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कंटेंट क्रिएटर्स, इन्फ्लुएंसर्स के लिए इनकम टैक्स को लेकर सरकार का अहम फैसला, जानें क्या हुआ बदलाव

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नई दिल्ली: इस टैक्स सीजन में सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स और इन्फ्लुएंसर्स के लिए रिटर्न दाखिल करने में एक महत्वपूर्ण बदलाव आया है। सोशल मीडिया कंटेंट क्रिएटर्स और इन्फ्लुएंसर्स की आय को अब एक स्पेशल कैटेगरी में रखा गया है। आयकर विभाग ने वित्त वर्ष 2024-25 (असेस्मेंट ईयर 2025-26) के लिए आयकर रिटर्न (आईटीआर) यूटिलिटीज के अंतर्गत '16021' नाम से एक नया कोड पेश किया है, जो उन इन्फ्लुएंसर्स के लिए है जो प्रमोशन, प्रोडक्ट एंडोर्समेंट या डिजिटल कंटेंट क्रिएशन से कमाई करते हैं।



'प्रोफेशन' कैटेगरी के अंतर्गत एक्सेस

इस कोड को आईटीआर-3 और आईटीआर-4 (सुगम) दोनों में 'प्रोफेशन' कैटेगरी के अंतर्गत एक्सेस किया जा सकता है। इससे क्रिएटर्स, ऑनलाइन कोच और ब्लॉगर्स के लिए अनुपालन आसान हो जाता है। अब इन्फ्लुएंसर्स को अपनी आय के स्तर और अनुमानित कराधान के विकल्प के आधार पर आईटीआर-3 या आईटीआर-4 (सुगम) में से किसी एक को चुनना होगा । यह एक सरलीकृत योजना, जो पेशेवरों को अपनी प्राप्तियों का एक निश्चित प्रतिशत आय के रूप में घोषित करने और डिटेल्ड बुक रखने मेंटेन करने से बचने की अनुमति देती है।



आईटीआर-4 का करना होगा यूज

विशेषज्ञों के अनुसार, अगर कोई इंफ्लूएंसर सेक्शन 44एडीए के तहत अनुमानित टैक्सेशन का विकल्प चुन रहा है, तो उसे आईटीआर-4 का उपयोग करना चाहिए। अगर उनकी नकद प्राप्तियां सकल प्राप्तियों के 5 प्रतिशत से कम हैं तो यह 50 लाख रुपए तक की सकल प्राप्तियों वाले पेशेवरों और 75 लाख रुपए तक की आय वाले पेशेवरों पर लागू होता है। उन्होंने बताया कि बिजनेस इनकम से कमाई करने वालों के लिए 5 प्रतिशत से कम नकद प्राप्तियों पर सेक्शन 44एडी 2 से 3 करोड़ रुपए तक की आय पर 8 प्रतिशत (डिजिटल पेमेंट के लिए 6 प्रतिशत) की अनुमानित दर की अनुमति देता है।



आईटीआर-3 फॉर्म बिजनेस या प्रोफेशनल आय (साझेदारी फर्म से प्राप्त पारिश्रमिक भी शामिल) वाले व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों के लिए है। वेतन, आवासीय संपत्ति, पूंजीगत लाभ और अन्य स्रोतों से आय आईटीआर-3 के तहत घोषित की जा सकती है। हालांकि, केवल बिजनेस और प्रोफेशनल आय वाले व्यक्ति और एचयूएफ ही पात्र होंगे। अगर आय आईटीआर-1 , आईटीआर-2 , या आईटीआर-4 के अंतर्गत आती है, तो आईटीआर-3 का उपयोग नहीं किया जा सकता।



आईटीआर-4 उन व्यक्तियों, एचयूएफ और साझेदारी फर्मों (भारत में निवासी) के लिए है, जो सेक्शन 44एडी, 44एडीए या 44एई के तहत अनुमानित कराधान योजना का विकल्प चुनते हैं।





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