्फेट (MAP), कैल्शियम नाइट्रेट (CN) और पोटेशियम नाइट्रेट (PN) जैसे जरूरी सामानों की सप्लाई कम हो गई है। उल्लेखनीय है कि भारत अपनी जरूरत का लगभग 80% विशेष तरह के खाद (Speciality fertilizer) चीन से खरीदता है। यह खरीदारी सबसे ज्यादा बुवाई के समय में होती है। लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि इन दिनों आयात बहुत कम हो गया है, जबकि इस समय खरीफ की बुवाई चल रही है। उदाहरण के लिए, MAP का आयात 2023 में 12,525 टन था और 2024 में 21,214 टन था। लेकिन 1 जून तक यह घटकर 2,842 टन हो गया। इसी तरह, CN का आयात 2023 में 223,941 टन था, जो जून 2025 तक घटकर 49,311 टन हो गया। PN का आयात 2024 में 27,913 टन था, जो घटकर 16,837 टन हो गया।
भारत की नाकाबंदी कर दी
सॉल्यूबल फर्टिलाइजर इंडस्ट्री एसोसिएशन (SFIA) के सचिव विनोद गोयल ने कहा, "चीन ने CIQ के जरिए एक तरह की नाकाबंदी कर दी है। उन्होंने भारत को आधिकारिक तौर पर बैन कर दिया है, जबकि दूसरे देशों को सप्लाई जारी रखी है।" भारत अपनी जरूरत का 80% से ज्यादा ऐसी खाद चीन से खरीदता है। भारत को हर साल लगभग 4 लाख टन स्पेशियलिटी फर्टिलाइजर की जरूरत होती है। यहां, सवाल उठता है कि चीन से ही आयात क्यों? तो इसका जवाब है कि उससे फर्टिलाइजर इसलिए खरीदा जाता है क्योंकि वहां अच्छी क्वालिटी का सामान मिलता है और कीमतें भी कम होती हैं। इसे खाड़ी देशों और रूस से भी खरीदा जा सकता है, लेकिन वहां के मुकाबले चीन से सामान खरीदना सस्ता पड़ता है।
भारत में बचा है दो महीने का स्टॉक
गुजरात में WSF बनाने वाले ललितकुमार पेरीवाल ने कहा कि देश में सिर्फ दो महीने का स्टॉक बचा है। उन्होंने बताया "चीन ने 2023 में भी रोक लगाई थी, लेकिन 2024 में हटा ली थी। तब हमने रिकॉर्ड मात्रा में आयात किया था, जिससे हमें 2025 में मदद मिली। लेकिन अब फिर से रोक लगा दी है।" उन्होंने तुरंत नीति में बदलाव करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि WSF को आवश्यक वस्तु अधिनियम से हटा देना चाहिए, ताकि स्थानीय स्तर पर उत्पादन हो सके।
बागवानी फसलों का बढ़ा है महत्व
भारत का बागवानी सेक्टर कृषि विकास के लिए बहुत जरूरी है। यह सेक्टर अब 13% से ज्यादा जमीन पर फैला हुआ है। यह देश की कृषि GDP में लगभग एक तिहाई योगदान देता है। इसके अलावा, इसने देश के अनाज उत्पादन को भी पीछे छोड़ दिया है। किसान पारंपरिक तरीके की खेती छोड़ कर पॉली हाउस में खेती कर रहे हैं और एक्जोटिक फल एवं सब्जियां उगा रहे हैं।
कहां से हो रहा है आयातभारत पानी में घुलने वाले उर्वरकों के लिए जरूरी सामान इन देशों से आयात करता है:
क्या होता है WSF
WSF एक तरह की खाद है। ये खाद पौधों में आसानी से घुल जाती है। इसे ड्रिप सिंचाई, स्प्रिंकलर या पत्तियों पर स्प्रे करके इस्तेमाल किया जाता है। इससे खाद सीधे पौधों की पत्तियों या जड़ों तक पहुंचती है, मिट्टी के ज़रिये नहीं। यह कारगर तरीका है, खास कर बागवानी फसलों के लिए।
चीन के रोक का क्या होगा असर
न्यू इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के मुताबिक इस रोक से भारत के बागवानी उद्योग को नुकसान हो सकता है। यह उद्योग भारत के अनाज के कारोबार से भी बड़ा है। यह देश की कृषि GDP में लगभग एक तिहाई का योगदान देता है। इससे अंगूर, अनार, केला और पॉलीहाउस खेती पर असर पड़ेगा। पॉलीहाउस में विदेशी फल और सब्जियां उगाई जाती हैं, जिन्हें बाहर भेजा जाता है। आधुनिक ढंग से खेती करने वाले किसान गेहूं जैसी फसलों पर भी पत्तियों पर स्प्रे करके खाद डालते हैं, ताकि उन्हें त्वरित पोषण मिल सके।
