नई दिल्लीः अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के परमाणु परीक्षण वाले बयान को लेकर दुनियाभर में न्यूक्लियर बम पर बहस छिड़ गई है। कुछ दिन पहले दक्षिण कोरिया की यात्रा के दौरान ट्रंप ने पेंटागन को परमाणु हथियारों की टेस्टिंग फिर से तत्काल शुरू करने का आदेश दिया था। इसे लेकर जब पत्रकारों ने सवाल किए तो ट्रंप ने अमेरिका के पास किसी भी अन्य देश के मुकाबले अधिक परमाणु हथियार होने की बात कही। उन्होंने कहा, 'मुझे लगता है कि हमें परमाणु निरस्त्रीकरण के बारे में कुछ करना चाहिए। हमारे पास दुनिया को 150 बार उड़ाने के लिए पर्याप्त एटम बम हैं।' अमेरिकी राष्ट्रपति ने पाकिस्तान के न्यूक्लियर टेस्टिंग का दावा करते हुए कहा कि रूस के पास बहुत सारे परमाणु हथियार हैं और चीन के पास और भी होंगे।   
   
बहरहाल, ट्रंप के इन बयानों के बीच हाइड्रोजन बम की चर्चा सामने आई। ये भी सवाल सामने आए कि एटम बम और हाइड्रोजन बम में कौन ज्यादा शक्तिशाली होता है? उत्तर कोरिया अमेरिका तक मार करने में सक्षम परमाणु वारहेड हासिल करने की बात करता रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दावा किया जाता है कि उत्तर कोरिया अब वह हाइड्रोजन बम (H-bomb) को अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) पर लगाने में सक्षम हो गया है। माना जाता है कि हाइड्रोजन बम पारंपरिक एटॉमिक बम की तुलना में कहीं ज्यादा शक्तिशाली होता है।
     
आसान लहजा में समझिए हाइड्रोजन बम (थर्मोन्यूक्लियर बम) एटॉमिक बम की तुलना में बहुत अधिक शक्तिशाली होता है क्योंकि इसमें दोनों प्रक्रियाएं काम करती हैं-फिशन (विखंडन) और फ्यूज़न (संलयन)।
     
      
   
एटॉमिक बम कितना ताकतवर?जहां एटॉमिक बम परमाणु विखंडन की प्रक्रिया से काम करता है, वहीं हाइड्रोजन बम परमाणु संलयन (fusion) से ऊर्जा पैदा करता है। वही प्रक्रिया जिससे सूरज और तारे ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं। अमेरिका ने सेकंड वर्ल्ड वॉर में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम गिराए थे। उत्तर कोरिया के पहले तीन परमाणु परीक्षण (2006–2013) एटॉमिक बम के स्तर के थे यानी लगभग हिरोशिमा और नागासाकी के बराबर। इन दोनों शहरों में उस हमले से दो लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
   
हाइड्रोजन बम तकनीकी रूप से बेहद जटिल होता है। एक बार कोई देश इसे विकसित कर ले, तो यह वैश्विक स्तर पर गंभीर खतरा बन सकता है, क्योंकि इसे ICBM के वारहेड पर फिट करने लायक छोटा भी बनाया जा सकता है। अल-जजीरा ने सियोल स्थित कुकमिन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आंद्रेई लैंकोव के हवाले से बताया कि हाइड्रोजन बम न्यूयॉर्क जैसे पूरे शहर को मिटा सकता है, कोई भी जिंदा नहीं बचेगा। जबकि एटॉमिक बम से आप मैनहैटन के आधे हिस्से तक ही नुकसान पहुंचा सकते हैं।
   
   
   
एटम बम और हाइड्रोजन बम में बुनियादी अंतर क्या है?एटॉमिक बम (Fission): भारी नाभिक (जैसे यूरेनियम या प्लूटोनियम) को तोड़कर ऊर्जा देते हैं। हिरोशिमा पर गिराए गए बम की क्षमता लगभग 13 किलोटन TNT थी। वहीं हाइड्रोजन बम (Fission + Fusion): पहले एक फिशन विस्फोट होता है जो अत्यधिक ताप और दबाव पैदा करता है; फिर वह इससे हल्के तत्वों के संलयन (जैसे हाइड्रोजन समस्थानिक) को ट्रिगर करता है, जिससे अतिरिक्त भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है।
   
उदाहरण के तौर पर, सबसे बड़ा हाइड्रोजन बम सार बॉम्बा (Tsar Bomba) लगभग 50 मेगाटन का था यानी करीब 50,000 किलोटन, जो हिरोशिमा के बम (≈13 किलोटन) से लगभग 3,800 गुना अधिक है। इसलिए हाइड्रोजन बम को 'दूसरी पीढ़ी' का परमाणु हथियार माना जाता है। इनकी विनाशक क्षमता एटम बम से हज़ारों गुना बड़ी है। हालांकि आंद्रेई लैंकोव ने यह भी कहा कि इतना महंगा और शक्तिशाली हथियार उत्तर कोरिया के लिए 'ओवरकिल' है। ये ऐसा है जैसे पास की दुकान जाने के लिए पोर्श कार खरीद लेना। यह कार्यक्रम बहुत महंगा है और उनकी सुरक्षा में कोई खास फर्क नहीं डालेगा। लेकिन सरकारें कभी-कभी पागलपन भरे फैसले लेती हैं।
   
