ढाका: बांग्लादेश में बीते साल मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार में देश के सेक्युलर ढांचे को तेजी से नुकसान हुआ है। खास बात ये है कि बांग्लादेश में कट्टरता बढ़ाने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई अहम भूमिका निभा रही है। युनुस सरकार ने आईएसआई को अपनी गतिविधियां करने की खुली छूट दे रखी है। इसका फायदा उठाते हुए आईएसआई बांग्लादेश में हिंदू मंदिरों को निशाना बना रही है। इसके लिए वह लश्कर-ए-तैयबा के आतंकियों का इस्तेमाल कर रही है। बांग्लादेश के जानेमाने पत्रकार सलाहुद्दीन शोएब चौधरी का दावा है कि बांग्लादेश आईएसआई के प्रयोगों का अड्डा बन रहा है।
शोएब चौधरी के मुताबिक, बांग्लादेश अपनी संप्रभुता और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए सबसे गंभीर खतरे का सामना कर रहा है। खासतौर से देश की हिंदू आबादी को व्यवस्थित रूप से धमकाया जा रहा है और उनके मंदिरों को टारगेट बनाया जा रहा है। इस अभियान के केंद्र में पाकिस्तान की आईएसआई है।आईएसआई ने लश्कर-ए-तैयबा के जरिए हिंदुओं पर हमलों और भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों का विस्तार बांग्लादेश की जमीन पर किया है।
यूनुस के आते ही बदले हालातशोएब चौधरी ने बताया है कि शनिवार, 16 अगस्त को ही सैफुल इस्लाम नाम के इस्लामवादी ने फेसबुक पर सीताकुंड पर्वत पर मस्जिद बनाने की बात कहते हुए पोस्ट किया है। इसके लिए ऐसे लोगों को लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी से जुड़े हारुन इजहार से मदद मिल रही है। इजहार के परिवार का आतंकी घटनाओं में शामिल रहने का इतिहास रहा है।
इजहार ने हालिया महीनों में बांग्लादेश में शरिया कानून लागू करने के अपने अभियान को तेज कर दिया है। इसमें उसे जमात-ए-इस्लामी (JeI), इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश (IAB), और हिफाजत-ए-इस्लाम (HeI) जैसी संगठनों समर्थन मिल रहा है। वह अल-कायदा से जुड़े अंसार अल-इस्लाम के सरगना जशीमुद्दीन रहमानी का भी करीबी सहयोगी है।
सीताकुंड पर निशानाइजहार और उसके सहयोगियों का निशाना 11वीं सदी का सीताकुंड चंद्रनाथ धाम है। यह दक्षिण एशिया में हिंदुओं और बौद्धों के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। हर साल फरवरी में शिव चतुर्दशी के लिए हजारों लोग यहां आते हैं। चंद्रनाथ मंदिर समुद्र तल से 1,000 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। माना जाता है कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यहीं देवी सती का दाहिना हाथ गिरा था।
बांग्लादेश के कट्टरपंथी गुटों ने बार-बार चंद्रनाथ पहाड़ी पर कब्जा करते हुए इसकी चोटी पर एक मस्जिद का निर्माण करने की बात कही है। यहां लगातार इस तरह की हरकतें हुए हैं, जो जानबूझकर हिंदुओं को अपमानित करने और उनकी पवित्र परंपराओं का अपमान करने के लिए की गईं। यहां हिंदू श्रद्धालुओं पर हमले की कोशिश भी कई बार हो चुकी हैं।
कई मंदिर ISI के निशाने परपाकिस्तानी आईएसआई की योजनाएं सीताकुंड से आगे जाती हैं। इनके टारगेट पर चटगांव का मेधास मुनि आश्रम, बंदरबन जिले में स्वर्ण मंदिर और कॉक्स बाजार के महेशखली में आदिनाथ मंदिर शामिल हैं। ये सभी प्राचीन और पवित्र हिंदू स्थल दक्षिण एशिया की आध्यात्मिक विरासत में गहराई से समाए हुए हैं, जिन पर पाक की गंदी नजर है।
आईएसआई रोहिंग्याओं और बिहार की पृष्ठभूमि वाले लोगों की तेजी से भर्ती कर रही है। भर्ती के बाद इन रंगरूटों को नेपाल और पाकिस्तान के प्रशिक्षण शिविरों में भेजा जाता है। यूनुस शासन में आईएसआई को बांग्लादेश में हथियारों और नशीले पदार्थ लाने की अनुमति मिल गई है। इससे होने वाली आय का इस्तेमाल आतंकवादी अभियानों में किया जा रहा है।
भारत की भी बढ़ी चिंताबांग्लादेश में आईएसआई की गतिविधियां और नशीले पदार्थों की तस्करी भारत की चिंता भी बढ़ा रही हैं। यह ना केवल भारत के युवाओं के लिए खतरा है बल्कि भारतीय नेटवर्क के जरिए पश्चिम में भी भेजे जा सकते हैं। इससे भारत नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल हो सकता है और उसकी वैश्विक व्यापारिक साख पर असर पड़ सकता है।