क्या कर रहा है चीनपिछले दो महीनों में चीन ने China Inspection Quarantine (CIQ) का इस्तेमाल किया है। यह एक तरह की जांच में देरी करने की रणनीति है। इससे मोनो अमोनियम फॉस्फेट (MAP), कैल्शियम नाइट्रेट (CN) और पोटेशियम नाइट्रेट (PN) जैसे जरूरी सामानों की सप्लाई कम हो गई है। उल्लेखनीय है कि भारत अपनी जरूरत का लगभग 80% विशेष तरह के खाद (Speciality fertilizer) चीन से खरीदता है। यह खरीदारी सबसे ज्यादा बुवाई के समय में होती है। लेकिन आंकड़ों से पता चलता है कि इन दिनों आयात बहुत कम हो गया है, जबकि इस समय खरीफ की बुवाई चल रही है। उदाहरण के लिए, MAP का आयात 2023 में 12,525 टन था और 2024 में 21,214 टन था। लेकिन 1 जून तक यह घटकर 2,842 टन हो गया। इसी तरह, CN का आयात 2023 में 223,941 टन था, जो जून 2025 तक घटकर 49,311 टन हो गया। PN का आयात 2024 में 27,913 टन था, जो घटकर 16,837 टन हो गया।
भारत की नाकाबंदी कर दी
सॉल्यूबल फर्टिलाइजर इंडस्ट्री एसोसिएशन (SFIA) के सचिव विनोद गोयल ने कहा, "चीन ने CIQ के जरिए एक तरह की नाकाबंदी कर दी है। उन्होंने भारत को आधिकारिक तौर पर बैन कर दिया है, जबकि दूसरे देशों को सप्लाई जारी रखी है।" भारत अपनी जरूरत का 80% से ज्यादा ऐसी खाद चीन से खरीदता है। भारत को हर साल लगभग 4 लाख टन स्पेशियलिटी फर्टिलाइजर की जरूरत होती है। यहां, सवाल उठता है कि चीन से ही आयात क्यों? तो इसका जवाब है कि उससे फर्टिलाइजर इसलिए खरीदा जाता है क्योंकि वहां अच्छी क्वालिटी का सामान मिलता है और कीमतें भी कम होती हैं। इसे खाड़ी देशों और रूस से भी खरीदा जा सकता है, लेकिन वहां के मुकाबले चीन से सामान खरीदना सस्ता पड़ता है।
भारत में बचा है दो महीने का स्टॉक
गुजरात में WSF बनाने वाले ललितकुमार पेरीवाल ने कहा कि देश में सिर्फ दो महीने का स्टॉक बचा है। उन्होंने बताया "चीन ने 2023 में भी रोक लगाई थी, लेकिन 2024 में हटा ली थी। तब हमने रिकॉर्ड मात्रा में आयात किया था, जिससे हमें 2025 में मदद मिली। लेकिन अब फिर से रोक लगा दी है।" उन्होंने तुरंत नीति में बदलाव करने की जरूरत बताई। उन्होंने कहा कि WSF को आवश्यक वस्तु अधिनियम से हटा देना चाहिए, ताकि स्थानीय स्तर पर उत्पादन हो सके।
बागवानी फसलों का बढ़ा है महत्व
भारत का बागवानी सेक्टर कृषि विकास के लिए बहुत जरूरी है। यह सेक्टर अब 13% से ज्यादा जमीन पर फैला हुआ है। यह देश की कृषि GDP में लगभग एक तिहाई योगदान देता है। इसके अलावा, इसने देश के अनाज उत्पादन को भी पीछे छोड़ दिया है। किसान पारंपरिक तरीके की खेती छोड़ कर पॉली हाउस में खेती कर रहे हैं और एक्जोटिक फल एवं सब्जियां उगा रहे हैं।
कहां से हो रहा है आयातभारत पानी में घुलने वाले उर्वरकों के लिए जरूरी सामान इन देशों से आयात करता है:

You may also like
राजगढ़ः युवक की मौत के मामले में पांच पर गैर-इरादतन हत्या का केस दर्ज, चार गिरफ्तार
उत्तर प्रदेश: अखिलेश यादव का योगी सरकार पर निशाना, कहा- BJP जाए, तो कानून-व्यवस्था आए
बीजेपी ने खरगे पर लगाया राष्ट्रपति मुर्मू के अपमान का आरोप, राहुल-वाड्रा पर भी साधा निशाना
बांग्लादेश के खिलाफ टी20 सीरीज के लिए पाकिस्तानी टीम का ऐलान, शादाब-रऊफ बाहर
Video: दूध देने से पहले बर्तन में थूकते हुए कैमरे में कैद हुआ दूध वाला मोहम्मद शरीफ, लोगों में आक्रोश