अगली ख़बर
Newszop

Airports Technical Glitch: अमेरिका, भारत और अब नेपाल... हवाई अड्डे क्यों हो रहे 'फेल', तकनीकी समस्या या कुछ और है बात?

Send Push
नई दिल्‍ली: नेपाल की राजधानी काठमांडू में त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (टीआईए) पर शनिवार को रनवे की लाइटिंग सिस्टम में आई तकनीकी खराबी के कारण सभी उड़ानें रोक दी गईं। शाम 5:30 बजे पता चली इस समस्या के चलते हवाई अड्डे से आने-जाने वाली सभी घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों में देरी हुई। हवाई अड्डे के अधिकारियों ने बताया कि रनवे की एयरफील्ड लाइटिंग सिस्टम में खराबी आई। इसके चलते कम से कम पांच उड़ानें होल्ड पर थीं। सभी आगमन और प्रस्थान उड़ानों को रोक दिया गया। नेपाल का एकमात्र अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा होने के नाते इस खराबी का असर पूरे देश के हवाई यातायात पर पड़ा। सिस्टम के पूरी तरह ठीक होने और सुरक्षा जांच पूरी होने के बाद ही सामान्य परिचालन फिर से शुरू होगा। हाल में अमेरिका और भारत के हवाई अड्डे भी तकनीकी खराबी का शिकार हुए हैं। इन सभी के पीछे एक ही कारण है या समस्‍याएं अलग-अलग हैं? आइए, यहां समझने की कोशिश करते हैं।

त्रिभुवन हवाई अड्डे के साथ क्‍या आई समस्‍या?नेपाल के त्रिभुवन हवाई अड्डे की समस्‍या रनवे एयरफील्ड लाइटिंग सिस्टम में तकनीकी खराबी थी। इसके चलते विजिबिलिटी कम होने और सुरक्षा कारणों से सभी आगमन और प्रस्थान उड़ानों को तत्काल रोक दिया गया। काठमांडू का त्रिभुवन अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डा नेपाल का एकमात्र इंटरनेशनल एयरपोर्ट है, इसलिए पूरे देश का हवाई यातायात प्रभावित हुआ। टीआईए का टेबल-टॉप रनवे 3,350 मीटर लंबा है। कम विजिबिलिटी की स्थिति में सुरक्षित लैंडिंग और टेक-ऑफ के लिए सटीक लाइटिंग की जरूरत होती है। रनवे लाइटिंग सिस्टम पायलटों को रात के संचालन और खराब मौसम में महत्वपूर्ण मार्गदर्शन देते हैं, जो रनवे के किनारों, सेंटरलाइन और थ्रेशोल्ड को चिह्नित करते हैं। इस अस्थायी ब्लैकआउट ने परिचालन संबंधी चिंताएं बढ़ा दीं।

दिल्‍ली हवाई अड्डे की समस्‍या क्‍या थी?दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) से संबंधित ऑटोमैटिक मैसेज स्विचिंग सिस्टम (एएमएसएस) में तकनीकी खराबी आई थी। एएमएसएस सिस्टम उड़ान योजनाओं और संदेशों के आदान-प्रदान के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है। इसके विफल होने से देश भर में 800 से ज्‍यादा उड़ानें (घरेलू और अंतरराष्ट्रीय) प्रभावित हुईं। एटीसी को मैन्युअल रूप से काम करना पड़ा, जिससे उड़ानों के संचालन में भारी देरी हुई और यात्रियों को परेशानी हुई।

अमेरिका में क्‍या थी तकनीकी खामी की वजह?
अमेरिका में हाल ही में सबसे बड़ी खराबी फेडरल एविएशन एडमिनिस्ट्रेशन (एफएए) के 'नोटिस टू एयर मिशन' (NOTAM) सिस्टम में आई थी। NOTAM सिस्टम उड़ान सुरक्षा और परिचालन के लिए जरूरी सभी सूचनाएं (जैसे रनवे बंद होना, खतरे या प्रक्रिया में बदलाव) पायलटों तक पहुंचाता है। इस सिस्टम की विफलता के कारण पूरे देश में सभी उड़ानों को ग्राउंड करना पड़ा। यह एक अभूतपूर्व घटना थी जिसने पूरे अमेरिका में हवाई यात्रा को रोक दिया। इससे पता चलता है कि एक छोटी सी तकनीकी खराबी भी वैश्विक स्तर पर कितना बड़ा संकट पैदा कर सकती है।

इस तरह की तकनीकी खराबी क्यों हो रही है?तीनों देशों में हुई इन घटनाओं से यह पता चलता है कि हवाई अड्डों पर बुनियादी ढांचे के आधुनिकीकरण और साइबर सुरक्षा पर ध्यान देने की जरूरत है। कई हवाई अड्डों पर एटीसी और अन्य महत्वपूर्ण प्रणालियां अभी भी पुरानी टेक्नोलॉजी पर चल रही हैं। इन प्रणालियों को अपग्रेड करने में लगने वाले भारी खर्च और जटिलता के कारण अक्सर इनकी मरम्मत या पैचिंग ही की जाती है।

दिल्ली हवाई अड्डे पर कुछ रिपोर्टों ने जीपीएस स्पूफिंग या साइबर हमले की आशंका भी जताई थी। जैसे-जैसे सिस्टम अधिक डिजिटल होते जा रहे हैं, वे साइबर हमलों के प्रति अधिक संवेदनशील हो जाते हैं। आधुनिक विमानन पूरी तरह से ऑटोमेशन पर निर्भर है। जब AMSS या NOTAM जैसा कोई मुख्य ऑटोमेटेड सिस्टम विफल होता है तो मैन्युअल प्रक्रियाओं में बदलाव करने में भारी समय और भ्रम पैदा होता है।

दिल्ली और काठमांडू जैसे हवाई अड्डों पर उड़ानों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जबकि उनका बुनियादी ढांचा उतनी तेजी से नहीं बदला है। इससे सिस्टम पर हमेशा अत्यधिक दबाव रहता है। तकनीकी खराबी का यह बढ़ता पैटर्न विमानन उद्योग के लिए बड़ी चेतावनी है।
न्यूजपॉईंट पसंद? अब ऐप डाउनलोड करें