नई दिल्ली: आमतौर पर लोग मानते हैं कि हवाई जहाज (Aeroplane) में चलने का शौक काफी खर्चीला है। इसे खरीदना तो और भी महंगा शौक है। लेकिन सच्चाई कुछ और भी हो सकती है। यदि बात भारत जैसे देश की हो तो यहां एक छोटा हवाई जहाज (Small Aircraft) रखना और उसे उड़ाना कोई खास महंगा नहीं है। इसका खर्च MG Hector जैसी SUV चलाने जितना ही ही हो सकता है। Reddit पर एक पोस्ट में तो यही दावा किया गया है। इस पोस्ट के बाद ऑनलाइन लोगों ने खूब बातें की हैं। कुछ लोगों को यह बात सच लगी तो कुछ को मजाक। आप भी इसका आनंद लीजिए।
क्या है पोस्ट
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Reddit पर इस पोस्ट को पोस्ट लिखने वाले ने कहा कि उसने Light Sport Aircraft (LSA) के बारे में जानकारी जुटाई है। LSA लगभग 160 knots (लगभग 300 किलोमीटर/घंटा) की रफ्तार से उड़ते हैं। इसे उड़ाने पर एक घंटे में 26 से 30 लीटर एटीएफ (हवाई जहाज का ईंधन) जलता है। उनका कहना है कि छोटे विमान को उड़ाने का खर्च लगभग 5,000 से 7,000 रुपये प्रति घंटा आता है। इस खर्च में ईंधन, रखरखाव और अन्य खर्चे शामिल भी हैं। इन सब को मिलाकर एक हवाई जहाज रखना, MG Hector रखने जितना ही खर्चीला हो सकता है।
पेट्रोल के साथ यह भी दिक्कतेंइस पोस्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के पेट्रोल पंपों पर मिलने वाले पेट्रोल में आमतौर पर मिलावट की शिकायत मिलती है। कहीं-कहीं तो पेट्रोल में पानी की मिलावट की खबर भी सामने आती है। साथ ही पेट्रोल Aviation Fuel (हवाई जहाज में इस्तेमाल होने वाला ईंधन) से ₹20 प्रति लीटर महंगा हो सकता है। साथ ही, पेट्रोल से 20% कम माइलेज मिलता है।
क्या दर है एटीएफ का
हम यहां देश के चार महानगरों में बिकने वाले Aviation Turbine Fuel (ATF) और पेट्रोल की कीमतों की तुलना कर रहे हैं। इससे आपको अंदाजा मिल सकता है कि इस पर क्या खर्च आएगा?
लोगों ने ऐसे दी प्रतिक्रियाइस दावे को सुनकर कुछ लोग हैरान थे, तो कुछ को इस पर विश्वास नहीं हुआ। एक यूजर ने मजाक करते हुए लिखा, "खरीदने का लिंक दीजिए। मेरे पास MSFS में 600 घंटे का अनुभव है।" MSFS का मतलब Microsoft Flight Simulator है। एक अन्य यूजर ने शहरों में आने-जाने के खर्च की तुलना करते हुए कहा, "बेंगलुरु में पीक ऑवर में CNG ऑटो से यात्रा करना, हवाई जहाज से प्रति किलोमीटर यात्रा करने से ज्यादा महंगा है।" एक यूजर जो विमानों के बारे में जानता था, उसने कहा कि अगर एक छोटा हवाई जहाज Airports Authority of India (AAI) के हवाई अड्डों के बीच चलता है, तो पार्किंग शुल्क बहुत कम होता है। यह ₹20 प्रति टन प्रति घंटा से भी कम हो सकता है। वहां तो पहले दो घंटे की पार्किंग भी मुफ्त होती है। यही नहीं, 10,000 किलो से कम वजन वाले विमानों के लिए लैंडिंग शुल्क भी माफ कर दिया जाता है। लेकिन, उन्होंने यह भी बताया कि विमानन नियमों का पालन करना बहुत मुश्किल है। और जिन पायलटों के पास इंस्ट्रूमेंट रेटिंग नहीं है, वे केवल सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच ही उड़ान भर सकते हैं।
