नई दिल्ली: विजडम हैच के संस्थापक और जाने-माने फिनफ्लुएंसर अक्षत श्रीवास्तव ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'एक्स' पर एक पोस्ट किया है। यह पोस्ट इंटरनेट पर खूब शेयर हो रहा है। इसमें उन्होंने बताया है कि भारत के अल्ट्रा-रिच लोग कमाने के लिए तो भारत में रह रहे हैं। लेकिन, निवेश और रिटायर होने के लिए विदेश जा रहे हैं। श्रीवास्तव ने एक तीन-चरण वाली वेल्थ स्ट्रैटेजी बताई है। इसके कारण भारत के करोड़पति और अरबपति विदेश में फैमिली ऑफिस बना रहे हैं। हाल ही में एक टॉप भारतीय अरबपति ने सिंगापुर में ऐसा ऑफिस बनाया है। श्रीवास्तव का कहना है कि भारत की टैक्स प्रणाली इस बात को प्रभावित करती है कि अमीर लोग कहां कमाते हैं, निवेश करते हैं और रिटायर होते हैं। इसलिए वे ऐसा कर रहे हैं। इस बदलाव पर बहस छिड़ गई है कि क्या भारत की टैक्स व्यवस्था पूंजी को बाहर भेज रही है।
श्रीवास्तव ने लिखा है कि इसके पीछे खास रणनीति है। भारत में पोर्ट और माइंस जैसे व्यवसायों से होने वाली इनकम पर कॉर्पोरेट टैक्स लगता है। यह टैक्स व्यक्तिगत आयकर से कम होता है। इसलिए भारत में बिजनेस करना समझदारी भरा है।
निवेश से होने वाली इनकम की अलग कहानी
यह और बात है कि इन्वेस्टमेंट और डिविडेंड से होने वाली इनकम की कहानी अलग है। भारत में शेयरों पर कम से कम 12.5% कैपिटल गेन टैक्स लगता है। बॉन्ड पर यह टैक्स 33% तक है। डिविडेंड से होने वाली आय, जैसे स्टॉक पेआउट या रियल एस्टेट से मिलने वाले किराये पर भी भारी टैक्स लगता है। श्रीवास्तव ने कहा कि भारत निवेश पर बहुत ज्यादा टैक्स लगाता है। इसलिए फैमिली इन्वेस्टमेंट ऑफिस अक्सर विदेश में होते हैं।
ये विदेशी संस्थाएं अमीर लोगों को घरेलू टैक्स से बचने में मदद करती हैं। साथ ही, वे भारतीय विकास का फायदा उठाते रहते हैं। देश के बाहर जीवन व्यतीत करने के लिए तैयारी करते हैं। श्रीवास्तव ने भविष्यवाणी की है कि दस साल बाद अमीर लोग भारत में काम करेंगे। लेकिन, रिटायर विदेश में होंगे।
अमीर चुपचाप सीखते हैं ऐसी बातें
राष्ट्रवादी आलोचना के बावजूद श्रीवास्तव का कहना है कि यह बदलाव रणनीतिक है। उन्होंने कहा कि अमीर लोग चुपचाप ऐसी बातें सीखते हैं। अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं। श्रीवास्तव के सीधे आकलन ने इस बात पर बहस फिर से शुरू कर दी है कि क्या भारत की टैक्स व्यवस्था पूंजी को दूर कर रही है। साथ ही क्या सुधार की जरूरत है।
श्रीवास्तव ने लिखा है कि इसके पीछे खास रणनीति है। भारत में पोर्ट और माइंस जैसे व्यवसायों से होने वाली इनकम पर कॉर्पोरेट टैक्स लगता है। यह टैक्स व्यक्तिगत आयकर से कम होता है। इसलिए भारत में बिजनेस करना समझदारी भरा है।
10 years from now: Rich people will work in India. But, retire abroad.
— Akshat Shrivastava (@Akshat_World) July 8, 2025
Recently, one of India's richest billionaires set up a family office in Singapore. He is not alone.
Many Millionaire/billionaires are migrating their wealth abroad.
There is a very specific strategy…
निवेश से होने वाली इनकम की अलग कहानी
यह और बात है कि इन्वेस्टमेंट और डिविडेंड से होने वाली इनकम की कहानी अलग है। भारत में शेयरों पर कम से कम 12.5% कैपिटल गेन टैक्स लगता है। बॉन्ड पर यह टैक्स 33% तक है। डिविडेंड से होने वाली आय, जैसे स्टॉक पेआउट या रियल एस्टेट से मिलने वाले किराये पर भी भारी टैक्स लगता है। श्रीवास्तव ने कहा कि भारत निवेश पर बहुत ज्यादा टैक्स लगाता है। इसलिए फैमिली इन्वेस्टमेंट ऑफिस अक्सर विदेश में होते हैं।
ये विदेशी संस्थाएं अमीर लोगों को घरेलू टैक्स से बचने में मदद करती हैं। साथ ही, वे भारतीय विकास का फायदा उठाते रहते हैं। देश के बाहर जीवन व्यतीत करने के लिए तैयारी करते हैं। श्रीवास्तव ने भविष्यवाणी की है कि दस साल बाद अमीर लोग भारत में काम करेंगे। लेकिन, रिटायर विदेश में होंगे।
अमीर चुपचाप सीखते हैं ऐसी बातें
राष्ट्रवादी आलोचना के बावजूद श्रीवास्तव का कहना है कि यह बदलाव रणनीतिक है। उन्होंने कहा कि अमीर लोग चुपचाप ऐसी बातें सीखते हैं। अपने जीवन में आगे बढ़ते हैं। श्रीवास्तव के सीधे आकलन ने इस बात पर बहस फिर से शुरू कर दी है कि क्या भारत की टैक्स व्यवस्था पूंजी को दूर कर रही है। साथ ही क्या सुधार की जरूरत है।
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