चौधरी का कहना है कि बांग्लादेश को जिहादियों के गढ़ में बदलकर भारत की पूर्वी सीमा को अस्थिर करने की पाकिस्तान की बड़ी साजिश का हिस्सा है। यूनुस शासन में बांग्लादेश कट्टरपंथी इस्लामी और आतंकवादी ताकतों के लिए लॉन्चपैड बन रहा है। यह हिंदू धर्म और भारतीय सभ्यता के खिलाफ पाकिस्तान के अंतहीन युद्ध का हिस्सा है।
शोएब चौधरी के मुताबिक, बांग्लादेश अपनी संप्रभुता और सांप्रदायिक सद्भाव के लिए सबसे गंभीर खतरे का सामना कर रहा है। खासतौर से देश की हिंदू आबादी को व्यवस्थित रूप से धमकाया जा रहा है और उनके मंदिरों को टारगेट बनाया जा रहा है। इस अभियान के केंद्र में पाकिस्तान की आईएसआई है।आईएसआई ने लश्कर-ए-तैयबा के जरिए हिंदुओं पर हमलों और भारत के खिलाफ आतंकी गतिविधियों का विस्तार बांग्लादेश की जमीन पर किया है।
यूनुस के आते ही बदले हालातशोएब चौधरी ने बताया है कि शनिवार, 16 अगस्त को ही सैफुल इस्लाम नाम के इस्लामवादी ने फेसबुक पर सीताकुंड पर्वत पर मस्जिद बनाने की बात कहते हुए पोस्ट किया है। इसके लिए ऐसे लोगों को लश्कर-ए-तैयबा और हरकत-उल-जिहाद अल-इस्लामी से जुड़े हारुन इजहार से मदद मिल रही है। इजहार के परिवार का आतंकी घटनाओं में शामिल रहने का इतिहास रहा है।
इजहार ने हालिया महीनों में बांग्लादेश में शरिया कानून लागू करने के अपने अभियान को तेज कर दिया है। इसमें उसे जमात-ए-इस्लामी (JeI), इस्लामी आंदोलन बांग्लादेश (IAB), और हिफाजत-ए-इस्लाम (HeI) जैसी संगठनों समर्थन मिल रहा है। वह अल-कायदा से जुड़े अंसार अल-इस्लाम के सरगना जशीमुद्दीन रहमानी का भी करीबी सहयोगी है।
सीताकुंड पर निशानाइजहार और उसके सहयोगियों का निशाना 11वीं सदी का सीताकुंड चंद्रनाथ धाम है। यह दक्षिण एशिया में हिंदुओं और बौद्धों के सबसे पवित्र तीर्थस्थलों में से एक है। हर साल फरवरी में शिव चतुर्दशी के लिए हजारों लोग यहां आते हैं। चंद्रनाथ मंदिर समुद्र तल से 1,000 फीट ऊंची पहाड़ी पर स्थित है। माना जाता है कि हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यहीं देवी सती का दाहिना हाथ गिरा था।
बांग्लादेश के कट्टरपंथी गुटों ने बार-बार चंद्रनाथ पहाड़ी पर कब्जा करते हुए इसकी चोटी पर एक मस्जिद का निर्माण करने की बात कही है। यहां लगातार इस तरह की हरकतें हुए हैं, जो जानबूझकर हिंदुओं को अपमानित करने और उनकी पवित्र परंपराओं का अपमान करने के लिए की गईं। यहां हिंदू श्रद्धालुओं पर हमले की कोशिश भी कई बार हो चुकी हैं।
कई मंदिर ISI के निशाने परपाकिस्तानी आईएसआई की योजनाएं सीताकुंड से आगे जाती हैं। इनके टारगेट पर चटगांव का मेधास मुनि आश्रम, बंदरबन जिले में स्वर्ण मंदिर और कॉक्स बाजार के महेशखली में आदिनाथ मंदिर शामिल हैं। ये सभी प्राचीन और पवित्र हिंदू स्थल दक्षिण एशिया की आध्यात्मिक विरासत में गहराई से समाए हुए हैं, जिन पर पाक की गंदी नजर है।
आईएसआई रोहिंग्याओं और बिहार की पृष्ठभूमि वाले लोगों की तेजी से भर्ती कर रही है। भर्ती के बाद इन रंगरूटों को नेपाल और पाकिस्तान के प्रशिक्षण शिविरों में भेजा जाता है। यूनुस शासन में आईएसआई को बांग्लादेश में हथियारों और नशीले पदार्थ लाने की अनुमति मिल गई है। इससे होने वाली आय का इस्तेमाल आतंकवादी अभियानों में किया जा रहा है।
भारत की भी बढ़ी चिंताबांग्लादेश में आईएसआई की गतिविधियां और नशीले पदार्थों की तस्करी भारत की चिंता भी बढ़ा रही हैं। यह ना केवल भारत के युवाओं के लिए खतरा है बल्कि भारतीय नेटवर्क के जरिए पश्चिम में भी भेजे जा सकते हैं। इससे भारत नशीले पदार्थों की तस्करी में शामिल हो सकता है और उसकी वैश्विक व्यापारिक साख पर असर पड़ सकता है।
चौधरी का कहना है कि बांग्लादेश को जिहादियों के गढ़ में बदलकर भारत की पूर्वी सीमा को अस्थिर करने की पाकिस्तान की बड़ी साजिश का हिस्सा है। यूनुस शासन में बांग्लादेश कट्टरपंथी इस्लामी और आतंकवादी ताकतों के लिए लॉन्चपैड बन रहा है। यह हिंदू धर्म और भारतीय सभ्यता के खिलाफ पाकिस्तान के अंतहीन युद्ध का हिस्सा है।
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