कम कीमत का मतलब यह नहीं
कुछ लोगों ने एटीएफ और पेट्रोल के कीमत की तुलना से असहमति जताई। एक यूजर ने Aviation Turbine Fuel (ATF) के बारे में कहा "यह सिर्फ केरोसिन है जिसमें कुछ एडिटिव मिलाई गई हैं।" जैसे कि एंटी-माइक्रोबियल एजेंट, एंटी-आइसिंग कंपाउंड, क्लिनिंग केमिमल और एंटी-कोरोसिव। उनका कहना है कि कीमत कम होने से यह जरूरी नहीं है कि हवाई जहाज चलाना सस्ता हो जाए।
ई-20 पेट्रोल पर बहस
यह बहस ऐसे समय में हो रही है जब भारत ने E-20 का लक्ष्य हासिल कर लिया है। E-20 का मतलब है पेट्रोल में 20% इथेनॉल की ब्लेंडिंग। भारत ने यह लक्ष्य तय समय से पांच साल पहले ही हासिल कर लिया है। इसे पर्यावरण के लिए एक अच्छा कदम माना जा रहा है। और इससे क्रूड ऑयल या कच्चे तेल के आयात को कम करने में मदद मिलेगी। लेकिन, इससे लोगों में इस बात को लेकर भी चिंता है कि इसका उनकी गाड़ियों पर क्या असर पड़ेगा। कुछ लोगों का कहना है कि ई-20 पेट्रोल से माइलेज घट जाता है और इंजन में खराबी भी जल्दी आती है। कई गाड़ी मालिकों ने सोशल मीडिया पर कहा है कि E20 पेट्रोल का इस्तेमाल करने के बाद उनकी गाड़ियों का माइलेज कम हो गया है। महाराष्ट्र के एक Volkswagen Vento ड्राइवर ने कहा कि उसकी कार का माइलेज 10 किमी/लीटर से गिरकर 6 किमी/लीटर रह गया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि साल 2020 के बाद बनी गाड़ियां E-20 पेट्रोल के लिए डिजाइन की गई हैं।
Hyundai कार में Mercedes का माइलेज
कुछ यूजर्स का कहना है कि जिन देशों में इथेनॉल का ज्यादा इस्तेमाल होता है, जैसे कि E-80, वहां मोटर गाड़ियां विशेष रूप से उन ईंधनों के लिए बनाई जाती हैं। लेकिन, भारत में अभी ऐसा नहीं है। कुछ अन्य लोगों ने भी इसी तरह के अनुभव बताए हैं। Honda कार के एक मालिक ने बताया कि उसकी गाड़ी का माइलेज 12 किमी/लीटर से गिरकर 8 किमी/लीटर हो गया। उन्होंने इसका कारण इथेनॉल की ब्लेंडिंग को बताया। एक Tata Tigor कार के ड्राइवर ने कहा कि उसकी गाड़ी का हाईवे माइलेज 25 किमी/लीटर से गिरकर 20 किमी/लीटर रह गया है। एक परेशान गाड़ी मालिक ने गुस्से में कहा कि अब गाड़ी चलाना ऐसा लगता है "गाड़ी तो Hyundai की है, लेकिन माइलेज Mercedes का मिल रहा है।"
सरकार का क्या है कहनाई-20 पेट्रोल पर चल रही बहस के बीच केंद्र सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है। मंत्रालय ने कहा है कि E-20 पेट्रोल से गाड़ी की ईंधन दक्षता पर बुरा असर नहीं पड़ता है। मंत्रालय ने इन चिंताओं को 'unscientific' और 'factually incorrect' बताया। मंत्रालय ने कहा है कि E-20 पुराने और नए दोनों तरह के वाहनों के लिए सुरक्षित है। हालांकि, मंत्रालय ने माना है कि इंजन के कुछ हिस्सों, जैसे कि रबर सील या गास्केट को 20,000-30,000 किलोमीटर के बाद बदलने की जरूरत पड़ सकती है। लेकिन, उन्होंने कहा कि यह खर्च नियमित रखरखाव में आता है।
