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दबंग IPS पंकज चौधरी को लेकर बड़ी खबर, डिमोशन का कारण बनी थी पहली पत्नी! पढ़ें प्रमोशन वाली खबर

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जयपुर: राजस्थान के दबंग आईपीएस पंकज चौधरी सरकारों पर हमेशा भारी पड़ते रहे हैं। चाहे वसुंधरा राजे की सरकार रही हो या फिर अशोक गहलोत की। सरकार द्वारा उनके खिलाफ कई बार सख्त एक्शन लिए गए। बार बार चार्जशीट थमाई गई और यहां तक कि उन्हें नौकरी से बर्खास्त भी कर दिया गया। आईपीएस चौधरी ने हर बार सरकार के फैसलों को कोर्ट में चुनौती दी और हर बार वे जीतते रहे। हाल ही में यानी 12 फरवरी 2025 को कार्मिक विभाग ने आईपीएस पंकज चौधरी के विरुद्ध डिमोशन का आदेश जारी किया था। इस बार भजनलाल सरकार में भी आईपीएस पंकज चौधरी भारी पड़ गए। सरकार के डिमोशन वाले फैसले को भी चौधरी ने केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण की जयपुर बेंच में चुनौती दी। बेंच ने कार्मिक विभाग के डिमोशन वाले फैसले को खारिज कर दिया। कोर्ट ने डिमोशन के आधार को पारिवारिक होने की बात पर गलत बताया है। ऐसे में पंकज चौधरी को अब फिर से प्रमोशन मिलने वाला है। पारिवारिक विवाद बना था डिमोशन की वजहदरअसल आईपीएस पंकज चौधरी ने पहली पत्नी को तलाक देकर दूसरा विवाह किया था। उन पर आरोप यह लगे कि पहली पत्नी को तलाक दिए बिना ही उन्होंने दूसरी शादी की। चौधरी के इस पारिवारिक मामले को लेकर वसुंधरा राजे सरकार के समय भी उन्हें चार्जशीट थमाई गई। उनके खिलाफ विभागीय जांच भी बैठाई गई। हालांकि पंकज चौधरी का कहना है कि तत्कालीन सरकार द्वारा उनके पारिवारिक मामले को बेवजह तूल दिया गया। तलाक की डिक्री के बारे में इलाहाबाद हाईकोर्ट उनके पक्ष में फैसला दे चुका था। इसे बार बार मुद्दा बनाया जाना उचित नहीं है। साथी आईपीएस 2 साल पहले बन चुके डीआईजीपंकज चौधरी वर्ष 2009 के आईपीएस अधिकारी हैं। उनके बेच के 5 अन्य आईपीएस श्वेता धनखड़, कुंवर राष्ट्रदीप, प्रीति जैन, अजय सिंह और योगेश यादव दो साल पहले ही प्रमोशन पाकर डीआईजी बन चुके हैं। जल्द ही उन्हें अगला प्रमोशन आईजी के पद पर मिलने वाला है लेकिन राज्य सरकार ने आईपीएस पंकज चौधरी के प्रमोशन को रोक रखा है। प्रमोशन करने के बजाय पारिवारिक मामले में उनका डिमोशन कर दिया जिसे अब केंद्रीय प्रशासनिक अधिकरण द्वारा खारिज किया गया है। अब चौधरी के प्रमोशन होने की राह खुल गई है। चौधरी का कहना है कि उनसे रंजिश रखने वाले आईएएस-आईपीएस अफसर सरकार को भ्रमित करते रहे हैं और पारिवारिक प्रकरण को अनावश्यक मुद्दा बनाया गया। पिछले 10 साल में 6 बार उनके खिलाफ बेवजह एक्शन लिया गया, जिनमें हर बार सरकार की हार हुई है।
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