पांच सबसे बड़ी परमाणु शक्तियांफिलहाल, दुनिया की पांच सबसे बड़ी परमाणु शक्तियां अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन हाइड्रोजन बम रखती हैं। कई अन्य देश भी इसे विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं, बावजूद इसके कि वैश्विक स्तर पर परमाणु प्रसार रोकने की कोशिशें जारी हैं।
बहरहाल, ट्रंप के इन बयानों के बीच हाइड्रोजन बम की चर्चा सामने आई। ये भी सवाल सामने आए कि एटम बम और हाइड्रोजन बम में कौन ज्यादा शक्तिशाली होता है? उत्तर कोरिया अमेरिका तक मार करने में सक्षम परमाणु वारहेड हासिल करने की बात करता रहा है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक दावा किया जाता है कि उत्तर कोरिया अब वह हाइड्रोजन बम (H-bomb) को अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) पर लगाने में सक्षम हो गया है। माना जाता है कि हाइड्रोजन बम पारंपरिक एटॉमिक बम की तुलना में कहीं ज्यादा शक्तिशाली होता है।
आसान लहजा में समझिए हाइड्रोजन बम (थर्मोन्यूक्लियर बम) एटॉमिक बम की तुलना में बहुत अधिक शक्तिशाली होता है क्योंकि इसमें दोनों प्रक्रियाएं काम करती हैं-फिशन (विखंडन) और फ्यूज़न (संलयन)।
एटॉमिक बम कितना ताकतवर?जहां एटॉमिक बम परमाणु विखंडन की प्रक्रिया से काम करता है, वहीं हाइड्रोजन बम परमाणु संलयन (fusion) से ऊर्जा पैदा करता है। वही प्रक्रिया जिससे सूरज और तारे ऊर्जा उत्सर्जित करते हैं। अमेरिका ने सेकंड वर्ल्ड वॉर में जापान के हिरोशिमा और नागासाकी पर एटम बम गिराए थे। उत्तर कोरिया के पहले तीन परमाणु परीक्षण (2006–2013) एटॉमिक बम के स्तर के थे यानी लगभग हिरोशिमा और नागासाकी के बराबर। इन दोनों शहरों में उस हमले से दो लाख से ज्यादा लोगों की मौत हुई थी।
हाइड्रोजन बम तकनीकी रूप से बेहद जटिल होता है। एक बार कोई देश इसे विकसित कर ले, तो यह वैश्विक स्तर पर गंभीर खतरा बन सकता है, क्योंकि इसे ICBM के वारहेड पर फिट करने लायक छोटा भी बनाया जा सकता है। अल-जजीरा ने सियोल स्थित कुकमिन यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर आंद्रेई लैंकोव के हवाले से बताया कि हाइड्रोजन बम न्यूयॉर्क जैसे पूरे शहर को मिटा सकता है, कोई भी जिंदा नहीं बचेगा। जबकि एटॉमिक बम से आप मैनहैटन के आधे हिस्से तक ही नुकसान पहुंचा सकते हैं।
एटम बम और हाइड्रोजन बम में बुनियादी अंतर क्या है?एटॉमिक बम (Fission): भारी नाभिक (जैसे यूरेनियम या प्लूटोनियम) को तोड़कर ऊर्जा देते हैं। हिरोशिमा पर गिराए गए बम की क्षमता लगभग 13 किलोटन TNT थी। वहीं हाइड्रोजन बम (Fission + Fusion): पहले एक फिशन विस्फोट होता है जो अत्यधिक ताप और दबाव पैदा करता है; फिर वह इससे हल्के तत्वों के संलयन (जैसे हाइड्रोजन समस्थानिक) को ट्रिगर करता है, जिससे अतिरिक्त भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है।
उदाहरण के तौर पर, सबसे बड़ा हाइड्रोजन बम सार बॉम्बा (Tsar Bomba) लगभग 50 मेगाटन का था यानी करीब 50,000 किलोटन, जो हिरोशिमा के बम (≈13 किलोटन) से लगभग 3,800 गुना अधिक है। इसलिए हाइड्रोजन बम को 'दूसरी पीढ़ी' का परमाणु हथियार माना जाता है। इनकी विनाशक क्षमता एटम बम से हज़ारों गुना बड़ी है। हालांकि आंद्रेई लैंकोव ने यह भी कहा कि इतना महंगा और शक्तिशाली हथियार उत्तर कोरिया के लिए 'ओवरकिल' है। ये ऐसा है जैसे पास की दुकान जाने के लिए पोर्श कार खरीद लेना। यह कार्यक्रम बहुत महंगा है और उनकी सुरक्षा में कोई खास फर्क नहीं डालेगा। लेकिन सरकारें कभी-कभी पागलपन भरे फैसले लेती हैं।
पांच सबसे बड़ी परमाणु शक्तियांफिलहाल, दुनिया की पांच सबसे बड़ी परमाणु शक्तियां अमेरिका, रूस, फ्रांस, ब्रिटेन और चीन हाइड्रोजन बम रखती हैं। कई अन्य देश भी इसे विकसित करने की दिशा में काम कर रहे हैं, बावजूद इसके कि वैश्विक स्तर पर परमाणु प्रसार रोकने की कोशिशें जारी हैं।
You may also like

भारतीयों को नर्स भी बनाता है चीन! यहां देखें B.Sc नर्सिंग के लिए टॉप यूनिवर्सिटीज की लिस्ट

पैदल मुसाफिरों के लिए नोएडा गोलचक्कर पर बनेगा आधुनिक स्काईवॉक, ट्रैफिक रहेगा स्मूद

सूडान में अंतिम संस्कार के दौरान ड्रोन हमला, कम से कम 40 लोगों की मौत

Bihar VVIP Candidate in First Phase: बिहार में फर्स्ट फेज की हॉट सीट, लालू के दोनों 'लाल' के साथ डिप्टी सीएम की किस्मत का फैसला

LPU के बाहर बिना कपड़ों के दिखी नाइजीरियन छात्रा, अब सुरक्षित लौटी नाइजीरिया