क्या है पोस्ट
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म Reddit पर इस पोस्ट को पोस्ट लिखने वाले ने कहा कि उसने Light Sport Aircraft (LSA) के बारे में जानकारी जुटाई है। LSA लगभग 160 knots (लगभग 300 किलोमीटर/घंटा) की रफ्तार से उड़ते हैं। इसे उड़ाने पर एक घंटे में 26 से 30 लीटर एटीएफ (हवाई जहाज का ईंधन) जलता है। उनका कहना है कि छोटे विमान को उड़ाने का खर्च लगभग 5,000 से 7,000 रुपये प्रति घंटा आता है। इस खर्च में ईंधन, रखरखाव और अन्य खर्चे शामिल भी हैं। इन सब को मिलाकर एक हवाई जहाज रखना, MG Hector रखने जितना ही खर्चीला हो सकता है।
पेट्रोल के साथ यह भी दिक्कतेंइस पोस्ट में यह भी कहा गया है कि भारत के पेट्रोल पंपों पर मिलने वाले पेट्रोल में आमतौर पर मिलावट की शिकायत मिलती है। कहीं-कहीं तो पेट्रोल में पानी की मिलावट की खबर भी सामने आती है। साथ ही पेट्रोल Aviation Fuel (हवाई जहाज में इस्तेमाल होने वाला ईंधन) से ₹20 प्रति लीटर महंगा हो सकता है। साथ ही, पेट्रोल से 20% कम माइलेज मिलता है।
क्या दर है एटीएफ का
हम यहां देश के चार महानगरों में बिकने वाले Aviation Turbine Fuel (ATF) और पेट्रोल की कीमतों की तुलना कर रहे हैं। इससे आपको अंदाजा मिल सकता है कि इस पर क्या खर्च आएगा?

लोगों ने ऐसे दी प्रतिक्रियाइस दावे को सुनकर कुछ लोग हैरान थे, तो कुछ को इस पर विश्वास नहीं हुआ। एक यूजर ने मजाक करते हुए लिखा, "खरीदने का लिंक दीजिए। मेरे पास MSFS में 600 घंटे का अनुभव है।" MSFS का मतलब Microsoft Flight Simulator है। एक अन्य यूजर ने शहरों में आने-जाने के खर्च की तुलना करते हुए कहा, "बेंगलुरु में पीक ऑवर में CNG ऑटो से यात्रा करना, हवाई जहाज से प्रति किलोमीटर यात्रा करने से ज्यादा महंगा है।" एक यूजर जो विमानों के बारे में जानता था, उसने कहा कि अगर एक छोटा हवाई जहाज Airports Authority of India (AAI) के हवाई अड्डों के बीच चलता है, तो पार्किंग शुल्क बहुत कम होता है। यह ₹20 प्रति टन प्रति घंटा से भी कम हो सकता है। वहां तो पहले दो घंटे की पार्किंग भी मुफ्त होती है। यही नहीं, 10,000 किलो से कम वजन वाले विमानों के लिए लैंडिंग शुल्क भी माफ कर दिया जाता है। लेकिन, उन्होंने यह भी बताया कि विमानन नियमों का पालन करना बहुत मुश्किल है। और जिन पायलटों के पास इंस्ट्रूमेंट रेटिंग नहीं है, वे केवल सूर्योदय और सूर्यास्त के बीच ही उड़ान भर सकते हैं।
कम कीमत का मतलब यह नहीं
कुछ लोगों ने एटीएफ और पेट्रोल के कीमत की तुलना से असहमति जताई। एक यूजर ने Aviation Turbine Fuel (ATF) के बारे में कहा "यह सिर्फ केरोसिन है जिसमें कुछ एडिटिव मिलाई गई हैं।" जैसे कि एंटी-माइक्रोबियल एजेंट, एंटी-आइसिंग कंपाउंड, क्लिनिंग केमिमल और एंटी-कोरोसिव। उनका कहना है कि कीमत कम होने से यह जरूरी नहीं है कि हवाई जहाज चलाना सस्ता हो जाए।
ई-20 पेट्रोल पर बहस
यह बहस ऐसे समय में हो रही है जब भारत ने E-20 का लक्ष्य हासिल कर लिया है। E-20 का मतलब है पेट्रोल में 20% इथेनॉल की ब्लेंडिंग। भारत ने यह लक्ष्य तय समय से पांच साल पहले ही हासिल कर लिया है। इसे पर्यावरण के लिए एक अच्छा कदम माना जा रहा है। और इससे क्रूड ऑयल या कच्चे तेल के आयात को कम करने में मदद मिलेगी। लेकिन, इससे लोगों में इस बात को लेकर भी चिंता है कि इसका उनकी गाड़ियों पर क्या असर पड़ेगा। कुछ लोगों का कहना है कि ई-20 पेट्रोल से माइलेज घट जाता है और इंजन में खराबी भी जल्दी आती है। कई गाड़ी मालिकों ने सोशल मीडिया पर कहा है कि E20 पेट्रोल का इस्तेमाल करने के बाद उनकी गाड़ियों का माइलेज कम हो गया है। महाराष्ट्र के एक Volkswagen Vento ड्राइवर ने कहा कि उसकी कार का माइलेज 10 किमी/लीटर से गिरकर 6 किमी/लीटर रह गया है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि साल 2020 के बाद बनी गाड़ियां E-20 पेट्रोल के लिए डिजाइन की गई हैं।
Hyundai कार में Mercedes का माइलेज
कुछ यूजर्स का कहना है कि जिन देशों में इथेनॉल का ज्यादा इस्तेमाल होता है, जैसे कि E-80, वहां मोटर गाड़ियां विशेष रूप से उन ईंधनों के लिए बनाई जाती हैं। लेकिन, भारत में अभी ऐसा नहीं है। कुछ अन्य लोगों ने भी इसी तरह के अनुभव बताए हैं। Honda कार के एक मालिक ने बताया कि उसकी गाड़ी का माइलेज 12 किमी/लीटर से गिरकर 8 किमी/लीटर हो गया। उन्होंने इसका कारण इथेनॉल की ब्लेंडिंग को बताया। एक Tata Tigor कार के ड्राइवर ने कहा कि उसकी गाड़ी का हाईवे माइलेज 25 किमी/लीटर से गिरकर 20 किमी/लीटर रह गया है। एक परेशान गाड़ी मालिक ने गुस्से में कहा कि अब गाड़ी चलाना ऐसा लगता है "गाड़ी तो Hyundai की है, लेकिन माइलेज Mercedes का मिल रहा है।"
सरकार का क्या है कहनाई-20 पेट्रोल पर चल रही बहस के बीच केंद्र सरकार के पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने एक बयान जारी किया है। मंत्रालय ने कहा है कि E-20 पेट्रोल से गाड़ी की ईंधन दक्षता पर बुरा असर नहीं पड़ता है। मंत्रालय ने इन चिंताओं को 'unscientific' और 'factually incorrect' बताया। मंत्रालय ने कहा है कि E-20 पुराने और नए दोनों तरह के वाहनों के लिए सुरक्षित है। हालांकि, मंत्रालय ने माना है कि इंजन के कुछ हिस्सों, जैसे कि रबर सील या गास्केट को 20,000-30,000 किलोमीटर के बाद बदलने की जरूरत पड़ सकती है। लेकिन, उन्होंने कहा कि यह खर्च नियमित रखरखाव में आता है।
You may also like
पूर्व साउथ अफ्रीकी स्टार वेन पार्नेल ने चुनी अपनी ऑल टाइम वनडे XI, तीन भारतीयों को दी जगह
Aaj ka Dhanu Rashifal 14 August 2025 : धनु राशि वालों का आत्मविश्वास आज छूएगा आसमान, लेकिन ये खतरा भी मंडरा रहा है
रायपुर में 500 मीटर लंबी 'तिरंगा यात्रा' आयोजित, सीएम विष्णुदेव साय ने लिया हिस्सा
हिमाचल में बादल फटने का तांडव: 5 गाड़ियां, 4 कॉटेज बहे, 3 पुल टूटे!
गोरी नागोरी का 'परफ्यूम लगावै चुन्नी पर' डांस हुआ वायरल – हॉट मूव्स और जबरदस्त ठुमकों ने इंटरनेट पर लगाई आग